पेट थेरेपी के बारे में आपने अबतक शायद ही भारतीय वेबसाइट्स पर सुना होगा और उसकी एक बड़ी वजह है इसका कम इस्तेमाल क्योंकि इसको अब भी एक बड़ी पद्द्ति के तौर पर नहीं देखा जा रहा है। हम सबके घर में एक पेट यानी कोई पारिवारिक जानवर होता है जिससे हमें बेहद लगाव होता है। ये कोई डॉग, कैट, या रैबिट हो सकता है जिसको देखकर हमारे मन की थकान दूर हो जाती है।
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पेट थेरेपी में इंसान के सबसे प्रिय जानवर या मित्र की मदद से किसी इंसान को ठीक करने का प्रयास किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पेट थेरेपी डिप्रेशन को भी ठीक करने में एक अहम योगदान निभाती है। यहाँ ये ध्यान देना जरूरी है कि सिर्फ डॉग, कैट या अन्य बताए गए जानवर ही इस थेरेपी का हिस्सा नहीं होते हैं। कोई भी ऐसा जीव जो आपके करीब हो या जिससे आप काफी नजदीकी होने का अनुभव करते हों इस थेरेपी का हिस्सा हो सकता है।
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पेट थेरेपी को फिजिओथेरेपिस्ट और एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल हुए लोगों पर भी इस्तेमाल किया गया है और इससे बेहद अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। इसका सीधा अर्थ है कि ये जीव जो आपके जीवन का हिस्सा होते हैं वो ना सिर्फ आपको अच्छा अनुभव प्रदान करते हैं बल्कि अगर आप किसी परेशानी में हों तो ये आपको उससे भी बचा लेते हैं।
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पेट थेरेपी में अबतक मिले फायदे
पेट थेरेपी से लोगों के शरीर में कई अंगों जैसे कि टूटा हुआ पैर, यादाश्त, कोमा, डिप्रेशन एवं अन्य मानसिक तथा शारीरिक स्थितियों को ठीक करने में सफलता मिली है। आप अपने पेट से बहुत प्यार करते हैं और जब आप अपने पेट के करीब होते हैं तो आपके पेट के कारण आपको एक अच्छा अनुभव होता है।
पेट अकेलेपन की भावना को खत्म करते हैं और जब आप परेशान होते हैं तो ये बेहतरीन जीव आपकी परेशानी भी समझ लेते हैं। यही वजह है कि इसका इस्तेमाल सिर्फ बड़ों के इलाज के लिए ही नहीं बल्कि उन लोगों के लिए भी किया जाता है जिन्हें सुईं लगाए जाने से डर लगता है। पेट हमारे सबसे अच्छे दोस्त हैं तो ये थेरेपी बेमिसाल है।