कॉलेज के छात्रों को रहता है इन 5 बातों का सबसे अधिक तनाव: मानसिक स्वास्थ्य 

College students are most stressed by these 5 things: Mental health
कॉलेज के छात्रों को रहता है इन 5 बातों का सबसे अधिक तनाव: मानसिक स्वास्थ्य

अत्यधिक तनाव का स्तर, काम की प्रभावशीलता में बाधा डाल सकता है. खराब शैक्षणिक प्रदर्शन और नौकरी छोड़ने का कारण भी बन सकता है। तनावपूर्ण जीवन की घटनाओं का अनुभव करने वाले कॉलेज के छात्रों ने भी खराब स्वास्थ्य परिणामों और जीवन की गुणवत्ता में कमी की सूचना दी है, जिसमे से जो सबसे आम नतीजे निकल कर आयें है वो निम्न में से है:-

1. घर से दूर अजनबियों के बीच रहना:

काफी बच्चों के लिए ये किसी साहसी काम से काम नही होता पर जब हम वाकई में किसी अनजान व्यक्ति के साथ आपना कमरा या बेड शेयर करतें है तब हमे उसके अच्छे-बुरे परिणाम समझ में आतें है. हो सकता है कुछ समय बाद आपको उस दुसरे व्यक्ति का साथ अच्छा लगने लगे. लेकिन जब हम घर से दूर किसी दुसरे व्यक्ति के साथ अपनी निजी जिंदगी या स्पेस साझा करतें है तो उसमे आने वाली कठिनाइयाँ हमे मानसिक पीढ़ा देतीं है जो हमे असहज बना देतीं है.

2. शैक्षणिक मांग और परीक्षण चिंता

कॉलेज के समय जब हम अपनी कॉलेज वाली यात्रा चालू ही करते हैं तब हमे काफी मज़ा आता है पर जैसे-जैसे वक्त बीतता है और प्रोजेक्ट्स, असाइनमेंट्स, टेस्ट, प्रक्टिक्लेस आदि का बोझ बढ़ना शुरू होता है. तब असली समस्या शुरू होती है. शिक्षा कोई बोझ नही है, पर इसको सही ढंग से प्राप्त करने का ये जो प्रोसेस है, उसमे जिस तरह की मुश्किलें बच्चे झेलते हैं, उससे जरूर बच्चों पर मानसिक दबाव पड़ता है. जो उन्हें मानसिक तनाव देता है और शैक्षिक रूप से कमज़ोर बनाता है.

3. वित्त

वित्त परेशानी तो एक ऐसी समस्या है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को झेलनी पड़ सकती है. पर अगर कॉलेज की उम्र में बच्चा वित्त समस्या से घिरा होता है, तो ये उसके जीवन का सबसे कठिन समय हो सकता है. कॉलेज में और भी साथियों के बीच अपनी वित्त स्तिथि के कमज़ोर होने का एहसास बच्चे को मानसिक तनाव देता है और उसमे जलन समेत कई गलत भावनाओं का संचाल पैदा हो सकता है जिसकी अनुभूति श्याद उसने खुद कभी न की हो.

4. पोस्ट ग्रेजुएशन प्लान

कॉलेज के साल ख़तम होते-होते कई बच्चे अपने मास्टर्स की तैयारियों और एप्लीकेशनों में खुद को व्यस्त करने लागतें है. पर ऐसे में कई बार मन चाहा कॉलेज न मिलने पर जो क्रोध और निराशा का भाव बच्चों में उत्पन्न होता है. वो उन्हें भीतर से हारा हुआ महसूस करता है. जीवन के इस पड़ाव पर अक्सर छात्र अपने करियर को लेकर बेहद संवेदनशील होते है. ऐसे में अगर उनकी चाह का कॉलेज या सब्जेक्ट उन्हें ना मिले तो वह कई तरह के गलत तरीकों का इस्तमाल कर खुद को पीढ़ा दे सकतें है. ये उम्र बेहद संवेदनशील मानी जाती है. ऐसे में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना चाहिए.

5. रिश्ते (परिवार और रोमांटिक)

रिश्ते चाहे पारिवारिक हो या रोमेंटिक दोनों में ही भावनाओ का ठेठ विस्तार होता है. ये उम्र होती ही ऐसी है इसलिए कॉलेज के दौरान जो बच्चे रिश्तों को अत्यधिक भाव देते हैं. वो अक्सर दिल के टूटने और परिवार के बिगड़े संबंधों के बीच फस के रह जाते हैं. जिस वजह से उनके मानसिक स्वास्स्थ्य पर भरी असर पड़ता है.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।