बाईचुंग भूटिया भारत के लिए लंबे समय तक खेलने वाले खिलाड़ी होने के साथ-साथ अच्छी खासी फैन फॉलोइंग के लिए जाएगे। भूटिया का जन्म 15 दिसंबर 1976 में सिक्किम में हुआ, छोटी उम्र से ही बाइचुंग फुटबॉल खेलना पसंद करते थे। 13 साल की उम्र में सन्तोष ट्रॉफी में आपना खूब जौहर दिखाने वाले भूटिया को देखकर ईस्ट बंगाल क्लब ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया। 90 और 2000 के दशक में भूटिया भारतीय फुटबॉल को अकेले दम पर आगे बढ़ाया , खास तौर पर 2003 में विजयन की रिटायरमेंट के के बाद , इससे पहले भूटिया और विजयन की जोड़ी लोग लोहा मानते थे । विजयन भूटिया को गॉड गिफ्टिड़ फुटबॉलर मानते थे । 1995 में भूटिया ने 19 साल की उम्र में ईस्ट बंगाल के साथ अपने प्रोफेशनल कैरियर की शुरूआत की । उसके बाद से वो भारत के लिए 100 से अधिक मैच खेले हालांकि फीफा के अनुसार आधिकारिक तौर पर 84 की गिनती है जिसमें उन्होंने लगभग 40 गोल दागे । सन् 1999 में बाईचुंग को पहली बार विदेशी धरती पर ब्यूरी क्लब में फसी (FC) की तरफ से खेलने का मौका मिला और जिसके साथ वो पहले एसे भारतीय खिलाड़ी बने जिसने यूरोपियन क्लब के साथ कॉन्ट्रेक्ट किया और मोहम्मद सलीम के बाद दूसरे एसे भारतीय खिलाड़ी बने जो यूरोप में प्रोफेनल तौर पर खेले , कल्ब के दिवालिया होने से पहले वे ब्यूरी के लिए 30 मैच खेले । बीच में कुछ समय भूटिया मलेशिया में पेराक FA और सेलांगौर MK के लिए भी खेले ।