टोक्यो ओलंपिक की असफलता से टूट गए थे श्रीशंकर, अब कॉमनवेल्थ में मेडल जीत किया खुद को साबित

श्रीशंकर ने कॉमनवेल्थ खेलों में पुरुष लॉन्ग जम्प का सिल्वर मेडल जीता है।
श्रीशंकर ने कॉमनवेल्थ खेलों में पुरुष लॉन्ग जम्प का सिल्वर मेडल जीता है।

पिछले साल हुए टोक्यो ओलंपिक देश के लिए तो कई मायनों में यादगार बन गए। नीरज चोपड़ा ने ट्रैंक एंड फील्ड में देश को पहला गोल्ड दिलाया तो कुल 7 पदक के साथ भारत ने खेलों के इतिहास का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन हमारे कुछ ऐथलीट ऐसे भी थे जो अपने प्रदर्शन की वजह से काफी निराश हो गए थे। 23 साल की लॉन्ग जम्प खिलाड़ी भी उन्हीं में शुमार थे। ओलंपिक खेलों में क्वालिफिकेशन में श्रीशंकर 24वें नंबर पर रहे थे और उनकी काफी आलोचना हुई थी। लेकिन इस युवा खिलाड़ी ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में लॉन्ग जम्प का सिल्वर मेडल जीत हर आलोचक को करारा जवाब दिया है।

27 मार्च 1999 को केरल के पलक्कड़ में जन्में श्रीशंकर को बचपन से ही खेल का शौक था और ऐसे में पिता एस मुरली बेटे को ऐथलेटिक्स में तैयार करने लगे। पिता ने ही श्रीशंकर को लॉन्ग जम्प की सीख दी और उनके कोच भी हैं। साल 2018 में 19 साल की उम्र में श्रीशंकर ने पटियाला में हुए फेडरेशन कप में 7.99 मीटर की छलांग लगाई और 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों के लिए उनका नाम चुना गया। लेकिन गेम्स से 10 दिन पहले श्रीशंकर को एपेन्डिक्स की दिक्कत हुई और वो खेलों में जा नहीं पाए।

2021 में हुए टोक्यो ओलंपिक में श्रीशंकर का प्रदर्शन खराब रहा और वो 7.69 मीटर की बेस्ट जम्प दे पाए। लेकिन इस प्रदर्शन से ज्यादा खराब रही आलोचना जो इस युवा खिलाड़ी को झेलनी पड़ी। उनके पिता को बतौर कोच हटाने का फैसला AFI ने किया और उनके पिता के कोचिंग के तरीको पर सवाल उठाए। श्रीशंकर काफी निराश हो गए। लेकिन फिर खुद को किसी तरह संभाला।

श्रीशंकर ने जीत के बाद अपना मेडल पिता एस मुरली के गले में पहनाया।
श्रीशंकर ने जीत के बाद अपना मेडल पिता एस मुरली के गले में पहनाया।

कॉमनवेल्थ खेलों को ध्यान में रखते हुए श्रीशंकर ने इस साल मार्च में इंडियन ओपन जम्स कॉम्पिटिशन में 8.17 मीटर की जम्प लगाई। इसके बाद अप्रैल में फेडरेशन कप में 8.36 मीटर की जम्प के साथ अपने ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ दिया। मई में ग्रीस में हुई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में श्रीशंकर ने 8.31 मीटर की कूद लगाकर अपनी कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी सभी को दिखा दी थी। जुलाई में हुई विश्व चैंपियनशिप में भी श्रीशंकर पहले तो फाइनल में पहुंचे और फिर सांतवें स्थान पर रहे।

अब ये कॉमनवेल्थ मेडल श्रीशंकर को आने वाले काम्पिटिशन में काफी हौसला देगा और उनके सभी आलोचकों को भी बेहतरीन सबक देगा। श्रीशंकर ने इस मेडल को जीतने के बाद इसे अपने देश, पिता और परिवार को समर्पित किया।

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