एक रैसलर होना आसान काम नहीं होता है। भले ही फैंस रैसलिंग को नकली समझते हों लेकिन रिंग में लड़ते समय रैसलर के शरीर को नुकसान जरूर पहुँचता है। अगर आप लोग ब्रॉक लैसनर या कर्ट एंगल जैसे रैसलर्स के फैन हैं तो आप लोगों ने एक बार जरूर नोटिस की होगी कि उन दोनों के कानों की बनावट काफी अजीब है।
कानों की शेप बिगड़ने को इंग्लिश में "कॉलीफ्लावर ईयर" भी कहते हैं और ये रैसलर्स/बॉक्सर्स/MMA फाइटर्स में ज्यादा पाए जाते हैं। हालाँकि इस आर्टिकल में रैसलर्स (प्रो और पारंपरिक कुश्ती करने वाले भी) के बारे में ज्यादा बातें की जाएंगी।
जब रैसलर्स अपने मुक़ाबलों की शुरुआत करते हैं तो वो आमतौर पर अपने विरोधी की गर्दन पकड़ने की कोशिश करते हैं। ऐसा करने के दौरान सामने खड़े रैसलर के कानों पर भी वार होता है जिससे कई बार इंटरनल ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। हालाँकि सिर्फ इस मूव से ही रैसलर्स के कान इस शेप के नहीं हो जाते हैं।
जिन मूव्स से भी किसी रैसलर के कानों पर प्रभाव पड़ता है उनसे कानों में खून का थक्का जम सकता है। अगर इस जमे हुए खून को निकाला ना जाए तो हालत बिगड़ सकती है।
अगर कोई रैसलर कानों में इंटर्नल ब्लीडिंग होने के बाद मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं लेता है तो उसके कानों की शेप बदलने लगती हैं। इससे उन्हें दर्द तो होता ही है लेकिन इसके साथ-साथ उनके सुनने की क्षमता भी काम होते जाती है। हमारी कानों की बनावट थोड़ी टेढ़ी-मेढ़ी होती है और इससे आवाज़ ठीक से सुनने मिलती है लेकिन जब कानों की बनावट बिगड़ने लगती है तो सुनने में दिक्कतें आती लगती हैं।
इस कारण एक रैसलर जब भी ट्रेनिंग करता है तो वो हेडगीयर का इस्तेमाल करता है क्योंकि इससे उनके कानों को ज्यादा नुकसान नहीं होता है। हालाँकि ज्यादातर रैसलर्स कान का हूलिया बदल जाने को गर्व की बात मानते हैं क्योंकि ये उनके अनुभव को भी बयां करता है।
भारत के ओलंपिक लैजेंड सुशील कुमार के अलावा योगेश्वर दत्त के कानों की बनावट भी बिगड़ी हुई है क्योंकि वो सालों से रैसलिंग करते हुए आ रहे हैं और लगातार कान पर होने वाले हमले की वजह से शेप बिगड़ जाती है। कॉनर मैक्ग्रेगर को हराने वाले दिग्गज UFC फाइटर खबीब नर्मागोमेडोव के कानों की बनावट भी बिगड़ी हुई है, जो रैसलिंग करने वाले के लिए आम बात है।
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