निखत जरीन भारत की बॉक्सिंग 'गोल्डन गर्ल' बन चुकी हैं। विश्व चैंपियनशिप का गोल्ड जीतने के बाद निखत ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में महिलाओं की लाईट फ्लाईवेट यानी 50 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड जीत अपनी झोली में एक और मेडल डाल लिया है। निखत ने इस मेडल को अपनी मां को समर्पित किया है और उन्हें तोहफे के रूप में मेडल पहनाना चाहती हैं क्योंकि बीते 3 अगस्त को उनकी मां का जन्मदिन था और माता-पिता के प्रयासों से मिली सफलता को निखत सबसे ऊपर मानती हैं।
14 जून 1996 को जन्मीं निखत का परिवार तेलंगाना के निजामाबाद से ताल्लुक रखता है। पिता मोहम्मद जमील अहमद खुद भी बॉक्सर रह चुके थे और बेटी को भी बॉक्सिंग सिखाना शुरु किया। इस दौरान निखत के पिता को कई लोगों ने टोका कि अपनी बेटी को बॉक्सिंग जैसा खतरनाक खेल न सिखाएं, लेकिन पिता के हौसले बुलंद थे और बेटी के इरादे भी। साल 2011 में निखत ने तुर्की में हुई यूथ और जूनियर विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। 2014 में वो यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में दूसरे नंबर पर रहीं।
2015 में निखत नेशनल चैंपियन बनने में कामयाब हुईं। 2019 के थाईलैंड ओपन में निखत को सिल्वर मिला। इसके बाद 2019 और 2022 में बुल्गारिया में होने वाले स्ट्रैड्जा मेमोरियल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में निखत ने गोल्ड जीता। इसी साल मई में निखत ने IBA विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 52 किलोग्राम कैटेगरी में गोल्ड जीता और ऐसा करने वाली पांचवी भारतीय महिला मुक्केबाज बन गईं।
निखत बर्मिंघम खेलों के शुरु होने से पहले ही गोल्ड की सबसे प्रबल दावेदार मानी जा रही थीं। निखत का खेल इतना जबरदस्त था कि उन्होंने अपनी सारी बाउट 5-0 के अंतर से एकतरफा तरीके से जीतीं।
निखत ने 3 अगस्त को अपनी मां के जन्मदिन पर उनके साथ तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था कि वापस आते हुए गोल्ड के रूप में उनका गिफ्ट लाएंगी, और इस वादे को उन्होंने 7 अगस्त को पूरा भी कर दिया। निखत के मुताबिक वो घर जाकर सबसे पहले तोहफे के रूप में मां को अपना मेडल सौंपेंगी क्योंकि आज वो जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचाने के लिए उनके मां-बाप ने काफी संघर्ष किया।