आईपीएल 2019 काफी अच्छा चल रहा है और पूरे हफ्ते क्रिकेट प्रेमियों को धमाकेदार मैच देखने को मिल रहे हैं। इस सीजन आंद्रे रसेल का बल्ला जमकर बोला है और उन्होंने कई मौकों पर विपक्षी टीमों के मुंह से जीत छीनकर कोलकाता नाइटराइडर्स को जीत दिलाई है। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए सीजन बेहद निराशाजनक रहा है और टीम अबतक सिर्फ दो ही मैच जीत पाई है।
नीलामी में सभी टीमों ने बेहतरीन से बेहतरीन खिलाड़ी खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन कुछ खिलाड़ी उम्मीद के हिसाब से प्रदर्शन नहीं कर सके हैं। कुछ खिलाड़ी ऐसे भी रहे हैं जिन्हें खरीद तो लिया गया है, लेकिन उन्हें प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं बनाया गया है। कुछ खिलाड़ियों को 3-4 मैच में मौका देने के बाद बेंच पर बैठा दिया गया है।
एक नजर डालते हैं उन 5 खिलाड़ियों पर जिन्हें उनकी टीमों को नहीं खरीदना चाहिए था।
#5 मनन वोहरा (राजस्थान रॉयल्स)
2013 में किंग्स इलेवन पंजाब के साथ आईपीएल करियर शुरु करने वाले मनन वोहरा ने पंजाब के लिए कई यादगार पारियां खेली थी, जिसमें सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ 2017 में खेली गई 95 रनों की पारी भी शामिल है। 2018 में वोहरा को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने खरीदा, लेकिन पूरे सीजन में उन्हें केवल 4 मुकाबले खेलने का ही मौका मिला।
इस सीजन वोहरा को राजस्थान ने 20 लाख रुपये की बेस प्राइस में खरीदा। 2018 में 1 करोड़ 10 लाख में बिकने वाले खिलाड़ी का इस सीजन इतने कम दाम में बिकना यह संकेत था कि राजस्थान ने उन्हें बैकअप खिलाड़ी के तौर पर खरीदा है। राजस्थान के टॉप ऑर्डर में जोस बटलर, अजिंक्या रहाणे और स्टीव स्मिथ जैसे खिलाड़ी हैं। यहां तक कि राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स के लिए ओपनर के तौर पर काफी सफल रहे राहुल त्रिपाठी को भी चौथे नंबर पर उतारा जा रहा है। वोहरा को इस सीजन एक भी मुकाबले खेलने का मौका नहीं मिला है।
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#4 हनुमा विहारी (दिल्ली कैपिटल्स)
दिल्ली कैपिटल्स इस सीजन शानदार फॉर्म में चल रही है और टीम ने 9 में से 5 मुकाबले जीते हैं। दिल्ली ने इस सीजन के लिए अपनी टीम का चुनाव बेहद बुद्धिमानी के साथ किया है, लेकिन हनुमा विहारी को खरीदना समझ से परे है। विहारी ने 2015 में आखिरी बार आईपीएल खेला था और मैचों में 39 रन बनाए थे। दिल्ली ने 4 साल बाद उनकी आईपीएल में वापसी कराई।
हालांकि, दिल्ली को उन्हें इसलिए नहीं खरीदना चाहिए था क्योंकि टीम का टॉप और मिडिल ऑर्डर पहले से भरा पड़ा है और उन्हें किसी ऑलराउंडर या फिर मैच फिनिशर को लेना चाहिए था। विहारी को दो मैच फिनिश करने के मौके मिले, लेकिन वह बुरी तरह नाकाम रहे और दोनों ही मैचों में मिलाकर वह केवल 4 रन बना सके। यदि दिल्ली ने किसी बढ़िया फिनिशर को लिया होता तो उनकी बल्लेबाजी और भी ज्यादा मजबूत होती।
#3 वरुण चक्रवर्ती (किंग्स XI पंजाब)
