आयुर्वेद में कई ऐसे चीजे हैं जिसके सेवन से कई समस्या को दूर किया जा सकता है और यह दवा वातदोषों के उपचारार्थ उपयोग में ली जाती है। इसका प्रयोग आमवात , वातरक्त, रुमाटाइड पेन एवं संधिशूल में किया जाता है। शरीर में आमवर्द्धि एवं वात की वर्द्धि होने से आमवात, गठिया एवं संधिशूल जैसे रोग हो जाते है। वहीं सिंहनाद गुग्गुल सभी प्रकार के वात के कारण होने वाले दर्द में प्रभावी स्वास्थ्य लाभ देती है। इसके अलावा सिंहनाद गुग्गुल को उपयोग कफज विकार जैसे श्वास – कास , कुष्ठ, गुल्म एवं उदरशूल आदि रोगों के साथ त्रिदोष शमन में भी किया जाता है।
सिंहनाद गुग्गुल के निर्माण में आंवला, हरीतकी , बहेड़ा, शुद्ध. गंधक आदि द्रव्यों का इस्तेमाल किया जाता है। जानते हैं सिंहनाद गुग्गुल के फायदे और बनाने की विधि।
सिंहनाद गुग्गुल को बनाने की विधि
सिंहनाद गुग्गुल को बनाने में सबसे पहले हरीतकी, आमलकी एवं विभितकी इन तीनों द्रव्यों को पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है। इसके बाद इस तैयार चूर्ण को पानी में डालकर क्वाथ का निर्माण किया जाता है। जब पानी एक चौथाई बचे तब इसे आंच से उतार कर ठंडा कर लें।
अब इस तैयार क्वाथ में शुद्ध गुग्गुल को डालकर आग पर गरम करें, जब इस क्वाथ में गुग्गुल अच्छी तरह मिल जाए तब इसमें शुद्ध गंधक एवं एरंड तेल डालकर फिर से पका लें। इसके अच्छी तरह पाक जाने पर इसे ठंडा करके वटियों का निर्माण करें। इस प्रकार से सिंहनाद गुग्गुल बनकर तैयार होता है।
सिंहनाद गुग्गुलु के फायदे - Singhnad Guggul Ke Fayde In Hindi
1 . सिंहनाद गुग्गुल शरीर में वातव्रद्धी होने से उत्पन्न रोगों में इस्तेमाल किया जाता है।
2 . सिंहनाद गुग्गुल जोड़ो के दर्द में लाभकारी होता है।
3 . सिंहनाद गुग्गुल यह उत्तम एंटीबैक्टीरियल, एंटी गाउट एवं एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से युक्त है।
4 . यह मांसपेशियों की जकड़न को दूर करता है।
5 . इससे शरीर में बढे हुए यूरिक एसिड को कम किया जा सकता है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।