Rio 2016 में हिस्सा ले रहीं भारतीय महिला रेसलरों का विश्लेषण

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एक ऐसा खेल जिसमें भारतीय एथलीट विश्व स्तर के हैं और मेडल की उम्मीदें भी हैं, रियो ओलंपिक्स में रेसलिंग बस शुरू ही होने वाला है। 8 मजबूत रेसलरों के साथ भारत रियो गया है और कम-से-कम दो पदक के आने की उम्मीद है। ओलंपिक्स में रेसलिंग इवेंट में पिछले दो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है और अभी तक तीन पदक आये हैं। 2008 बीजिंग ओलंपिक्स में सुशिल कुमार ने जहाँ कांस्य पदक जीता था, वहीँ 2012 लंदन ओलंपिक्स में उन्होंने रजत पदक जीता। 2012 में ही योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक जीता था। सभी समस्याओं को पीछे छोड़ते हुए नरसिंह यादव पदक की आस में रियो पहुँच गए हैं। उनके अलावा संभवतः अपने आखिरी ओलंपिक में हिस्सा ले रहे योगेश्वर दत्त से भी पदक की उम्मीदें हैं। इनके अलावा रियो ओलंपिक्स में तीन भारतीय महिला रेसलर भी हिस्सा ले रही हैं और पहली बार ओलंपिक्स में एक से ज्यादा भारतीय महिला रेसलर हिस्सा ले रही हैं। भारतीय महिलाओं ने अभी तक विश्व स्तर पर काफी बढ़िया प्रदर्शन किया है लेकिन अभी तक कोई ओलंपिक पदक नहीं जीत पाई हैं। इस बार विनेश फोगट, साक्षी मालिक और बबिता कुमारी की तिकड़ी महिला रेसलिंग में भारत के लिए पदक जीतकर इतिहास रचने के लिए तैयार हैं। आइये नज़र डालते हैं इन तीनों और इनके मेडल जीतने के उम्मीदों पर: # विनेश फोगट 21 साल की ये रेसलर जब भी मैट पर उतरती हैं तो काफी खतरनाक दिखती हैं और उनके हमले काफी शानदार रहते हैं। भारत की तरफ से विनेश 48kg वर्ग में उतर रही हैं और महिला रेसलिंग में पदक की सबसे बड़े दावेदारों में एक है। पहले विश्व क्वालिफिकेशन में वो वजन में 400g ज्यादा होने के कारण ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने से चूक गईं थी। लेकिन दूसरे विश्व क्वालिफिकेशन में उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर रियो के लिए क्वालीफाई किया। इस दौरान उन्होंने 2014 वर्ल्ड चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता इवोना मत्कोव्सका को हराया था। JSW स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम की एथलीट विनेश ने इंग्लैंड की याना रटिगन को हराकर 2014 कॉमनवेल्थ खेलों का स्वर्ण पदक जीता था और उसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा है। उन्होंने उसी साल एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। दोहा में हुए एशियाई रेसलिंग चैंपियनशिप में उन्होंने रजत पदक भी जीत लिया। पिछले साल के अंत में हुए प्रो-रेसलिंग लीग में विनेश सबसे शानदार रेसलरों में शामिल थीं और लगभग हर लड़ाई को तकनिकी तौर पर जीतते हुए वो अपराजित रहीं थी। उसके बाद नेशनल चैंपियनशिप में भी उन्होंने सभी मैच जीते। विनेश अपने पहले ओलंपिक में हिस्सा ले रही हैं लेकिन उनमें काबिलियत है कि वो भारत के लिए पदक लेकर आयें। # साक्षी मालिक Screenshot (527) रियो ओलंपिक्स में साक्षी मालिक रेसलिंग के 58kg भार वर्ग में हिस्सा ले रही हैं और एक डार्क हॉर्स हैं। विनेश की तरह साक्षी ने भी इस्तांबुल, तुर्की में हुए दूसरे विश्व क्वालिफिकेशन इवेंट में रजत पदक जीतकर रियो के लिए क्वालीफाई किया। मालिक ने 2014 कॉमनवेल्थ खेलों में रजत पदक और फिर 2015 एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। अपने बढ़िया प्रदर्शन को जारी रखते हुए JSW स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम की इस एथलीट ने प्रो रेसलिंग लीग में विजेता मुंबई की तरफ से हिस्सा लिया। पहले गेम में ही उन्होंने अपनी सीनियर और स्टार खिलाड़ी गीता फोगट को हरा दिया। अब नज़रें इस चीज़ पर है कि ओलंपिक्स में वो कितना आगे तक जाती हैं। # बबिता कुमारी Screenshot (528) भारतीय महिला रेसलरों में सबसे अनुभवी बबिता कुमारी के कन्धों पर काफी जिम्मेदारी होगी और वो ओलंपिक्स में पदक जीतने का पूरा प्रयास करेंगी। JSW स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम की एथलीट बबिता के ओलंपिक में क्वालीफाई करने की भी एक कहानी है। मंगोलिया की रेसलर सुमिया एर्डेनेचिमेग के डोप टेस्ट में फेल होने के कारण अस्ताना, कजाखस्तान में हुए एशियाई ओलंपिक क्वालीफ़ायर इवेंट से वो रियो में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर थीं। लेकिन पहले एशियाई ओलंपिक क्वालीफ़ायर में उन्होंने दूसरे क्वालीफ़ायर इवेंट की तयारी करने के कारण हिस्सा नहीं लिया था लेकिन उन्हें इसके लिए सिर्फ चेतावनी मिली और उनका ओलंपिक कोटा कायम रहा। सुमिया ने बबिता को हराया था लेकिन डोप टेस्ट में पॉजिटिव होने के कारण उनकी जगह बबिता को चली गई। हालाँकि इस समय तक भी बबिता का ओलंपिक कोटा खतरे में था लेकिन बाद में इसे सुनिश्चित कर दिया और बबिता ने राहत की सांस ली। 2010 कॉमनवेल्थ खेलों की रजत पदक विजेता, 2012 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य और 2014 कॉमनवेल्थ खेलों की स्वर्ण पदक विजेता बबिता इस समय देश के बेहतरीन रेसलरों में शामिल हैं और इस बार वो ओलंपिक्स पदक विजेताओं में भी अपना नाम दर्ज करना चाहेंगी। प्रो रेसलिंग लीग में उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था लेकिन उनकी तारीफ़ भी की गई थी। उन्होंने कई मौकों पर शानदार वापसी की और दिखाया कि क्यों उन्हें बेहतरीन रेसलर माना जाता है। बबिता के ऊपर देश को काफी विश्वास है और वो पदक लाने के सबसे बड़े दावेदारों में एक हैं।