बालासन एक ऐसा योगासन है जिसे एक ही मुद्रा में किया जाता है। बालासन को हमेशा शीर्षासन के बाद जरूर करना चाहिए। इस आसन को कम से कम 3 मिनट तक जरूर करना चाहिए। इस योग से जांघों, कूल्हों और टखनों में खिंचाव पैदा होता है। बालासन को शिशुआसन भी कहा जाता है। अगर किसी को बहुत थकान हो रही है तो इस आसन को करने से थकान मिट जाती है। आइए जानते हैं बालासन को क्यों और कैसे करना चाहिए।
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कैसे करें बालासन-
बालासन करना बहुत ही आसान है इसके लिए सबसे पहले एक चटाई लें और इस पर वज्रासन मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं और सांस छोड़ते समय आगे की तरफ झुकें। और आगे की ओर झुकते हुए अपनी हथेलियों से ज़मीन को छूने की कोशिश करें। इसके बाद अपने सिर को जमीर से टिका लें। इस मुद्रा में जाकर अपने शरीर को आराम करने दें और ऐसे ही छोड़ दें। इसी मुद्रा में सांस लें और सांस छोड़ें। तीन मिनट तक इसी मुद्रा में रहें।
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बालासन क्यों करना चाहिए-
बालासन करने से गुस्सा शांत होता है और दिमाग भी ठंड़ा रहता है। इस आसन के अभ्यास से शरीर में लचीलापन आता है। अगर किसी को कमर, कंधे, गर्दन, पीठ, जोड़ों का दर्द जैसे समस्या है तो उसके लिए बालासन करना लाभदायक साबित होगा। काम के बोझ की वजह से अगर हर समय आप तनाव में रहते हैं तो सुबह उठकर बालासन जरूर करें। तनाव दूर होगा। माहिलाओं के मासिक धर्म के समय होने वाले कमर दर्द और पेट दर्द में इस आसान को करने से राहत मिलती है।
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