एथलीट बनने की ज़िद में 3 दिनों तक खाना नहीं खाया, आज रूपल बन गई नेशनल चैंपियन

रूपल चौधरी ने जूनियर विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर लिया है। (सौ.- AFI)
रूपल चौधरी ने जूनियर विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर लिया है। (सौ.- AFI)

'ज़िद करो, दुनिया बदलो' ये लाइन अक्सर लोग दूसरों का हौसला बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कुछ वाकई इतने जुनून से भरे होते हैं कि ज़िद करके अपनी राह खुद बना लेते हैं। उत्तर प्रदेश की रहने वाली 17 साल की एथलीट रूपल चौधरी ने इसी को साकार करते हुए नेशनल चैंपियन बनने में सफलता हासिल की है। रूपल ने गुजरात के नादियाड में राष्ट्रीय अंडर-20 फेडरेशन कप का जूनियर वर्ग का 400 मीटर दौड़ का गोल्ड जीतकर खुद को साबित किया है। रुपल ने गोल्ड की प्रबल दावेदार मानी जा रही कर्नाटक की प्रिया मोहन को हराते हुए पहला स्थान हासिल किया और सभी को चौंका दिया।

इस गोल्ड के साथ ही रूपल ने अगस्त 2022 में कोलंबिया में होने वाली अंडर-20 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने में भी कामयाबी हासिल की है। रूपल ने 400 मीटर की दूरी 52.48 सेकेंड में पूरी की वहीं प्रिया 52.49 सेकेंड में दूरी पूरी करते हुए सिर्फ 0.01 सेकेंड से गोल्ड चूक गईं। दोनों ने ही विश्व जूनियर चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया है लेकिन नेशनल चैंपियन बनने का रूपल का सफर आसान नहीं रहा। एथलेटिक्स बनने के सपने को पूरा करने के लिए रूपल को अपने परिवार को मनाना पड़ा था जिसके लिए वह भूख हड़ताल पर भी चली गईं।

स्टेडियम की जिद के लिए रही भूखी

रूपल ने पिछले साल ही 12वीं कक्षा पास की। किसान पिता की बेटी रूपल बचपन से ही एथलीट बनने का सपना देखती थीं और अपने पिता ओमवीर सिंह से ये सपना साझा किया। उत्तर प्रदेश में मेरठ से करीब 20 किलोमीटर दूर शाहपुर जैनपुर गांव की रहने वाली रूपल ने पिता से कुछ साल पहले वादा भी लिया कि जैसे ही वो 9वीं कक्षा पास करेंगी तो पिता उन्हें मेरठ के स्टेडियम ले जाएंगे ताकि वो प्रैक्टिस कर सकें।

लेकिन स्टेडियम घर से काफी दूर था, ऐसे में पिता ने असमर्थता दिखाई। रूपल ने जिद की और स्टेडियम जाने की ठानी। जब पिता नहीं माने तो नन्ही उम्र में रूपल भूख हड़ताल पर बैठ गईं। तीन दिनों तक बिना कुछ खाए-पिए जब रूपल ने अपनी जिद बनाए रखी तो मां और पिता दोनों को झुकना ही पड़ा। रूपल को स्टेडियम जाने का मौका मिला और आज 17 साल की उम्र में उनकी बिटिया जूनियर नेशनल चैंपियन बनने में कामयाब हुई है।

17 साल की रूपल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह दिन-रात एक करते हुए मेहनत करती हैं। उनकी मां के लिवर में दिक्कत है जिस कारण घर के काम-काज में भी वो हाथ बंटाती हैं।

विशेष प्रोग्राम के लिए चयनित

पिछले साल अक्टूबर में रूपल ने अंडर-18 नेशनल चैंपियनशिप में 400 मीटर की दौड़ को 53.73 सेकेंड में पूरा किया और सात महीनों में ही अपने प्रदर्शन में 1 सेकेंड से ज्यादा का सुधार किया है। अंडर-18 की जीत के बाद स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानि SAI ने रूपल को पटियाला में विशेष ट्रेनिंग के लिए शॉर्टलिस्ट भी किया।

Edited by Prashant Kumar