दुर्वासासन कैसे और क्यूँ करें: Durvasasana Kaise aur kyu kare?

फोटो: Kino Yoga YouTube
फोटो: Kino Yoga YouTube

दुर्वासासन एक हठ योग है और इसे एक पैर पर खड़े होकर करना होता है। इसके लिए ये जरूरी है कि आपने अच्छे से अभ्यास कर रखा हो। एक छोटी सी गलती आपके लिए घातक सिद्ध हो सकती है। दुर्वासासन को करने से पहले आपको अन्य योगासनों में महारथ हासिल होनी चाहिए अन्यथा समस्या उत्पन्न हो सकती है।

ये भी पढ़ें: तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे: Tambe ke bartan mein paani peene ke fayde

ऐसा माना जाता है कि इसे दुर्वासा ऋषि के नाम पर रखा गया है। इसके बारे में बेहद कम जानकारी उपलब्ध है। एक मिथक के अनुसार अठारहवीं शताब्दी में लिखी गई हाथभयासपद्धति के इक्यासीवें श्लोक में इसका वर्णन है। इसे उसमें त्रिविक्रमासन बताया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है कि आप अपने एक पैर को गर्दन पर रख लें और खड़े हो जाएं।

इसी आसन को उन्नीसवीं शताब्दी के श्रीतत्त्वनिधि में त्रिविक्रमासन बताया गया है लेकिन आज इसे दुर्वासासन के नाम से जाना जाता है। ये आसन करना सबके लिए संभव नहीं है। इसलिए ये बेहद जरूरी है कि आप पहले अन्य आसन करें और जब आप योग में निपुण हो जाएं तो ही इसका प्रयास किसी निरीक्षक की देखरेख में करें।

दुर्वासासन कैसे और क्यूँ करें

ये आपके शरीर की रीढ़ की हड्डी और शरीर को बेहद मजबूत और उसके संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। अगर आप अपनी सेहत को लेकर आश्वश्त हैं तो ही इसे किसी जानकार की निगरानी में करें। इसमें कोई गलती नहीं होनी चाहिए वरना परिणाम बेहद बुरे हो सकते हैं।

ये भी पढ़ें: कौन कौन से फल एक साथ नहीं खाना चाहिए: kaun kaun se fal ek saath nahin khana chahiye

दुर्वासासन कैसे करें

अपने शरीर को उस मुद्रा में लाएं

अपने हाथों को ऊपर ले जाएं और फिर हाथों को जमीन पर ले आएं। इस दौरान आप अपनी उँगलियों को फैला लें और अब प्लैंक वाली स्थिति में आ जाएं जिसे चतुरंग दंडासन भी कहा जाता है। इस स्थिति में कुछ समय तक रहने के बाद आप ऊर्ध्व मुख श्वानासन की मुद्रा में आ जाएं ताकि आप आगे के आसन कर सकें।

अधो मुख श्वानासन वाली मुद्रा में आ जाएं

अधो मुख श्वानासन वाली स्थिति में खुद को ले आएं और अब खुद को स्थिर कर लें। ये वो मुद्रा है जिसके बाद आपको अपने शरीर के अंदर शक्ति का संचार करना होगा क्योंकि अब आप चकोरासन को करने वाले हैं। ये आसन आपकी सेहत को फिट बना देगा। अब आप स्कन्दासन में आ सकते हैं।

स्कन्दासन से दुर्वासासन

अब एक पैर पर खुद को बैलेंस करें और अमूमन प्रयास दाएं पैर से करें। यदि ये किन्हीं कारणों से संभव नहीं है तो बाएँ पैर का इस्तेमाल करें और उसे गर्दन के पीछे ले जाएं। इस मुद्रा में आने के बाद आपके हाथ पूजा के लिए जुड़ जाने चाहिए और आप इस स्थिति में आप कुछ समय रहने के बाद ऊपर बताई गई प्रक्रिया को दोहराकर अपनी नार्मल अवस्था में आ सकते हैं।

ये भी पढ़ें: खाना खाने के बाद नींबू पानी पीने के फायदे: Khaana Khaane ke baad neembu paani peene ke fayde

Edited by Amit Shukla