भारतीय फुटबॉल टीम ने हीरो इंटरकॉन्टिनेंटल कप का खिताब अपने नाम कर लिया है। भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में खेले गए फाइनल में भारत ने लेबनॉन को 2-0 से मात देते हुए दूसरी बार खिताब अपने नाम किया। भारत के लिए कप्तान सुनील छेत्री और विंगर ललियानजुआला चांगटे ने गोल कर जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
फीफा की विश्व रैंकिंग में लेबनॉन की टीम 99वें स्थान पर है जबकि भारत 101वें नंबर पर है। 15 जून को हुए लीग मैच में दोनों टीमों ने गोलरहित ड्रॉ खेला था जिस कारण फाइनल मैच में रोमांचक प्रदर्शन देखने की उम्मीद थी। पहले हाफ में दोनों ही टीमों ने एक-दूसरे को रोककर रखा।
इसके बाद दूसरा हाफ शुरु होते ही भारत का अटैक कुछ अलग दिखा और 46वें मिनट में ही कप्तान छेत्री ने निखिल पुजारी से मिले बेहद शानदार पास को गोल में बदलकर भारत का खाता खोला।
करीब 20 मिनट के बाद चांगटे भी चमके और एक और गोल टीम के नाम हो गया। भारत को विजेता बनने पर मेजबान ओडिशा सरकार ने विशेष धनराशि भी दी जिसमें से 20 लाख की धनराशि खिलाड़ियों और टीम द्वारा ओडिशा हादसे से प्रभावित परिवारों के लिए दान कर दी गई।
सुनील छेत्री के नाम अब कुल 87 अंतरराष्ट्रीय गोल हो गए हैं। सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय गोल के मामले में वह फिलहाल पांचवे नंबर पर हैं और चौथे स्थान पर मौजूद मलेशिया के मुख्तार दहारी के नाम 89 गोल हैं। छेत्री जल्द ही दहारी को पीछे छोड़ सकते हैं। पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो (122), ईरान के अली दाएई (109) और अर्जेंटीना के लायोनल मेसी (103) क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
यह इंटरकॉन्टिनेंटल कप का तीसरा संस्करण था। अखिल भारतीय फुटबॉल फेडरेशन की ओर से पहली बार 2018 में आयोजित इस टूर्नामेंट को नेहरू कप के स्थान पर शुुरु किया गया और इसमें तीनों ही बार चार देशों द्वारा प्रतिभाग किया गया है। 2018 में भारत ने कीनिया, न्यूजीलैंड और चीनी ताइपे के खिलाफ खेलते हुए इसे जीता था।
2019 में हुए दूसरे संस्करण में उत्तरी कोरिया की टीम विजयी रही थी। तब ताजिकिस्तान दूसरे और सीरियाई टीम तीसरे नंबर पर थी जबकि भारत को चौथा स्थान मिला था। इस साल भारत और लेबनॉन के अलावा वनुआतु और मंगोलिया ने भी प्रतियोगिता में भाग लिया था।