सर्वाइवर सीरीज के बाद अब WWE का अगला पीपीवी TLC होगा। इस साल TLC पीपीवी 15 दिसंबर (भारत में 16 दिसंबर) को लाइव आएगा। हालांकि फैंस में इस चीज को लेकर काफी दुविधा रहती है कि आखिर इस पे-पर-व्यू का मतलब होता क्या है और इसका नाम टीएलसी किस वजह से पड़ा है ?
फैंस को बता दें कि TLC का मतलब होता है टेबल्स, लैडर्स और चेयर्स और इस पीपीवी में होने वाले मैचों में शामिल शर्त के अनुसार यह हथियार लीगल होते हैं। टीएलसी पीपीवी की शुरूआत साल 2009 में हुई थी और इसके पीछे की वजह फैंस ही थे, जिन्होंने अपने मत के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए स्ट्रीट फाइट की जगह इसको चुना था।
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दरअसल इस पीपीवी में होने वाले ज्यादातर मैचों में चार शर्तें होती हैं, पहली टेबल्स मैच, दूसरा चेयर्स मैच, तीसरा लैडर्स मैच और चौथा ट्रेडिशनल टेबल्स, लैडर्स और चेयर्स मैच।
अब फैंस इस बात को सोच रहे होंगे कि आखिर इन मैचों को जीता कैसे जाता है और कैसे यह सब एक दूसरे से अलग होते हैं? तो हम बताते हैं कि इस प्रकार के मैचों को किस तरह जीता जाता है:
टेबल्स मैच : इस मैच में सुपरस्टार को जीतने के लिए अपने प्रतिद्वंदी को टेबल पर गिराकर उसे तोड़ना होता है। इसके बाद ही इस मैच में कोई विजयी हो सकता है।
चेयर्स मैच : इस मैच में सुपरस्टार को जीत पिनफॉल या फिर सबमिशन के जरिए ही मिलती है, लेकिन इस मैच में चेयर्स का इस्तेमाल करना लीगल होता है और सुपरस्टार जीतने के लिए इसका प्रयोग कर सकते हैं।
लैडर्स मैच: इस प्रकार के मैचों में या तो कोई चैंपियनशिप दांव पर होती है या फिर कोई कॉन्ट्रैक्ट जिसको रिंग के ऊपर हवा में लटकाया जाता है, इसे जीतने के लिए सुपरस्टार के पास सिर्फ एक ही जरिया होता है और वो है लैडर के ऊपर चढ़कर उसको हासिल करना।
टेबल्स, लैडर्स और चेयर्स मैच : इस मैच में लैडर्स, चेयर्स और टेबल्स पूरी तरह से लीगल होते हैं और कुछ खास शर्तों को छोड़ दिया जाए, तो इस मैच को जीतने का तरीका पिनफॉल या फिर सबमिशन के जरिए से ही होता है।
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