ढ़िल्लोन भारतीय फुटबॉल जगत के दिग्गज नामों में से एक है। एशियन गेम्स 1962, जकार्ता में भारत की शानदार जीत में जरनैल सिंह के बेहतरीन प्रदर्शन का बड़ा योगदान रहा। जरनैल भारत के लिए अब तक के सबसे बेहतरीन डिफेंडर माने जाते हैं जो जरूरत पड़ने पर टीम के लिए स्ट्राइकर रूप में भी खेलते रहे। पंजाब से ताल्लुक रखने वाले जरनैल अपने फुटबॉल खेलने के सपनों को पूरा करने के लिए 1936 में कोलकाता चले आए। पहले वो राजस्थान क्लब और फिर मोहन बगान के लिए खेले जहां वो हरी और महरून जर्सी में एक बेजोड़ खिलाड़ी के रूप में जाने जाते थे। जरनैल मैदान में एक तेज-तर्रार डिफेंड़र रहे , 1962 में एशियन गेम्स जकार्ता में सेमीफाइनल मैच के दौरान चोटिल होने के बावजूद फाइनल में उनके बेहतरीन योगदान को हमेशा याद किया जाता है जब्कि उन्हें चोट की वजह से 6 टांके आए थे । इस मैच में कोच सैयद अब्दुल रहीम ने उन्हें सेंटर फॉरवर्ड खेलने को कहा और जरनैल सिंह ने अपने सिर से एक गोल जड़ दिया। 1964 एशिया कप तेल अवीव में भी वो भारत को अपनी हुनर और कुशलता के दम पर फाइनल तक ले गए जहां भारत रनर-अप रहा । वो अपने समय के बेहतरीन प्लेयर रहे वे इकलौते एसे भारतीय फुटबॉलर थे जिन्होंने उस समय अपनी जगह एशियन ऑल स्टार टीम में बनाई थी । 1964 में जरनैल सिंह को अर्जुन अवॉर्ड मिला । सन् 2000 में इस महान खिलाड़ी ने अपनी आखिरी सांस ली ।