टोक्‍यो ओलंपिक्‍स में क्‍वालीफाई करने के बाद श्रीशंकर ने कहा- मैं 8.40 मीटर के मार्क को पार करना चाहता हूं

श्रीशंकर मुरली
श्रीशंकर मुरली

लांग जंप में मंगलवार को अपने ही नेशनल रिकॉर्ड को बेहतर करके ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले श्रीशंकर मुरली काफी उत्‍साहित हैं, लेकिन साथ ही जमीन से जुड़े हुए भी हैं। श्रीशंकर को पता है कि टोक्‍यो के लिए उड़ान भरने से पहले उन्‍हें बहुत सारा काम करना है। पटियाला से अपने गृहनगर पलक्‍कड़ लौटने से पहले श्रीशंकर ने 8.26 मीटर की कूद लगाकर नया राष्‍ट्रीय रिकॉर्ड स्‍थापित किया। 21 साल के श्रीशंकर ने अपनी यात्रा के बारे में खुलकर बातें की।

पूर्व ट्रिपल जंपर और दक्षिण एशियाई गेम्‍स के सिल्‍वर मेडलिस्‍ट श्रीशंकर ने कहा, 'मैं पिछले महीने इंडियन जीपी में क्‍वालीफिकेशन सुनिश्चित करना चाहता था, लेकिन उस समय मैं अपनी लय में नहीं था। मगर अब नया नेशनल रिकॉर्ड स्‍थापित करके और क्‍वालीफाईड होकर मैं काफी खुश हूं।' श्रीशंकर का पहले 8.20 मीटर सर्वश्रेष्‍ठ मार्क था और पटियाला में पांचवीं व आखिरी जंप में उन्‍होंने ओलंपिक क्‍वालीफाइंग स्‍तर 8.22 मीटर का मार्क पार किया।

श्रीशंकर को उनके पिता मुरली ट्रेनिंग देते हैं। श्रीशंकर ने कहा, 'कल मेरी लय बहुत अच्‍छी थी और मैं अच्‍छे से छलांग लगा पा रहा था। मैं अपनी शक्ति को सर्वश्रेष्‍ठ तरीके से उपयोग में ला रहा था। इसमें कोई शक नहीं था कि मैं क्‍वालीफाई कर पाऊंगा या नहीं। मेरी उपलब्धि का पूरा श्रेय मेरे पिता को जाता है। उन्‍होंने मेरी गति और अभिव्‍यक्ति को बहुत युवा उम्र में पहचाना और एथलीट के रूप में मुझे बढ़ाया। उन्‍होंने मुझे एक सीधी सलाह यह दी कि मैं जो भी करूं उसमें एकदम सटीक रहूं। वह अपने ट्रेनिंग रूटीन में काफी सख्‍त हैं और मुझे सिखाया कि सफलता के कोई शॉर्टकट नहीं हैं।' बता दें कि श्रीशंकर की मां केएस बिजीमोल पूर्व 800 मीटर धाविका हैं।

श्रीशंकर का ओलंपिक सपना साकार हुआ

श्रीशंकर आगे चलकर 8.40 मीटर का मार्क पार करना चाहते हैं। श्रीशंकर ने कहा, 'ओलंपिक्‍स में हिस्‍सा लेने से मेरा सपना साकार हुआ। मगर मुझे पता है कि कई क्षेत्रों में सुधार करना है। मेरा अगला लक्ष्‍य 8.40 मीटर मार्क को हासिल करना है। इसके लिए कुछ तकनीकी चीजों पर ध्‍यान देना है और मैं उस पर काम कर रहा हूं। मुझे अपने रन-अप और लय में बेहतर होना पड़ेगा।' बता दें कि श्रीशंकर पलक्‍कड विक्‍टोरिया कॉलेज से बीएससी मैथ्‍स कर रहे हैं। उनके पास एमबीबीएस से जुड़ने का विकल्‍प था, लेकिन वह इसमें नहीं गए और एथलेटिक्‍स के रूप में अपनी पहचान बनाने की ठानी।

श्रीशंकर ने बताया कि वह अपने पिता के साथ लॉकडाउन के दौरान पूरी ट्रेनिंग का सामान घर ले आए थे। उन्‍होंने कहा, 'मैंने अपने जिम के उपकरण चाचा के घर में रखे और वहीं जिम सुविधा बना ली। मेरे भाई और सभी ने मेरी ट्रेनिंग में मदद की। जब लॉकडाउन हटा तो मैंने पलक्‍कड़ मेडिकल कॉलेज ग्राउंड की सुविधाओं का उपयोग किया।' 2018 में श्रीशंकर को सर्जरी करानी पड़ी थी। उनका वजन घटा और इससे उनके प्रदर्शन पर भी प्रभाव पड़ा। श्रीशंकर ने कहा, 'मुझे अपनी पूरी फिटनेस हासिल करने में पांच महीने लग गए। मैं कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में हिस्‍सा नहीं ले सका और एशियाई गेम्‍स में छठे स्‍थान पर रहा।'