भारतीय क्रिकेट टीम को विश्वकप 2019 का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन बेहतरीन खिलाड़ियों से सजी इस टीम का सफर सेमीफाइनल से आगे नहीं जा सका। वहीं सेमीफाइनल में टीम प्रबंधन की ओर से कुछ ऐसे फैसले भी लिए गए, जो किसी को भी नहीं समझ आ रहे थे, जैसे महेंद्र सिंह धोनी को निचले क्रम में बल्लेबाजी के लिए भेजना और दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत जैसे अनुभवहीन बल्लेबाजों पर इतने बड़े मैच का दबान डालना।
हालांकि शुरुआत से ही मजबूत नजर आ रही भारतीय टीम की नंबर 4 पर बल्लेबाजी की समस्या यहां एक बार फिर से सामने आई और भारत का विश्वविजेता बनने का सपना चूर-चूर हो गया। हालांकि मैच के बाद क्रिकेट प्रशंसकों का गुस्सा महेंद्र सिंह धोनी पर ही निकला, कि आखिर क्यों उन्हें निचले क्रम में बल्लेबाजी के लिए भेजा गया और इसके बाद भी वह अपनी पारी में बड़े शॉट्स नहीं लगा सके।
जबकि दूसरे लिहाज से देखा जाए, तो एक छोर पर रविन्द्र जडेजा आक्रामक बल्लेबाजी कर रहे थे, तो ऐसे में धोनी को दूसरा छोर संभाले रखना था। हालांकि फिर भी भारत न्यूजीलैंड के दिए हुए लक्ष्य का पीछा करने में विफल रहा और सेमीफाइनल में हारकर बाहर हो गया। वहीं भारत को चैंपियन बनाने वाले धोनी एक बार फिर से फैन्स के रडार पर आ गए।
आज हम आपको ऐसे ही पांच मौके के बारे में बताने जा रहे हैं, जब महेंद्र सिंह धोनी विवादों में रहे और यह मौके धोनी के करियर की सबसे बुरी यादों में से एक हैं :
#5 आईसीसी क्रिकेट विश्वकप 2007 के बाद
2007 के क्रिकेट विश्वकप में भारत के ग्रुप स्टेज में ही हारकर बाहर होने के बाद क्रिकेट फैंस ने बुरी तरह अपने गुस्से का इजहार किया था। लोगों ने भारतीय क्रिकेटरों के घर के बाहर तोड़फोड़ करने के साथ ही पुतले भी जलाए थे। वहीं महेंद्र सिंह धोनी के घर के बाहर भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं द्वारा पथराव किया गया था। इस घटना को भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे काले दिन के रूप में याद किया जाता है।
वहीं इसके पांच महीने बाद ही महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में ही भारत की युवा टीम ने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित पहला टी20 विश्वकप जीता था।
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#4 ऑस्ट्रेलिया में 2012 में सीबी सीरीज
भारत को 2012 में ऑस्ट्रेलिया में मेजबान देश और श्रीलंका के साथ त्रिकोणीय सीबी सीरीज खेलनी थी। जिसके बाद ही यह खबर फैली थी कि भारतीय टीम के सीनियर खिलाड़ियों के बीच मतभेद चल रहा है। जिसके बाद भारतीय कप्तान एमएस धोनी की मीडिया में भी काफी आलोचना की गई थी। दरअसल उस सीरीज में धोनी ने ऐतराज जताया था कि सचिन तेंदुलकर, वीरेंदर सहवाग और गौतम गंभीर, सभी की उम्र लगभग 33 से 39 के बीच थी।
ऐसे में टीम की फील्डिंग बुरी तरह प्रभावित हो सकती थी और धोनी इस कारण से तीनों ही खिलाड़ियों के साथ सीरीज में उतरने से मना कर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि भारत इस सीरीज से बाहर हो गया और इसका फाइनल मेजबान देश ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच खेला गया।
#3 आईपीएल में हुई स्पॉट फिक्सिंग
वह समय था, जब दिल्ली पुलिस ने एस श्रीसंत समेत अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण को स्पॉट फिक्सिंग के मामले में गिरफ्तार किया था और चेन्नई सुपर किंग्स के प्रमुख गुरुनाथ मयप्पन को मुंबई पुलिस ने सट्टेबाजी और धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया।
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जिसके बाद इस मामले को लेकर टीम प्रबंधन और एमएस धोनी की ओर भी उंगलियां उठाई गईं, हालांकि यह बातें केवल अफवाहें थीं। वहीं बाद में सुप्रीम कोर्ट की ओर से चेन्नई सुपरकिंग्स को दो साल के लिए आईपीएल से निलंबित कर दिया गया था। जिसके बाद धोनी ने दो साल राइजिंग पुणे सुपरजायंट के साथ आईपीएल खेला और 2018 में चेन्नई की वापसी के बाद उसे एक बार फिर से चैंपियन बनाया।
#2 हितों का टकराव
2015 में एक बार फिर से धोनी के करियर में ऐसा समय आया, जब लोगों ने फिर से उन पर संदेह किया। दरअसल उस दौरान खबर मिली थी कि रिती स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में कथित रूप से धोनी की भी 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यही नहीं यह भी अफवाह थी कि इस कंपनी ने धोनी के साथ-साथ उनके साथी रविन्द्र जडेजा और सुरेश रैना के हितों को भी प्रभावित किया था। जिस पर कई पूर्व क्रिकटरों ने आपत्ति जताई थी और धोनी की आलोचना की थी।
हालांकि बाद में फर्म ने विवाद पर सफाई देते हुए धोनी को खुद से अलग बताया था। कंपनी का कहना था कि धोनी के पास कंपनी के जो शेयर थे, वह विवाद के समय से पहले के थे। हालांकि धोनी को इस मामले पर भी काफी आलोचनाएं झेलनी पड़ी थीं।
#1 2019 क्रिकेट विश्वकप के बाद
महेंद्र सिंह धोनी ने भले ही अपनी कप्तानी में भारत को चैंपियन बनाया हो लेकिन वह 2019 के विश्वकप के सेमीफाइनल मैच को कभी नहीं भूल पाएंगे। जहां उन्होंने भारत को जिताने के लिए भरसक प्रयास किए लेकिन अंत में हार मिलने के बाद एक बार फिर से वह प्रशंसकों के निशाने पर आए। एक समय पर जब धोनी और जडेजा क्रीज पर मौजूद थे, तो लग रहा था कि भारत यह मैच जीत जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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वहीं इस हार के बाद सभी ने धोनी पर उंगली उठानी शुरू कर दी और उन्हें संन्यास लेने की सलाह भी दे डाली। जबकि इस मामले में गलती टीम प्रबंधन की भी निकलकर सामने आई है, जिसने धोनी को निचले क्रम में बल्लेबाजी के लिए भेजा और इसका परिणाम यह हुआ कि भारत के पास मैच जीतने के लिए पर्याप्त ओवर ही नहीं बचे। इस मैच में भारत की ओर से जडेजा और धोनी ने मिलकर 100 से अधिक रन की साझेदारी की थी, लेकिन जडेजा का विकेट गिरने के साथ ही यह मैच हाथ से निकल गया।