प्रत्येक खेल में घरेलू मैदानों का कुछ अहम फायदा होता है। घरेलू टीम के प्रशंसक बड़ी संख्या में अपने स्थानीय पसंदीदा खिलाड़ियों का समर्थन करने के लिए स्टेडियम में आते हैं। क्रिकेट में घरेलू मैदान का फायदा सिर्फ समर्थन तक ही सीमित नहीं है। हर देश में स्थिति कुछ अलग होती है। तापमान, हवा की गति, आर्द्रता, पिच की प्रकृति, ग्राउंड की साइज- सब कुछ क्रिकेट के खेल में प्रमुख भूमिका निभाता है।
उदाहरण के लिए, भारतीय उप-महाद्वीप की धूल भरी पिचों पर गेंद को अधिक टर्न मिलेगी, जिससे स्पिनरों को अधिक मदद मिलती है। ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका की पिचों पर ज्यादा उछाल होता है जो तेज गेंदबाजों के लिए मददगार साबित होता है। अगर हम इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड की पिचों को देखें तो यहां गेंद अधिक स्विंग होती है।
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शायद यही कारण है कि मेजबान देशों को द्विपक्षीय श्रृंखलाओं और आईसीसी टूर्नामेंटों में अन्य टीमों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हुए देखा गया है। वर्ल्ड कप के अब तक कुल 11 संस्करण खेले जा चुके हैं, जिसमें से 3 मौके ऐसे आए हैं जब मेजबान देशों ने खिताब जीता है। आज हम इसी के बारे में बात करने जा रहे हैं।
#3. श्रीलंका (1996):
साल 1996 के वर्ल्ड कप की मेजबानी संयुक्त रूप से भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका कर रहे थे। श्रीलंका पहली बार वर्ल्ड कप की मेजबानी कर रहा था, जबकि भारत और पाकिस्तान दूसरी बार संयुक्त रूप से वर्ल्ड कप की मेजबानी कर रहे थे।
श्रीलंका के ने इस मौके को अच्छे से भुनाया। लीग मैचों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद एवं कोलकाता के ईडन गार्डंस मैदान में खेले गए सेमीफाइनल मैच में सह-मेजबान भारत को हराकर वे फाइनल में पहुंचे थे। उन्होंने वर्ल्ड कप 1996 के फाइनल मैच में लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया को 7 विकेट से हराकर अपना पहला एवं इकलौता वर्ल्ड कप का खिताब जीता।
इस टूर्नामेंट में भारत के सचिन तेंदुलकर (523 रन) सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज थे, जबकि अनिल कुंबले (15 विकेट) सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे।
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#2. भारत (2011):
साल 2011 के वर्ल्ड कप की मेजबानी संयुक्त रूप से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका करने वाले थे, लेकिन साल 2009 में श्रीलंका टीम के ऊपर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से मेजबानी वापस ले ली गई और भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका ने वर्ल्ड कप 2011 की मेजबानी की।
भारतीय टीम और श्रीलंका टीम लीग मैचों में अच्छा प्रदर्शन करके फाइनल में पहुंचे थे। ऐसा पहली बार हो रहा था, जब दो एशियाई देश एक दूसरे से वर्ल्ड कप फाइनल में भिड़ने जा रहे थे। फाइनल मुकाबला मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया था, जिसमें महेंद्र सिंह धोनी ने नुवान कुलशेखरा की गेंद पर छक्का जड़कर अपने टीम को जीत दिलाई थी। इसी के साथ भारतीय टीम पहली ऐसी टीम बनी, जिन्होंने अपने देश में वर्ल्ड कप का फाइनल जीता।
इस टूर्नामेंट में श्रीलंका के तिलकरत्ने दिलशान (500 रन) सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज थे, जबकि जहीर खान और शाहिद अफरीदी 21 विकेट के साथ संयुक्त रूप से सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे।
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#1. ऑस्ट्रेलिया (2015):
साल 2015 के वर्ल्ड कप की मेजबानी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड संयुक्त रूप से मेजबानी किया रहा। यह दूसरी बार था जब इन दोनों पड़ोसी देश वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी।
दोनों मेजबान देशों ने लीग मैचों में शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल में पहुंचे थे। फाइनल मुकाबला मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में खेला गया था। इस मैच को देखने लगभग 93 हजार दर्शक देखने पहुँचे थे।
न्यूजीलैंड टीम सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची थी, जबकि ऑस्ट्रेलिया टीम 7वीं बार फाइनल खेल रही थी। न्यूजीलैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए मात्र 183 रन बनाए। जवाब में उतरी ऑस्ट्रेलिया टीम ने 7 विकेट से मैच जीत लिया।
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इस टूर्नामेंट में न्यूजीलैंड के मार्टिन गप्टिल (543 रन) सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज थे, जबकि ऑस्ट्रेलिया के मिचेल स्टार्क और न्यूजीलैंड के ट्रेंट बोल्ट 22 विकेट के साथ संयुक्त रुप से सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे।