2021 में टोक्यो में खेले गए ओलंपिक खेलों में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर देशभर के खेल प्रेमियों को इतिहास से रूबरू करवाया। 41 साल बाद जब भारतीय हॉकी टीम तमगा लेकर पोडियम पर खड़ी हुई तो हर भारतीय खेल प्रेमी खुशी से झूम गया। लेकिन आपको शायद ही पता हो कि इसी टोक्यो में आज से 57 साल पहले भारतीय हॉकी टीम ने 23 अक्टूबर यानि आज ही के दिन चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को हराकर एक और इतिहास रचा था।
1960 के बदले को उतरी थी टीम इंडिया
1964 मे जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ था। पहली बार किसी एशियाई देश के पास खेलों के इन महाकुंभ की मेजबानी का मौका मिला था। भारत की आस हॉकी से थी, और पड़ोसी देश पाकिस्तान भी मेडल के लिए हॉकी पर ही निर्भर था। आजादी के बाद भारत ने बतौर स्वतंत्र देश 1948, 1952 और 1956 ओलंपिक खेलों में हॉकी में गोल्ड जीता था और लगातार 3 ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाली पहली हॉकी टीम बनी थी। इसके बाद 1960 के रोम ओलंपिक में भी भारतीय टीम ही गोल्ड की दावेदार मानी जा रही थी, लेकिन फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को 1-0 से हराकर गोल्ड जीता था। ऐसे में भारतीय टीम 1964 टोक्यो ओलंपिक में पाकिस्तान से बदला लेने के इरादे से उतरी थी ।
कुल 15 टीमों को 2 पूल में बांटा गया था। भारत और पाकिस्तान को अलग-अलग पूल में रखा गया था। पूल ए में पाकिस्तान पहले नंबर पर था और ऑस्ट्रेलिया ने दूसरा स्थान हासिल किया जबकि पूल बी में भारत ने पहला और स्पेन ने दूसरा स्थान हासिल किया। फैंस को पहले ही लग गया था कि फाइनल एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच होगा। 21 अक्टूबर 1964 को हुए सेमिफाइनल मुकाबलों में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 3-1 से हराया और पाकिस्तान ने स्पेन को 3-0 से मात दी।
फाइनल में हुआ सिर्फ 1 गोल
23 अक्टूबर 1964 के दिन भारत और पाकिस्तान के बीच फाइनल खेला गया। लगातार तीसरी बार भारत और पाकिस्तान की पुरुष हॉकी टीमें ओलंपिक खेलों के फाइनल में आमने सामने थीं। 1956 में भारत ने पाकिस्तान को 1-0 से हराया था, 1960 में पाकिस्तान ने भारत को 1-0 से हराया था। अब 1964 के इस फाइनल में 40वें मिनट में एक गोल हुआ जो भारत के राइट हाफ में खेलने वाले मोहिंदर लाल ने किया और ये पेनेल्टी स्ट्रोक के रूप में किया गया। ये गोल निर्णायक साबित हुआ और भारतीय टीम ने 1-0 से फाइनल जीतते हुए देश को सांतवा आधिकारिक गोल्ड और स्वतंत्र भारत को उसका चौथा गोल्ड दिलवाया। खास बात ये थी कि पाकिस्तान की टीम ने पूल मैचों में अपने सभी 6 मैच जीते थे, जबकि भारत ने 2 मैच ड्रॉ खेले थे।
टूर्नामेंट का ब्रॉन्ज मेडल ऑस्ट्रेलिया ने जीता जो ओलंपिक हॉकी में उनका पहला मेडल था। मैच की प्रेजेंटेशन सेरेमनी में उस समय पोडियम पर सिर्फ टीमों के कप्तान खड़े होते थे। भारत और पाकिस्तान के कप्तानों के बीच हंसी-मजाक करती तस्वीर आज भी देखी जा सकती है। ये तस्वीर इसलिए भी खास थी क्योंकि इसे खींचे जाने के कुछ महीनों बाद ही भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध हुआ था और उसके बाद तो हॉकी का मैदान दोनों देशों के फैंस के लिए युद्ध के मैदान के बराबर ही खास हो गया था।