किसी भी कार्य की सफलता को लेकर 20वीं सदी के ब्राजील के महान फुटबॉलर पेले ने कहा है "सफलता कोई दुर्घटना नहीं है, यह कठिन काम है। दृढ़ता, सीखना, अध्ययन, बलिदान के साथ सबसे ख़ास आप जो कर रहे हैं या सीख रहे हैं उसे प्यार करें।" भारत में 24 टीमों, 6 स्थल और 22 दिनों तक चले फीफा अंडर 17 विश्वकप पर भी यह बात लागू होती है।
28 अक्टूबर को इंग्लैंड की जीत के साथ ही इस टूर्नामेंट का समापन भी हो गया। हालांकि मेजबान भारत का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा लेकिन सफलता और असफलता का पैमाना इसे नहीं माना जा सकता। इस विश्वकप से भारत और टीम के अलावा फुटबॉल को क्या ख़ास लाभ हुआ अथवा नहीं हुआ इस बारे में हम यहाँ जानने की कोशिश करेंगे।
भारतीय टीम की पहली बार भागीदारी
फीफा के किसी भी इवेंट में भारत ने अंडर 17 विश्वकप के जरिये पहली बार प्रवेश किया, फीफा के नियमों के अनुसार मेजबान देश को बिना क्वालिफाइंग राउंड खेले एंट्री मिलती है। भारत ने पहली बार खेले गए इस टूर्नामेंट में अपने ग्रुप मुकाबलों में दूसरे मैच में सबसे अधिक जोश से प्रदर्शन किया।
जैक्सन का हेडर से किया गया वो पहला गोल आज भी दर्शकों के दिलों में ताजा है और जब भी इस विश्वकप में भारत की बात आएगी, उस खूबसूरत गोल को सभी जरुर याद करेंगे। इसके बाद टीम की तरफ से बचे हुए मैचों में कोई गोल नहीं हुआ। सभी तीनों मैचों में पराजय के बाद भारत को टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा लेकिन जोश और उत्साह इन खिलाड़ियों का देखते ही बनता था।