ऑस्ट्रेलिया ने भारत दौरे की शुरूआत शानदार तरीके से करते हुए टी20 सीरीज में भारत का 2-0 से सफाया किया। बैंगलोर में खेले दूसरे टी20 में ऑस्ट्रेलिया में ग्लेन मैक्सवेल (113*) के तूफानी शतक की बदौलत मेजबान टीम को 7 विकेट से हराया।
भारतीय टीम ने केएल राहुल (47), महेंद्र सिंह धोनी (40) और कप्तान विराट कोहली (72*) की शानदार पारियों की बदौलत 190-4 का स्कोर खड़ा किया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने 19.4 ओवर में ही इस लक्ष्य को हासिल कर लिया।
आइए नजर डालते हैं भारत को दूसरे मैच में मिली हार के मुख्य कारणों पर:
#5) शिखर धवन की धीमी बल्लेबाजी
दूसरे टी20 के लिए भारत ने रोहित शर्मा को आराम देकर शिखर धवन को मौका दिया। हालांकि शिखर धवन एक बार फिर प्रभावित करने में नाकाम रहे और उनकी बल्लेबाजी भारत की हार की मुख्य कारणों में से एक रहा।
धवन ने दूसरे मैच में 24 गेंद खेली, जिसमें वो सिर्फ 14 रन ही बना पाए और उसमें सिर्फ एक चौका ही शामिल था। धवन को संघर्ष करते हुए ही देखा गया। राहुल के आउट होने के बाद धवन के ऊपर जिम्मेदारी थी कि वो लंबी पारी खेले, लेकिन उनके आउट होने से टीम के ऊपर दबाव बन गया।
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#4) टीम का चयन
भारतीय टीम ने दूसरे मैच में तीन बदलाव करके सबको चौंका दिया। इस मैच में रोहित शर्मा, उमेश यादव और मयंक मार्कंडे की जगह शिखर धवन, विजय शंकर और सिद्धार्थ कौल को टीम में शामिल किया गया। हालांकि भारत ने बल्लेबाजी को मजबूत करने के चक्कर में गेंदबाजी को काफी कमजोर कर दिया।
भारत ने सिर्फ 5 ही स्पशेलिस्ट गेंदबाज खिलाए और जिसमें एक गेंदबाज विजय शंकर थे, जिन्होंने काफी समय से भारत के लिए गेंदबाजी नहीं की थी। इससे फर्क यह पड़ा कि युजवेंद्र चहल काफी महंगे साबित हुए और कप्तान के पास गेंदबाजी के लिए कोई दूसरा विकल्प ही नहीं था। न्यूजीलैंड के खिलाफ हुई सीरीज मे यह कमी देखी गई थी, जहां भारत ने 2 बार 200 से ज्यादा रन दिए थे।
#3) वर्ल्ड कप के कारण टी20 में जरूरत से ज्यादा प्रयोग करना
इस समय भारत की नजर कुछ महीने बाद होने वाले वर्ल्डकप के ऊपर है, उसी की वजह से टीम टीै20 में काफी प्रयोग कर रही है और उसका खामियाजा टीम ने लगातार दो टी20 सीरीज में शिकस्त झेलकर चुकाना पड़ा।
पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ और अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम नहीं खिलाई है। टीम वर्ल्ड कप के लिए खिलाड़ियों को परखने के लिए टी20 फॉर्मेट को गंभीरता से नहीं रही है। हालांकि उम्मीद की जानी चाहिए कि वनडे सीरीज में ऐसा देखने को मिले, क्योंकि टीम विश्वकप में घरेलू सीरीज हारकर नहीं जाना चाहेगी।
#2) बीच के ओवरों में दबाव नहीं बना पाना
भारत जब बल्लेबाजी कर रहा था, तो अच्छी शुरूआत के बावजूद बीच के ओवर में एक साथ दो-तीन विकेट गंवाने के कारण टीम ज्यादा दबाव नहीं बना पाई और वो लय प्राप्त करते हुए ही नजर आए। ऐसा ही कुछ ऑस्ट्रेलियाई पारी के दौरान भी देखने को मिला।
6 से 14 ओवर के बीच में जहां उम्मीद थी कि गेंदबाज ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को आउट कर उनको दबाव में डालेंगे, लेकिन इसमें भारतीय टीम पूरी तरह से विफल रही। मेहमान टीम ने दोनों ही मुकाबलों में बीच के ओवर में जबरदस्त खेल दिखाया, जिसके कारण वो सीरीज को 2-0 से जीतने में कामयाब हुए।
#1) ग्लेन मैक्सवेल की धुआंधार शतकीय पारी
ऑस्ट्रेलिया के लिए दोनों ही मुकाबलों में जो सबसे शानदार चीज रही, वो थी ग्लेन मैक्सवेल की फॉर्म। मैक्सवेल ने पहले मुकाबले में जहां शानदार अर्धशतकीय पारी खेली, तो दूसरे मुकाबले में बेहतरीन शतक जड़ा और सबसे खास बात रही कि वो पारी के अंत तक टिके रहे और अपनी टीम को बेहतरीन जीत दिलाई।
मैक्सवेल जब बल्लेबाजी करने आए, तो ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 22-2 था और पहले उन्होंने डार्सी शॉर्ट के साथ मिलकर 73 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी की और उसके बाद पीटर हैंड्सकॉम्ब के साथ मिलकर नाबाद 96 रनों की साझेदारी कर टीम को 7 विकेट से जीत दिलाई। मैक्सवेल ने 55 गेंदों में 9 छक्के और 7 चौकों की मदद से नाबाद 113 रन बनाए। उन्हें मैन ऑफ द मैच और प्लेयर ऑफ द सीरीज भी चुना गया।