इंडियन आर्मी ज्वाइन कर संदीप ने किया एथलीट बनने का सपना पूरा, 10km वॉक में ब्रॉन्ज जीत बनाया इतिहास

संदीप कुमार ने 36 साल की उम्र में 10 हजार मीटर पैदल चाल का ब्रॉन्ज जीता है।
संदीप कुमार ने 36 साल की उम्र में 10 हजार मीटर पैदल चाल का ब्रॉन्ज जीता है।

भारत ने एथलेटिक्स की दुनिया में धीरे-धीरे ही सही अपना मुकाम बनाना शुरु कर दिया है। लंबी दूरी की पैदलचाल के एथलीट संदीप कुमार ने 2022 कॉमनवेल्थ खेलों में पुरुषों की 10 हजार मीटर पैदलचाल में देश को ब्रॉन्ज दिलाकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। 36 साल के संदीप ने अपना पर्सन बेस्ट समय लेकर (38:49:21 मिनट) ये मेडल हासिल किया है।

1 मई 1986 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में जन्में संदीप किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। घर की वित्तीय हालत ठीक नहीं थी, ऐसे में एथलीट बनने का सपना रखने वाले संदीप की पहली प्राथमिकता थी कि परिवार की स्थिति सुधरे इसलिए स्कूलिंग पूरी होने के बाद संदीप ने भारतीय सेना ज्वाइन कर ली। साल 2006 में संदीप जाट रेजिमेंट सेंटर का हिस्सा बने और बस यहीं से उनके एथलीटबनने के सपने को पंख मिल गए।

संदीप का स्टैमिना अच्छा था इसलिए उन्होंने लंबी दूरी की रेस करनी शुरु की। 2009 में हैदराबाद में 50 किलोमीटर पैदलचाल की प्रतियोगिता में संदीप पहले स्थान पर रहे जबकि उसी साल चंडीगढ़ में 10 हजार मीटर पैदल चाल में दूसरा स्थान पाया। 2012 में संदीप ने हैदराबाद में इंटर स्टेट चैंपियनशिप में 20 किलोमीटर रेस में दूसरा स्थान हासिल किया। 2013 में 20 किलोमीटर चाल में संदीप ने फेडरेशन कप का ब्रॉन्ज मेडल जीता।

साल 2014 में संदीप एशियन गेम्स में 50 किलोमीटर पैदल चाल में चौथे स्थान पर रहकर मेडल से चूक गए। 2016 के रियो ओलंपिक में संदीप ने 50 किलोमीटर पैदल रेस में 35वां स्थान हासिल किया। 2017 में संदीप 20 किलोमीटर पैदल चाल में फेडरेशन कप चैंपियन बने। संदीप ने अपने करियर में 5 बार इंडियन रेस वॉकिंग चैंपियनशिप जीत नेशनल चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया है। 2022 मार्च में संदीप मस्कट में हुई वर्ल्ड रेसिंग वॉकिंग टीम चैंपियनशिप में 13वें नंबर पर रहे।

लॉन्ग जम्प सिल्वर मेडलिस्ट श्रीशंकर ने संदीप कुमार को ब्रॉन्ज जीतने के बाद गले लगा लिया।
लॉन्ग जम्प सिल्वर मेडलिस्ट श्रीशंकर ने संदीप कुमार को ब्रॉन्ज जीतने के बाद गले लगा लिया।

अब कॉमनवेल्थ गेम्स में संदीप ने पुरुषों की पैदल चाल में देश को दूसरा मेडल दिलाया है। उनके कोच हरमिंदर सिंह ने 2010 के दिल्ली खेलों में ब्रॉन्ज जीता था। 36 साल के संदीप की फिटनेस देखते ही बनती है। पैदलचाल की स्पर्धाओं में फर्राटा रेस से ज्यादा तकनीक और स्टैमिना की जरूरत होती है। क्योकि 50 किलोमीटर वॉक में तो ऐथलीट को लगातार 4 घंटे तेज स्पीड से चलना होता है। वही बाकि पैदल चाल रेस में भी बहुत ध्यान रखते हुए कदम रखना होता है ताकि किसी भी पल ये न लगे कि ऐथलीट भाग रहा है, क्योंकि ऐसा होने पर तुरंत डिस्क्वालिफिकेशन होता है।

संदीप का ये मेडल देश के ऐथलेटिक्स में प्रदर्शन की बेहतरी का प्रतीक है। संदीप का अगला लक्ष्य पेरिस ओलंपिक खेलों में मेडल लाने का है।

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