भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक हाल ही में बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू के नए शो 'द ए-गेम बाय पीवी सिंधू' में नजर आईं। हरियाणा की पहलवान साक्षी मलिक ने खुलासा किया कि उन्होंने किसी बड़े लक्ष्य के साथ रेसलिंग की शुरूआत नहीं की थी। ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट साक्षी मलिक ने बताया कि उनका सबसे पहला लक्ष्य एक दिन एयरप्लेन में बैठने का था।
एक छोटे इंटरव्यू में साक्षी मलिक ने खुलासा किया कि उनके सीनियर्स ने बताया था कि अगर पहलवान के रूप में अच्छा प्रदर्शन करेगी तो उन्हें प्लेन में बैठकर यात्रा करने का मौका मिलेगा। यही वजह रही कि साक्षी मलिक ने रेसलिंग अपनाई और आगे चलकर ओलंपिक मेडल जीता व इतिहास रच दिया।
साक्षी मलिक ने कहा, 'शुरूआत में मैंने रेसलिंग इस रुचि के साथ शुरू की थी कि एक दिन हवाई जहाज में बैठने का मौका मिलेगा क्योंकि मेरे सीनियर्स ने मुझे कहा था कि अगर तुम पहले नंबर पर आओगी तो प्लेन में बैठने का मौका मिलेगा। धीरे-धीरे पता चला कि कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियाई गेम्स और ओलंपिक्स किसी भी एथलीट के लिए बड़े मंच होते हैं और हर एथलीट का सपना ओलंपिक में मेडल जीतने का होता है। इसके बाद मैंने दिन-रात कड़ी मेहनत करना शुरू की।'
2021 टोक्यो ओलंपिक्स में जगह पक्की करने पर साक्षी मलिक की नजर
साक्षी मलिक पिछले आठ से 9 साल में रेसलिंग मैट पर काफी सफल रही हैं। साक्षी मलिक ने 2012 में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप्स जीती। 2014 में साक्षी मलिक ने ग्लास्गो में कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता। दो साल बाद यानी 2016 में रियो ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर साक्षी मलिक ने इतिहास रच दिया। वो यह उपलब्धि हासिल करने वाली देश की पहली महिला पहलवान बनीं। भले ही साक्षी मलिक अपने आसान से सपने को पूरा करने के लिए रेसलिंग में आईं, लेकिन उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता ने उन्हें दुनिया की शीर्ष पहलवान बनने में मदद की।
कोविड-19 महामारी के कारण रेसलिंग से छोटे ब्रेक के बाद साक्षी मलिक का इरादा 2021 टोक्यो ओलंपिक्स में अपनी जगह पक्की करना है। वो टोक्यो ओलंपिक्स में अपने पिछले प्रदर्शन को और बेहतर करना चाहती हैं।