जानिए, ये टिप्स जो आपको स्कूल में अवसाद से निपटने में मदद करेंगी: मानसिक स्वास्थ्य

Know these tips that will help you deal with depression in school: Mental Health
जानिए, ये टिप्स जो आपको स्कूल में अवसाद से निपटने में मदद करेंगी: मानसिक स्वास्थ्य

स्कूल में अवसाद का मुख्य कारण क्या है?

कई कारक किशोर अवसाद के विकास या ट्रिगर के जोखिम को बढ़ाते हैं, जिनमें शामिल हैं: ऐसे मुद्दे जो आत्म-सम्मान को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, जैसे मोटापा, साथियों की समस्याएं, दीर्घकालिक धमकाने या अकादमिक समस्याएं। शारीरिक या यौन शोषण जैसी हिंसा का शिकार या गवाह होना ये सभी बात किसी को भी चिंता में लाकर खड़ा कर सकती है. जिसकी वजह से कोई भी अवसाद के घेरे में आ सकता है. ऐसे में जो छात्र हैं उनकी उम्र इस पड़ाव पर नहीं होती कि वह अवसाद या चिंता जैसी गंभीर बातों को तुरंत समझ सके. इसलिए जरूरी है कि हम छात्रों के साथ बहुत संवेदनशीलता के साथ उन्हें समझाएं वहां उनकी रक्षा के लिए अहम कदम उठाएं.

अवसाद के लक्षण गंभीरता में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन आपके किशोरों की भावनाओं और व्यवहार में परिवर्तन में नीचे दिए गए उदाहरण शामिल हो सकते हैं।

भावनात्मक परिवर्तनों के प्रति सतर्क रहें, जैसे:

• उदासी की भावना, जिसमें बिना किसी स्पष्ट कारण के रोना शामिल हो

• छोटी-छोटी बातों पर भी निराशा या क्रोध की भावना

• निराशाजनक या खाली महसूस करना

• चिड़चिड़े या नाराज़ मूड

• सामान्य गतिविधियों में रुचि या आनंद की हानि

• परिवार और दोस्तों में रुचि की हानि, या उनके साथ संघर्ष

• कम आत्म सम्मान

• बेकार या अपराधबोध की भावना

• पिछली विफलताओं या अतिरंजित आत्म-दोष

• सोचने, ध्यान केंद्रित करने, निर्णय लेने और चीजों को याद रखने में परेशानी

• मृत्यु या आत्महत्या के बार-बार विचार आना

व्यवहार में बदलाव
व्यवहार में बदलाव

व्यवहार में बदलाव

• थकान और ऊर्जा की हानि

• अनिद्रा या बहुत अधिक सोना

• भूख में परिवर्तन

• शरीर में बेचैनी का एहसास - उदाहरण के लिए, पेसिंग, हाथ से मरोड़ना या स्थिर बैठने में असमर्थता

• धीमी सोच

• सामाजिक एकांत

• स्कूल का खराब प्रदर्शन

• खुद को नुकसान पहुंचाना - उदाहरण के लिए, काटना या जलाना

1. बातों से सुलझाना

स्कूल में अवसाद पर काबू पाया जा सकता है. बहुत आसान है ऐसा तो नहीं कहूंगी. मगर कोशिश की जा सकती है. अवसाद कोई ऐसी चिंता की बात नहीं है जिसे बिल्कुल भी हम सुलझा नहीं सकते. बातों को समझाने से हम न ही सिर्फ विवादित चीजों पर काबू पाते हैं बल्कि कई तरह की मानसिक परेशानियों से भी निजात पा जाते हैं बातों को सुलझाना सीखे और अवसाद से पाएं निजात.

2. मौज-मस्ती के लिए समय निकालें—और शांत रहें

बच्चे यात्रा का अनुभव करते हैं जरूरी है कि आप अपने बच्चे को यह सिखाएं की पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ को थोड़ा सा मौज मस्ती और गेम्स के लिए निकालें ऐसा करेंगे तो आपके बच्चे को नहीं सिर्फ आपका सपोर्ट मिलेगा बल्कि उसका मानसिक तनाव कम होगा कूल में मौज मस्ती करने से बच्चा के लायक और दूसरे बच्चों के साथ कंफर्ट फील करता है ऐसा करना जरूरी है पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ शारीरिक गतिविधियां भी जरूरी है क्योंकि यह हमारे मानसिक गतिविधियों को कंट्रोल करती है.

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3. इस बारे में लिखें

बच्चों को जरूर समझाएं की आप स्कूल में अगर कभी किसी तरह का तनाव या किसी तरह का मानसिक परेशानी का आभास करें तो जरूर उस बारे में आप अपनी जनरल में लिखें लिखने से ना ही सिर्फ तनाव का स्तर कम होता है बल्कि बच्चा इस बात का एहसास भी करता है के आखिर बात क्या है बात को एनालाइज करने का वक्त बच्चे को मिलता है जिसके कारण अवसाद जैसी भावनाएं काफी हद तक छू हो जाती हैं.

4. कृतज्ञ होना

बच्चे को कृतज्ञता की भावना के बारे में जरूर सचेत करें क्युकी ये आपके आपके बच्चे को संवेदनशील बनाता है. साथ ही यह बच्चे को यह सिखाता है कि हमें किस तरह से अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करना है. हमारी भावनाएं अक्सर हमारे बच्चे को कंट्रोल कर लेती है. यही कारण है कि बच्चा स्कूल में चिंता और अवसाद से भरा महसूस करता है. जरूरी है कि हम बच्चे को इस योग बनाएं कि वह कृतज्ञता से बहुत कुछ सीखें और अपने चिंता और अवसाद जैसी भावनाओं पर विजय प्राप्त कर पाए.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

Edited by वैशाली शर्मा
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