एशियाई गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट बॉक्सर एनगांगोम डिंको सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। 42 साल के डिंको सिंह लंबे समय से कैंसर से लड़ाई कर रहे थे। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मणिपुर के इंफाल पूर्वी जिला के सेक्ता गांव में अपने घर में डिंको सिंह ने अंतिम सांस ली। डिंको सिंह को कई सालों से लीवर कैंसर था और पिछले साल वह कोरोना वायरस की चपेट में भी आए थे। डिंको सिंह के घर में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं।
मणिपुर के सुपरस्टार डिंको सिंह ने 10 साल की उम्र में अपना पहला राष्ट्रीय खिताब (सब जूनियर) जीता था। वह भारतीय मुक्केबाजी के पहले स्टार मुक्केबाज थे, जिनके एशियम गेम्स में गोल्ड मेडल ने छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरीकॉम सहित कई लोगों को बॉक्सिंग से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
डिंको को एक निडर मुक्केबाज माना जाता था। उन्होंने बैंकॉक एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल की अपनी राह में दो ओलंपिक पदक विजेताओं थाईलैंड के सोनताया वांगप्राटेस और उज्बेकिस्तान के तैमूर तुलयाकोव को हराया था, जो उस समय किसी भारतीय मुक्केबाज के लिये बड़ी उपलब्धि थी। दिलचस्प बात यह है कि उन्हें खेलों के लिये शुरुआती टीम में नहीं चुना गया था और विरोध दर्ज करने के बाद उन्हें टीम में लिया गया था।
भारतीय नौसेना में काम करने वाले डिंको मुक्केबाजी से संन्यास लेने के बाद कोच बन गये थे। वह भारतीय खेल प्राधिकरण के इम्फाल केंद्र में कोचिंग दिया करते थे लेकिन बीमारी के कारण बाद में अपने घर तक ही सीमित हो गये थे।
खेल जगत ने डिंको सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया
मणिपुर के मुख्यमंत्री नोंगथोमबाम बिरेन सिंह ने डिंको के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, 'मैं आज सुबह श्री एन डिंको सिंह के निधन से हैरान व गहरे दुख में हूं। पद्म श्री अवॉर्डी डिंको सिंह मणिपुर के बेहतरीन मुक्केबाजों में से एक थे। शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। उनकी आत्मा को शांति मिले।'
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निंगोबाम ने बॉक्सिंग लेजेंड के अचानक निधन पर शोक व्यक्त किया। फेसबुक पोस्ट में ज्ञानेंद्रो ने लिखा, 'हम सुबह एनजी डिंको सिंह के निधन के बारे में जानकर हैरान और दुखी हैं। लेजेंड मुक्केबाज ने 1998 एशियाई गेम्स बैंकॉक में गोल्ड मेडल जीता था। 2013 में उन्हें देश के प्रतिष्ठित अवॉर्ड पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उन्हें अर्जुन अवॉर्ड भी मिला। उनके असमायिक निधन ने पूरे खेल जगत को दुखी किया है। ऊॅं शांति।'