आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ किंग्स इलेवन पंजाब के मुकाबले में रविचंद्रन अश्विन द्वारा जोस बटलर को मांकडिंग आउट करने की चर्चा चल रही है। बटलर ने 69 रन बनाए और किंग्स इलेवन पंजाब ने मैच 14 रन से जीत लिया। अश्विन ने 13वें ओवर में गेंदबाजी के समय क्रीज से बाहर निकले बटलर को देखकर गिल्लियां बिखेर दी और अपील पर तीसरे अम्पायर ने बल्लेबाज को आउट दिया। इसके बाद किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान चारों तरफ से आलोचना झेल रहे हैं।
इंग्लैंड के पूर्व और वर्तमान क्रिकेटर अश्विन के इस कार्य को खेल भावना के विपरीत बताकर सोशल मीडिया पर ज्ञान का पिटारा खोलकर बैठे हैं। बात जब खेल भावना की हो रही है तो यहां 2013 एशेज के पहले टेस्ट का जिक्र करना जरुरी हो जाता है। इंग्लिश बल्लेबाज बेन स्टोक्स के बल्ले का किनारा लेकर गेंद ब्रेड हेडिन के ग्लव्स को छूकर पहली स्लिप में एश्टन एगर के हाथों में गई और स्टोक्स आउट होने के बाद भी पवेलियन नहीं लौटे। इससे इंग्लिश खिलाड़ियों की खेल भावना की पोल खुल जाती है। अब मुद्दे की बात करते हुए अश्विन के आउट के बारे में गौर करते हैं। नियम 41.16 के अनुसार गेंदबाज के गेंद छोड़ने तक बल्लेबाज को क्रीज के अन्दर रहना होता है, बटलर क्रीज से बाहर थे और अश्विन ने मांकडिंग आउट कर दिया। मामला तीसरे अम्पायर के पास गया और वहां से ब्रूस ऑक्शनफोर्ड ने आउट का फैसला सुनाया।
अश्विन पर खेल भावना के विपरीत जाकर बटलर को पवेलियन भेजने के आरोप लग रहे हैं लेकिन आउट तीसरे अम्पायर ने दिया इस पर सब को जैसे सांप सूंघ गया हो। अश्विन गलत है तो क्या अम्पायर सही है? कुछ लोग यह भी कहते हुए देखे गए हैं कि अश्विन को पहले एक चेतावनी देनी चाहिए थी लेकिन वरिष्ठ खेल पत्रकार हर्षा भोगले के अनुसार नियमों में चेतावनी देने के बारे में कुछ नहीं लिखा है, तो अश्विन को किस बात की चेतावनी देने की जरूरत थी। खेल भावना की आड़ में नियमों के अंतर्गत किये गए कार्य को कतई गलत नहीं ठहराया जाना चाहिए।
अश्विन को गलत बताने से पहले यह भी जानना जरुरी हो जाता है कि बटलर के लिए यह पहला मौका नहीं है जब ऐसे आउट हुए हों, चेतावनी उन्हें कई अन्य मौकों पर मिलती रही है लेकिन उनकी हरकतों में कोई सुधार नहीं हुआ। अगर सब चीजें खेल भावना से ही चलती है तो आईसीसी को यह मांकडिंग आउट का नियम हटा देना चाहिए। अम्पायर के पास निर्णय लेने के तमाम अधिकार होते हैं और आउट देने के बाद गेंदबाज को आड़े हाथों लेने का कोई औचित्य नजर नहीं आता।
इससे पहले भी अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय सीरीज के दौरान श्रीलंका के लाहिरू थिरिमाने को आउट किया था। उस समय कप्तान वीरेंदर सहवाग ने अम्पायर से बात करके बल्लेबाज को खेलने के लिए बुला लिया था। यह जरुरी नहीं होता कि उस समय खिलाड़ी को आउट नहीं माना गया तो हर मौके पर ऐसा ही हो क्योंकि नियम में बल्लेबाज को क्रीज के अंदर रहना बताया गया है। अगर गेंदबाज का कृत्य खेल भावना के विपरीत है तो बल्लेबाज क्रीज से बाहर जाकर साफतौर पर नियम का उल्लंघन कर रहा है। क्या बल्लेबाज के लिए खेल भावना नहीं होनी चाहिए। अश्विन ने नियम के अंतर्गत कार्य किया, इसे खेल भावना से जोड़कर बल्लेबाज की गलती छिपाना कहा जाएगा। खेल भावना की ठेकेदारी सिर्फ एक टीम की नहीं, दोनों टीमों के पास होनी चाहिए।
यहां एक बात यह बताना भी जरुरी है कि मांकडिंग नियम पूर्व भारतीय खिलाड़ी वीनू मांकड़ के नाम से जाना जाता है। 1947 में वीनू मांकड़ ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी टेस्ट के दौरान बिल ब्राउन को इसी तरह आउट किया था और बाद में यह रनआउट चर्चित हो गया और आज यह उनके नाम से जाना जाता है।
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