IPL 2023 : पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी ने बताई सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन में कमियां, कहा दूसरी टीम में खेलने से होगा फायदा 

सचिन तेंदुलकर और अर्जुन तेंदुलकर, इमेज क्रेडिट: ट्विटर, सचिन
अपने पिता सचिन तेंदुलकर के साथ अर्जुन तेंदुलकर

पूर्व भारतीय दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के बेटे अर्जुन तेंदुलकर (Arjun Tendulkar) ने आखिरकार लम्बे इंतजार के बाद आईपीएल में डेब्यू किया और दूसरे मुकाबले में अपने करियर का पहला विकेट भी चटकाया। मुंबई इंडियंस (Mumbai Indians) की ओर से अर्जुन ने कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के खिलाफ डेब्यू किया था, लेकिन उन्होंने अपना पहला विकेट सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) के खिलाफ चटकाया था।

मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ मैच का आखिरी ओवर अर्जुन को दिया। अर्जुन को 20 रन डिफेंड करने थे और उन्होंने सफलतापूर्वक बचाव किया और अपना पहला विकेट भी भुवनेश्वर कुमार के रूप में लिया। अर्जुन के प्रदर्शन का विश्लेषण करते हुए, पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी राशिद लतीफ ने कहा कि अर्जुन पर अपने पिता सचिन तेंदुलकर की प्रतिष्ठा का काफी दबाव है।

पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर ने अर्जुन के बारे में क्या कहा

राशिद लतीफ ने अपने यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए कहा,

अर्जुन अभी शुरुआती स्टेज में हैं। उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ेगी। उनका एलाइंगमेंट अच्छा नहीं है, जिसकी वजह से वह पेस जेनरेट नहीं कर पाते हैं। अगर कोई अच्छा बायोमेकैनिकल कंसल्टेंट उन्हें गाइड करेगा तो शायद अपनी गेंदबाजी में थोड़ी ज्यादा पेस जोड़ पाएंगे। सचिन खुद भी ऐसा कर सकते हैं, लेकिन वह इसके लिए घरेलू क्रिकेट पर निर्भर हैं। आपका बेस मजबूत होना चाहिए। वह जब लैंड करते हैं, तो उनका फॉलो थ्रू अंदर की तरफ आने की बजाय बाहर की तरफ जाता है। उनका संतुलन अच्छा नहीं है और वही चीज उनकी पेस को प्रभावित करती है। लेकिन मैं फिर से कहूंगा, कि वह अभी शुरुआती स्टेज में हैं। वह 135 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार तक गेंदबाजी कर सकते हैं। वह एक अच्छे बल्लेबाज हैं और 2-3 साल में एक अच्छे खिलाड़ी बन सकते हैं।

इसके अलावा राशिद ने अर्जुन के खेल पर सचिन के प्रभाव के बारे में बात करते हुए कहा,

अगर अर्जुन किसी अन्य फ्रेंचाइजी के साथ खेल रहे होते, जैसे सनराइजर्स हैदराबाद तो उनका माइंडसेट थोड़ा अलग होता। फिलहाल, उनके पिता भी ड्रेसिंग रूम में हैं, जिनकी भूमिका अब उनके जीवन (नॉन-क्रिकेटिंग लाइफ) में होनी चाहिए।

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