रैसलमेनिया 35 के बाद WWE की रेटिंग्स धीरे-धीरे कम हो रही हैं। सुपरस्टार शेक-अप के बाद कई सारे रैसलर्स वाइल्ड कार्ड रूल की मदद से दूसरे ब्रांड पर जा रहे हैं। इस नियम से ब्रांड स्प्लिट का कोई मतलब ही नहीं बनता। WWE ने रॉ और स्मैकडाउन को 2016 में अलग किया था, जिसके बाद रॉ में अलग और स्मैकडाउन में अलग चैंपियनशिप थीं। दोनों ही चैंपियनशिप के लिए अलग-अलग मैच होते हैं।
रैसलमेनिया 35 के बाद रॉ में यूनिवर्सल चैंपियन सैथ रॉलिन्स और WWE चैंपियन कोफी किंग्सटन के बीच टाइटल vs टाइटल मैच देखने को मिला था। जिसके बाद से यह भी चर्चा है कि WWE को दोनों ही ब्रांड्स की चैंपियनशिप को जोड़ देना चाहिए।
हर पीपीवी से करीब 10 टाइटल मैच होते हैं, जिससे वह इवेंट काफी बड़ा हो जाता है। WWE में इतनी सारी चैंपियनशिप होने के कारण इन बेल्ट्स का महत्व और भी कम हो जाता हैं।
इसलिए हम बात करने वाले हैं 5 कारणों की, जिसके चलते WWE रॉ और स्मैकडाउन की सारी चैंपियनशिप को जोड़ सकती है।
#5 ज्यादा मैचों के बदले ज्यादा अच्छे मैच
WWE में हर ब्रांड के पास मुख्य रुप से 5 महत्वपूर्ण टाइटल्स हैं, जिसमें वर्ल्ड चैंपियनशिप, US या IC चैंपियनशिप, विमेंस चैंपियनशिप, टैग टीम चैंपियनशिप और विमेंस टैग टीम चैंपियनशिप शामिल हैं।
WWE के पीपीवी में लगभग सारी चैंपियनशिप डिफेंड होती हैं। इसके लिए WWE को एक साथ कई सारी स्टोरीलाइन पर काम करना पड़ता है। WWE को पीपीवी को समय पर निपटाने की वजह से हर मैच को जल्दी खत्म करना पड़ता है, जिससे क्वालिटी मैच देखने को नहीं मिलते हैं।
अगर WWE दोनों ब्रांड की चैंपियनशिप को जोड़ दे, तो कम मैच देखने को मिलेंगे और यह मैच ज्यादा अच्छी क्वालिटी के होंगे।
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