भारत की रोशिबिना देवी ने हांगझाओ एशियन गेम्स में भारत को वुशू में सिल्वर मेडल दिलाया है। महिलाओं की 60 किलोग्राम वेट कैटेगरी के फाइनल में रोशिबिना को चीन की वू जियाउवेई ने 2-0 से मात दी जिस कारण रोशिबिना को सिल्वर से ही संतोष करना पड़ा। भारत को अभी तक 19वें एशियाई खेलों में 8 रजत पदक मिल चुके हैं।
रोशीबिना का यह पदक काफी खास है क्योंकि 13 सालों के बाद वुशू में भारत को रजत पदक हासिल हुआ है। रोशिबिना देवी का यह लगातार दूसरा एशियन गेम्स मेडल है। साल 2018 के जकार्ता खेलों में उन्होंने इसी वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया था।
सेमीफाइनल में रोशिबिना ने बेहतरीन प्रदर्शन कर विएतनाम की खिलाड़ी को मात दी थी और एशियाड के फाइनल में पहुंचने वाली दूसरी भारतीय बनीं थीं। साल 2010 में गुआंगझाओ एशियन गेम्स में महिलाओं के 60 किलोग्राम वर्ग में ही भारत की संध्यारानी देवी ने रजत पदक प्राप्त किया था।
वुशू को सबसे पहले साल 1990 के बीजिंग एशियन गेम्स में शामिल किया गया था। भारत को मौजूदा एशियन गेम्स से पहले तक वुशू में 1 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज समेत कुल 7 पदक हासिल हुए थे।
भारत ने पहली बार साल 2002 के बुसान खेलों के जरिए वुशू की स्पर्धा में भाग लेना शुरु किया। 2006 में पुरुषों की 60 किलोग्राम वेट कैटेगरी में भारत के बिमलजीत सिंह ने कांस्य पदक जीता और यह वुशू के खेल में देश का पहला एशियन गेम्स मेडल रहा। 2010 के खेलों में भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा। यहां बिमलजीत ने लगातार दूसरा कांस्य पदक जीता और महिलाओं के 60 किलोग्राम वर्ग में संध्यारानी को सिल्वर मिला। 2014 के इंचियोन एशियाड में नरेंद्र ग्रेवाल को कांस्य पदक मिला। पिछले एशियाई खेलों में रोशिबिना के अलावा सूर्य भानू प्रताप, नरेंद्र ग्रेवाल और संतोष कुमार को भी कांस्य पदक मिले।