पिछले एक दशक में क्रिकेट के खेल में काफी परिवर्तन हुए हैं, या यूं कहें कि जब से टी20 क्रिकेट का चलन बढ़ा है, तब से ही लोग वनडे और टेस्ट क्रिकेट को उतना तरजीह नहीं देते, जितना कि एक समय पर इन्हें मिलती थी। भले ही आज लोग टेस्ट क्रिकेट को इतना महत्व नहीं देते लेकिन एक बेहतरीन क्रिकेटर की पहचान टेस्ट क्रिकेट में उसकी सफलता से ही आंकी जाती है।
टी20 क्रिकेट के इस दौर में हमें भले ही कम समय में बड़ा स्कोर करने वाले और बड़े शॉट्स लगाने वाले क्रिकेटर मिले हों लेकिन टेस्ट क्रिकेट के जरिए हमें ऐसे खिलाड़ी मिलते थे, जो अपनी टीम की ओर से जिम्मेदारी उठाकर क्रीज पर टिके रहते और एकतरफा रन बनाने का काम करते थे।
टी20 क्रिकेट भले ही रोमांच से भरपूर रहा हो लेकिन असल में टेस्ट क्रिकेट का महत्व काफी अधिक है। यही कारण है कि भारत को एक समय में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे बल्लेबाज मिले। जिनका वनडे क्रिकेट के साथ-साथ टेस्ट क्रिकेट में भी रिकॉर्ड बेहद शानदार है। जबकि कुछ ऐसे भी भारतीय क्रिकेटर हुए हैं, जिन्हें टेस्ट क्रिकेट में शानदार रिकॉर्ड के बाद भी टेस्ट टीम से बाहर कर दिया गया।
आज हम आपको ऐसे ही तीन भारतीय खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें उनके शानदार रिकॉर्ड के बाद भी राष्ट्रीय टीम से बाहर कर दिया गया।
#3 सदगोपन रमेश
सदगोपन रमेश की गिनती भारतीय टेस्ट क्रिकेट के बेहतरीन बल्लेबाजों में की जाती है, क्योंकि उन्होंने साल 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ लगातार चार पारियों में 200 से भी ज्यादा रन बनाए थे और खूब सुर्खियां बटोरी थीं। इस बल्लेबाज ने श्रीलंका के खिलाफ भी अगली सीरीज में शानदार 143 रन बनाए और राहुल द्रविड़ के साथ मिलकर 232 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी की।
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इसके बाद रमेश ने 1999 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में 4 पारियों में 60 रन ही बनाए, जिसके बाद साल 2000 में रमेश ने बांग्लादेश के खिलाफ मजबूत वापसी की और एक महत्वपूर्ण अर्धशतक बनाया लेकिन इसके बाद वह बड़ा स्कोर बनाने में असफल रहे। रमेश ने अपनी अंतिम टेस्ट सीरीज श्रीलंका के खिलाफ खेली थी और उसमें 37.16 के औसत से 223 रन बनाए थे लेकिन कभी वापसी नहीं कर सके। रमेश ने भारत के लिए अपने टेस्ट करियर में 19 मैच खेले और उसमें 1367 रन बनाए।
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#2 प्रवीण आमरे
प्रवीण आमरे ने 1992 में दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गई भारतीय टीम की ओर से खेलते हुए अपने पहले ही टेस्ट मैच में शानदार शतक बनाया था। जिसके बाद उन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। भारतीय टीम में मध्यक्रम में बल्लेबाजी करने वाले इस क्रिकेटर ने कई बेहतरीन पारियां खेलीं लेकिन चयनकर्ताओं को रिझाने में यह बल्लेबाज असफल रहा।
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प्रवीण आमरे ने अपने टेस्ट करियर भारत के लिए 13 पारियां खेली और उनमें 42.50 की औसत से 425 रन बनाए थे लेकिन 1993 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उनके खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और वह फिर कभी भी राष्ट्रीय टीम में वापसी नहीं कर सके, आमरे ने अपने करियर के दौरान लगातार तीन टेस्ट पारियों में अर्धशतक भी बनाया है।
#1 विनोद कांबली
इस क्रिकेटर के भाग्य ने शायद इनका साथ नहीं दिया, नहीं तो आज के समय पर विनोद कांबली का नाम भी क्रिकेट जगत में सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली के बाद शान से लिया जाता। विनोद कांबली ने अपने टेस्ट करियर की चौथी और पांचवी पारी में ही लगातार दो दोहरे शतक बनाए और हर किसी को हैरान कर दिया। इन पारियों के साथ ही कांबली को आने वाले समय में टेस्ट क्रिकेट का स्टार समझा जा रहा था लेकिन किसी को नहीं पता था कि इनका करियर भी ज्यादा लंबा नहीं चलेगा।
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कांबली ने अपने टेस्ट करियर में कुल 21 पारियां खेली हैं, जिनमें उन्होंने 54.20 की औसत से 1084 रन बनाए हैं। कांबली को 1995 में भारतीय टेस्ट टीम से बाहर कर दिया गया और फिर वह कभी भी वापसी नहीं कर सके। कांबली ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी मुंबई की ओर से खेलते हुए 59.20 की औसत से कुल 9965 रन बनाए हैं।