अपनी वर्सटैलिटी के लिए मशहूर ये फुटबॉलर सिर्फ चुनी गोस्वामी के नाम से जाना जाता था। गोस्वामी 1962 एशियन गेम्स जकार्ता में विजयी रही भारतीय टीम के कप्तान थे और उन्होंने 1964 एशिया कप सोकर टूर्नामेंट में (जो इजराइल में हो रहे था) में टीम को सिल्वर मेडल दिलाया । चुनी एक बेहतरीन स्ट्राइकर थे जो अपनी सूझ-बूझ, बॉल पर गजब के कन्ट्रोल और खेल की शानदार समझ के लिए जाने जाते थे। गोस्वामी दूसरे खेलों के भी अच्छे जानकार थे। उन्होंने बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलते हुए रणजी ट्रॉफी में भी भाग लिया । 1938 में बंगाल में जन्मे इस खिलाड़ी ने मोहन बगान क्लब 8 साल की छोटी उम्र में ज्वॉइन किया। वो अपने कैरियर में कभी किसी और क्लब के लिए नहीं खेले। एक समय पर ये चर्चा जोरों पर थी कि टोटेनहैम होट्स्पर्स जैसा क्लब इस महान स्ट्राइकर को अपने लिए खलते देखना चाहते हैं। गोस्वामी का नेशनल टीम में पदार्पण 1956 में हुआ जब भारतीय टीम ने चाइना की ओलंपिक टीम को 1-0 से शिकस्त दी । वे भारतीय टीम के लिए लगभग 50 मैच खेले और बेहतरीन 32 गोल किए। गोस्वामी 1962 में सर्वश्रेष्ठ एशियाई स्ट्राइकर के लिए नामित किये गए , 1963 में उन्हें अर्जुन और 1983 में पद्म श्री संम्मान से नवाजा गया।