भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई महान कप्तान हुए हैं, जिन्होंने अपने दृष्टिकोण और अपने प्रयासों से भारतीय क्रिकेट को एक नए आयाम पर पहुंचाया है। एक समय ऐसा भी आया था, जब भारत के महान कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन और उनके साथी अजय जडेजा मैच फिक्सिंग के आरोप में लिप्त पाए गए थे। जिसके बाद यह सवाल खड़ा हुआ कि उनकी गैरमौजूदगी में भारतीय टीम का सबसे परफेक्ट कप्तान कौन होगा।
ऐसे में भारतीय टीम की कप्तानी सौरव गांगुली को सौंपी गई। वहीं गांगुली ने भी अपनी दूरदृष्टि और कप्तानी क्षमता से टीम को नए मुकाम पर पहुंचाया और साथ ही टीम को ऐसे खिलाड़ी चुनकर दिए, जिन्होंने भारत को एक बार फिर से विश्व चैंपियन बनाया। इन खिलाड़ियों में युवराज सिंह, जहीर खान, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, आशीष नेहरा, गौतम गंभीर और एमएस धोनी का नाम शामिल है।
गांगुली की कप्तानी में भारत ने साल 2000 से 2005 के बीच भारत ने सबसे पहले पोर्ट ऑफ स्पेन में एक टेस्ट सीरीज जीती, इसके बाद इंग्लैंड में 2002 में एक टेस्ट सीरीज 1-1 से ड्रॉ की और उसके बाद 2003-04 में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी बरकरार रखी और उसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ वनडे और टेस्ट सीरीज में जीत दर्ज की।
उनकी इन उपलब्धियों के कारण गांगुली का नाम भारत के सबसे सफल कप्तानों में शुमार किया जाता है लेकिन इस दौरान कुछ ऐसे पल भी आए, जब उनकी कप्तानी में भारत के करोड़ों देशवासियों का दिल टूटा। आज हम आपको उन्हीं 4 मौकों के बारे में बताने जा रहे हैं।
#4 भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया (2003 विश्व कप, फाइनल मैच)
भारतीय क्रिकेट टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए विश्वकप 2003 के फाइनल में जगह बनाई। नीदरलैंड पर शानदार जीत के साथ विश्वकप अभियान की शुरुआत की लेकिन किसी को नहीं मालूम था कि भारतीय टीम लगातार जीत हासिल करने के साथ ही फाइनल में पूर्व चैंपियन से भिड़ेगी।
लेकिन फाइनल में भारतीय क्रिकेट टीम को विरोधी ऑस्ट्रेलिया के हाथों 125 रनों से हार मिली। उस टूर्नामेंट के फाइनल मैच में भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया।
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इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पॉन्टिंग की 140 रनों की पारी और मार्टिन की 88 रनों की पारी ने भारत को इस मैच से दूर कर दिया था। इन खिलाड़िंयों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने मैच में 359 रन बनाए थे। जिसके जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम मात्र 234 रनों पर ही आलआउट हो गई और भारत को इस मैच में 125 रनों के भारी अंतर से हार मिली।
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#3 भारत बनाम न्यूजीलैंड, आईसीसी नॉकआउट फाइनल- 2000
कप्तान सौरव गांगुली की अगुवाई में भारतीय टीम ने पहली बार आईसीसी नॉकआउट जैसा बड़ा टूर्नामेंट खेला था। इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम को युवराज सिंह और जहीर खान जैसे दो दिग्गज खिलाड़ी मिले थे। जिन्होंने इस टूर्नामेंट भारतीय टीम के विजयी अभियान में बराबर का योगदान दिया था। जिसकी वजह से भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका जैसी टीमों को टूर्नामेंट से बाहर कर दिया और फाइनल में भारतीय टीम की भिड़ंत न्यूजीलैंड जैसी टीम से हुई।
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इस मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी की और भारत के कप्तान सौरव गांगुली ने 130 गेदों मे शानदार शतक जड़ते हुए 117 रन बनाए। जिसकी मदद से भारत ने 50 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 264 रन बना लिए थे। वहीं गेंदबाजी करते हुए भी भारत ने मजबूत शुरुआत की थी। भारत की ओर से वेंकटेश प्रसाद ने 7 ओवर में 27 रन देते हुए 3 विकेट झटके थे। हालांकि विरोधी टीम के क्रिस केर्न्स के शतक की मदद से मैच के अंतिम ओवर में न्यूजीलैंड ने छह विकेट खोते हुए लक्ष्य को प्राप्त कर लिया और भारत को एक बहुत बड़ी हार का सामना करना पड़ा।
#2 35 साल बाद ऑस्ट्रेलिया के हाथों घर पर मिली हार (1-2, 2004)
सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत को सबसे बड़ी हार 2004 में ऑस्ट्रेलिया के हाथों अपने ही घर पर मिली। 2004-05 में हुई बॉर्डर-गावस्कर सीरीज प्रत्येक भारतीय को निराश करने वाली थी।
पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने बैंगलोर में माइकल क्लार्क के शानदार शतक के बल पर 217 रन से जीत दर्ज करी थी। हालांकि इसके बाद दूसरे मैच में भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग और गेंदबाज अनिल कुंबले की बदौलत भारतीय टीम ने सीरीज में जोरदार वापसी की लेकिन दूसरा मैच बारिश की भेंट चढ़ गया।
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वहीं इसके बाद तीसरे मैच में ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय टीम पर 342 रनों की शानदार जीत दर्ज की और इस सीरीज में एकतरफा बढ़त बना ली थी। क्योंकि अगर चौथा और अंतिम मैच भारत जीत भी जाता, तो भी उसे सीरीज में हार मिलती। हुआ भी ऐसा ही, भारत ने अंतिम टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया पर 13 रनों से जीत दर्ज की लेकिन पिछले कुछ मैचों में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय टीम को फिर से निराशा हाथ लगी।
#1 पाकिस्तान से 2-4 के अंतर से मिली हार- 2005
सौरव गांगुली की कप्तानी में सबसे बड़ी हार भारत को 2005 में मिली और वो भी अपने चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के हाथों। उस दौरान पाकिस्तान के साथ भारत ने 6 मैचों की वनडे सीरीज खेली थी और सीरीज में भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 2-0 से बढ़त बनाई थी। पहले मैच में भारत ने 58 रन से और दूसरे मैच में 148 रनों से जीत दर्ज की थी।
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लेकिन तीसरे मैच के बाद से तो जैसे पासा ही पलट गया। तीसरे मैच के बाद पाकिस्तानी टीम ने भारत को लगातार चार मैच हराए। जिसमें तीसरा मैच 106 रन से, चौथा मैच तीन विकेट, पांचवां मैच पांच विकेट और अंतिम मैच 159 रनों से हराया था।
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