किंग्स इलेवन पंजाब ने इस सीजन वरुण चक्रवर्ती को 8 करोड़ 40 लाख रूपए में खरीदा था और वह इस सीजन के संयुक्त रूप से सबसे महंगे खिलाड़ी रहे थे। अपने पहले मुकाबले में ही चक्रवर्ती को सुनील नारेन की पिटाई का शिकार होना पड़ा था और आईपीएल के अपने ओवर में ही उन्होंने 25 रन लुटाए थे। हालांकि, मुकाबले में चक्रवर्ती ने 35 रन देकर 1 विकेट हासिल किया था, लेकिन वह इस सीजन उनका अब तक का इकलौता मैच रहा।
पंजाब की टीम में पहले से ही रविचंद्रन अश्विन और मुजीब उर रहमान जैसे स्पिनर्स थे और उन्होंने मुरुगन अश्विन को भी खरीद लिया था तो फिर चौथे स्पिनर की बजाय उन्हें किसी बढ़िया ऑलराउंडर को खरीदना चाहिए था क्योंकि पंजाब के पास कोई अच्छा ऑलराउंडर नहीं दिखाई दे रहा है। वैसे भी पहला सीजन खेल रहे खिलाड़ी पर इतने ज़्यादा पैसे लगाना बुद्धिमानी नहीं मानी जा सकती।
#2 शिमरोन हेटमायर (रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर)
रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने अपनी बल्लेबाजी को और मजबूत करने के लिए वेस्टइंडीज के युवा विस्फोटक बल्लेबाज शिमरोन हेटमायर को खरीदा। बैंगलोर ने हेटमायर के लिए 5 करोड़ रूपए खर्च किए, लेकिन हेटमायर उनके लिए बुरी तरह फ्लॉप साबित हुए। 4 मैचों में मात्र 15 रन बनाने वाले हेटमायर फिलहाल बेंच पर बैठे हैं और अब शायद बैंगलोर उन्हें खरीदने पर पछता रही होगी।
हर साल बैंगलोर की गेंदबाजी उनके लिए सिरदर्द साबित होती है, लेकिन फिर भी नीलामी में वे कोई ढंग का गेंदबाज नहीं खरीद पाते हैं। बैंगलोर के पास पहले से ही काफी मजबूत बल्लेबाजी थी तो उन्हें हेटमायर की जगह किसी विदेशी तेज गेंदबाज को खरीदना चाहिए था क्योंकि फिलहाल टीम में जो भी तेज गेंदबाज हैं वो काफी महंगे साबित हुए हैं। बड़ा स्कोर बनाने के बावजूद बैंगलोर को अपनी गेंदबाजी के कारण मुकाबले गंवाने पड़े हैं।
#1 युवराज सिंह (मुंबई इंडियंस)
युवराज सिंह को इस सीजन मुंबई इंडियंस ने खरीदा था और उन्हें खरीदे जाने के बाद से ही सवाल उठ रहे थे कि उन्हें किस नंबर पर बैटिंग कराई जाएगी। टूर्नामेंट के अपने पहले मैच में मुंबई ने उन्हें चौथे नंबर पर उतारकर उन सवालों पर लगाम लगा दिया और युवराज ने भी शानदार अर्धशतक लगाते हुए खुद के खरीदे जाने को सार्थक सिद्ध करने की कोशिश की।
बैंगलोर के खिलाफ युवराज ने युजवेंद्र चहल की तीन गेंदों पर लगातार तीन छक्के लगाकर फैंस को 2007 टी-20 वर्ल्ड कप का वह मुकाबला याद दिला दिया जिसमें उन्होंने स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में 6 छक्के लगा दिए थे। अगले दो मैचों में युवराज का प्रदर्शन साधारण रहा, लेकिन 4 मैचों में 98 रन बनाना कोई खराब प्रदर्शन नहीं था। हालांकि, 4 मैच के बाद युवराज को बाहर च कर दिया गया और उनकी जगह इशान किशन को उतारा जाने लगा। यदि मुंबई को युवा खिलाड़ियों को ही मौके देने थे तो फिर उन्हें युवराज को नहीं खरीदना चाहिए था क्योंकि भारत को दो वर्ल्ड कप दिलाने वाले चैंपियन का बेंच पर बैठना क्रिकेट प्रेमियों को काफी खल रहा है।