एक प्रोफेशनल रैसलर का सपना होता है कि वह अपने करियर में कम से कम एक बार WWE का हिस्सा जरूर बने। अन्य रैसलिंग कंपनियों के मुकाबले एक रैसलर को WWE में ज्यादा मौके, ज्यादा फेम और ज्यादा पैसे मिलते हैं। इसके अलावा जब एक रैसलर WWE का हिस्सा बन जाता है तो कंपनी उसे प्रोफेशनल रैसलिंग का सबसे बड़ा सुपरस्टार बनने का मौका भी देती है।
इन सब चीजों के बीच WWE किसी भी रैसलर को कंपनी में रखने के लिए उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करती है। इस कॉन्ट्रैक्ट में रैसलर कितने समय तक कंपनी में रहेगा या फिर किस स्थिति में उसे कंपनी से निकाला जाएगा या उसे किन मुकाबलों में शामिल होना है, यह सब कॉन्ट्रैक्ट में लिखा होता है।
WWE में काम करने वाले रैसलर को कंपनी का हिस्सा बनने के बाद कई चीजों का ध्यान देना पड़ता है क्योंकि एक रैसलर अगर किसी गलत काम में लिप्त होता है तो इससे कंपनी पर भी असर पड़ता है।
आइए एक नज़र डालते हैं उन 5 बड़ी चीजों पर जो WWE के कॉन्ट्रैक्ट में होती है। इस बात की पूरी संभावना है कि बहुत सारे फैंस WWE के कॉन्ट्रैक्ट के बारे में बहुत सारी चीजें नहीं नहीं जानते होंगे।
रैसलर का नाम और गिमिक WWE तय करेगा
WWE के कॉन्ट्रैक्ट के तहत यह कंपनी तय करेगी कि रैसलर का क्या नाम होगा और क्या गिमिक। कई फैंस को लगता है कि रैसलर खुद बा खुद अपना नाम तय कर लेते होंगे लेकिन ऐसा नहीं है। WWE कंपनी में साइन किए जाने वाले हर रैसलर का नाम खुद तय करता है।
WWE में कुछ सुपरस्टार्स ऐसे भी है जो इंडिपेंडेंट सर्किट पर काफई सफल रहे हैं ऐसे में कंपनी ने उन्हें उसी नाम से WWE में रैसलिंग करने का मौका दिया। ये सुपरस्टार्स शायद बाकी सुपरस्टार्स के मुकाबले काफी लकी थे कि इन्हें इनके नामों से रैसलिंग करने का मौका मिला। वहीं डीन एंब्रोज और सैथ रॉलिंस इतने लकी नहीं है।
सैथ रॉलिंस का रियल नेम टायलर ब्लैक है जबकि जॉन मौक्सले WWE में डीन एम्ब्रोज़ के रूप में नज़र आ रहे हैं।
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