इलाज की वजह से रोमन रेंस के शरीर पर पड़ने वाले 5 संभावित खतरनाक प्रभाव

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ल्यूकीमिया बीमारी से ठीक होने में रोमन रेंस को लंबा वक्त लगेगा
ल्यूकीमिया बीमारी से ठीक होने में रोमन रेंस को लंबा वक्त लगेगा
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हम आपको आज ही बता चुके हैं कि रोमन रेंस का ल्यूकीमिया बीमारी के लिए इलाज शुरु हो चुका है। हालांकि जानकारी सामने नहीं आई है कि इस थेरेपी के जरिए रोमन रेंस का इलाज किया जा रहा है। कैंसर ठीक करने के लिए मरीजों को अक्सर कीमोथेरेपी दी जाती है। इसके अलावा रेडिएशन, सर्जरी के जरिए भी कैंसर की सेल्स पर रोक लगाकर बीमारी ठीक की जाती है।

ज्यादातर कैंसर मरीजों का इलाज कीमोथेरेपी के जरिए होता है। इसमें मरीज को एक निरंतर गैप के बाद एंटी कैंसर ड्रग्स दी जाती है। इन हाई पावर ड्रग्स की वजह से शरीर पर कुछ विपरीत प्रभाव पड़ते हैं, जोकि कुछ महीनों तक होते ही हैं।

आइए जानने की कोशिश करते हैं कि अगर रोमन रेंस का इलाज कीमोथेरेपी के जरिए हुआ तो उनके शरीर पर क्या-क्या अनचाहे प्रभाव पड़ेंगे।

थकान और सांस का भारी होना

रोमन रेंस
रोमन रेंस

रोमन रेंस का कीमोथेरेपी के जरिए इलाज किए जाने की स्थिति में उन्हें एक अंतराल के बाद दवा को डोज़ दिया जाता रहेगा। ये खाने के लिए टैबलेट या फिर इंजेक्शन हो सकता है। कीमोथेरेपी 1-2 महीनों से लेकर 1-2 साल तक भी चलती रहती है। ये सब कुछ मरीज की कैंसर स्टेज और उम्र जैसी चीज़ों पर निर्भर करता है।

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कीमोथेरेपी का आम दुष्परिणाम जल्दी थकान होना है। दवा के डोज़ की वजह से रैड ब्लड सेल्स में कमी आती है और शरीर में खून की कमी हो जाती है। इससे थकान होने का डर बढ़ जाता है और सांस भी भारी हो सकती है।

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इंफेक्शन

कीमोथेरेपी की वजह से इंफेक्शन के चांस बढ़ जाते हैं
कीमोथेरेपी की वजह से इंफेक्शन के चांस बढ़ जाते हैं

किसी भी तरह का इंफेक्शन इंसानी शरीर के लिए अच्छा नहीं होता। कीमोथेरेपी दिए जाने की वजह से इंफेक्शन का डर काफी बढ़ जाता है। कीमोथेरेपी की वजह से वाइट ब्ल्ड सेल्स (सफेद रक्त कोशिकाएं) कम हो जाती है और इंफेक्शन के चांस बढ़ते हैं।

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ऐसी स्थिति होने पर मरीजों को फल और सब्जियां खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा फूलों से भी दूर रखा जाता है।

खून आना

आने वाले महीने रोमन रेंस के लिए मुश्किलों भरे हैं
आने वाले महीने रोमन रेंस के लिए मुश्किलों भरे हैं

कैंसर जितनी खतरनाक बीमारी है, उसका इलाज भी मरीज का दम निकाल देता है। कीमोथेरेपी की वजह से खून में प्लेटलेट्स की कमी होना तय है। प्लेटलेट्स कम होने के कारण नाक, मसूड़ों यहां तक कि यूरीन से भी खून आने के चांस बढ़ जाते हैं।

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जब किसी मरीज के प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं तो उसके शरीर में प्लेटलेट्स चढ़ाए जाते हैं ताकि स्थिति ज्यादा गंभीर ना हो। कीमोथेरेपी का डोज़ दिए जाने के बाद मरीज को आराम दिया जाता है, जिससे कि मरीज के शरीर को रिकवर होने और दूसरा डोज़ लेने के लिए थोड़ी ताकत मिल जाए।

मुंह में सूजन आना

रोमन
रोमन रेंस

हम सब ने कभी न कभी ये चीज़ जरूर महसूस की होगी कि लंबी बीमारी और दवा लेने की वजह से मुंह का टेस्ट बदल जाता है और मुंह में छाले पड़ जाते हैं। दवा के डोज़ का मुंह पर काफी प्रभाव पड़ता है।

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कीमोथेरेपी की वजह से मुंह में छाले पड़ सकते हैं। ऐसे में मरीज को चाहिए कि वो लगातार अपने मुंह को साफ पानी या डॉक्टर द्वारा बताए गए सोल्यूशन से धोता रहे। इससे मुंह में इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है।

बाल झड़ना

कीमोथेरेपी में बाल झड़ना लगभग तय है
कीमोथेरेपी में बाल झड़ना लगभग तय है

अक्सर कीमोथेरेपी का नाम सुनकर लोगों के जहन में सिर्फ एक चीज आती है कि मरीज के बाल झड़ जाते हैं। ये चीज़ हम हाल ही में क्रिकेटर युवराज सिंह, अभिनेत्री मनीषा कोइराला और सोनाली बेंद्रे के केस में देख चुके हैं।

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यह बात सौ फीसदी सच है कि ज्यादातर मरीजों के कीमोथेरेपी के कारण बाल झड़ जाते हैं। हालांकि इलाज के दौरान कुछ समय तक बाल नहीं आते लेकिन मरीज के कैंसर से पूरी तरह मुक्त होने के कुछ समय बाद बाल फिर से उग आते हैं।

WWE सुपरस्टार रोमन रेंस को इन सभी चीज़ों से गुजरना होगा। एक रैसलिंग फैन होने के नाते हम रोमन रेंस के लिए दुआ मांग सकते हैं कि वो जल्द से जल्द ठीक हों और इस मुश्किल समय से पार पा लें।

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Edited by विजय शर्मा
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