गायत्री और त्रीसा के चैंपियन बनने में परिवार ने निभाई अहम भूमिका, कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज जीत बढ़ाया मान

19 साल की त्रीसा और गायत्री ने कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला डबल्स का ब्रॉन्ज जीता
19 साल की त्रीसा और गायत्री ने कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला डबल्स का ब्रॉन्ज जीता

भारत को बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में त्रीसा जॉली और गायत्री गोपीचंद ने बैडमिंटन महिला डबल्स का ब्रॉन्ज मेडल दिलाकर पदक तालिका में स्थिति मजबूत की। 19 साल की इन दो खिलाड़ियों ने अपने-अपने पिता की वजह से ही इस खेल को चुना। परिवार के सपोर्ट के कारण ही दोनों ने इतनी कम उम्र में देश को मेडल दिलाने में कामयाबी हासिल की।

गायत्री के पिता पूर्व ऑल इंग्लैंड चैंपियन पुलेला गोपीचंद हैं और मां पी वी लक्ष्मी भी बैडमिंटन प्लेयर रही हैं। घर पर माहौल ही बैडमिंटन का था तो ऐसे में गायत्री को भी बचपन से ही खेल से लगाव हो गया। 4 मार्च 2003 को जन्मीं गायत्री को जाहिर तौर पर पिता की अकादमी में ही बैडमिंटन ट्रेनिंग मिली।

त्रीसा केरल के कन्नूर जिले की रहने वाली हैं। पिता ने बचपन से ही बेटी को खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। वॉलीबॉल और फुटबॉल के लिए मशहूर कन्नूर में त्रीसा ने बैडमिंटन को बतौर स्पोर्ट चुना।2 7 मई 2003 को जन्मीं त्रीसा ने 5 साल की उम्र से ही बैडमिंटन ट्रेनिंग करनी शुरु की।

त्रीसा और गायत्री ने साल 2021 से साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेना शुरु किया। 2021 में दोनों वेल्श इंटरनेशनल में उपविजेता रहीं, और इंडिया ओपन इंटरनेशनल का खिताब जीता। पोलिश इंटरनेशनल में भी ये जोड़ी उपविजेता रही। इस साल त्रीसा और गायत्री ने ओडिशा ओपन में खिताबी जीत दर्ज की। त्रीसा ने इस स्पर्धा में मिक्स्ड डबल्स का सिल्वर जीता। दोनों सैयद मोदी इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भी उपविजेता रहीं।

साल 2019 में गायत्री ने साउथ एशियन गेम्स के सिंगल्स में सिल्वर मेडल हासिल किया था। उसी साल गायत्री नेपाल इंटरनेशनल में भी सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रहीं। कॉमनवेल्थ गेम्स में दो दौर जीतकर त्रीसा-गायत्री की जोड़ी महिला डबल्स के सेमीफाइनल में पहुंची थी। यहां उन्हें मलेशिया की पर्ली टैन-तीना मुरलीधरन ने हराया। खास बात ये है कि मलेशिया के खिलाफ मिक्स्ड टीम इवेंट फाइनल में भी इसी जोड़ी ने त्रीसा-गायत्री को हराया था। ब्रॉन्ज मेडल के मैच में भारतीय जोड़ी ने ऑस्ट्रलियाई जोड़ी को मात देते हुए अपने करियर का पहला कॉमनवेल्थ डबल्स मेडल हासिल किया। गायत्री के पिता पुलेला गोपीचंद ने 1998 के कुआलालम्पुर कॉमनवेल्थ गेम्स में सिंगल्स में ब्रॉन्ज और टीम इवेंट में सिल्वर जीता था।

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