What is Two Tier Test System: बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का रोमांच अब खत्म हो चुका है। 10 सालों के लम्बे अंतराल के बाद आखिरकार ऑस्ट्रेलिया ने BGT पर कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल की। इस सीरीज ने व्यूअवरशिप के मामले में कई बड़े रिकॉर्ड तोड़े। ऑस्ट्रेलिया में ये सबसे ज्यादा देखी जाने वाली चौथी सीरीज रही। इस सीरीज की सफलता को देखते हुए आईसीसी अब क्रिकेट के सबसे लम्बे फॉर्मेट में टू-टियर टेस्ट सिस्टम लागू करने का प्लान बना रहा है। ज्यादातर क्रिकेट फैंस इस सिस्टम के बारे में नहीं जानते होंगे। इस आर्टिकल में हम आपको इसके बारे विस्तार से बताएंगे।
बता दें कि सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीसी के चेयरमैन जय शाह इस सिस्टम के बारे में चर्चा करने के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के क्रिकेट बोर्ड्स से जल्द चर्चा करने वाले हैं। ये मीटिंग इस महीने के अंत में हो सकती है।
Two Tier सिस्टम के लागू होने पर होंगे क्या बदलाव?
इस सिस्टम के तहत टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले 12 देशों को दो ग्रुप में बांट दिया जाता है। 12 में से पहली 7 टीमों को पहले टियर में रखा जाता है, जबकि बाकी 5 टीमों को दूसरे टियर में रखा जाता है। इस नियम के लागू होने पर भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमों ज्यादा टेस्ट मैच खेलेंगी।
भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीम तीन साल में दो बार एक दूसरे के घर और बाहर खेलेंगे और तीन साल में कम से कम एक बार एक-दूसरे देश का दौरा करेंगी। इसी के साथ भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली सभी टेस्ट सीरीज में पांच मुकाबले खेले जाएंगे।
बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब टेस्ट क्रिकेट में टू टियर सिस्टम को लागू करने की चर्चा हो रही है। 2016 में भी इसकी सिफारिश हुई थी, तब बीसीसीआई ने इसका विरोध जताया था। बीसीसीआई का मानना था कि सभी टेस्ट प्लेइंग नेशंस को आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए।
फर्स्ट टियर में संभावित टीमें: दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और पाकिस्तान।
दूसरे टियर में संभावित टीमें: वेस्टइंडीज, बांग्लादेश, आयरलैंड, अफगानिस्तान और जिम्बाब्वे।