भारत ने लगातार दूसरी बार कॉमनवेल्थ खेलों मेंं टेबल टेनिस में पुरुष टीम का गोल्ड जीता है। सिंगापुर के खिलाफ खेले फाइनल में टीम की जीत के हीरो रहे साथियान ज्ञानशेखरन जिन्होंने सिंगल्स और डबल्स के मुकाबले जीत 3-1 से भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई। 29 साल के ज्ञानशेखरन विश्व टेबल टेनिस इतिहास में भारत के सबसे ऊंची रैंकिंग वाले खिलाड़ी हैं।
बचपन से ही खेलों में रुचि रखने वाले साथियान को उनकी मां और पिता ने मोटिवेट किया कि वो कोई एकल स्पोर्ट्स चुनें। साथियान ने टेबल टेनिस को चुना तो मां ने उन्हें टेबल टेनिस अकादमी में दाखिला दिलवाया। जूनियर लेवल पर बेहतरीन प्रदर्शन किया। साल 2008 के यूथ कॉमनवेल्थ खेलों में साथियान ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सिंगल्स और डबल्स का गोल्ड जीता था। पुणे में हुए इन खेलों में देश को पदक दिलाने के बाद साथियान ने फैसला कर लिया कि अब टेबल टेनिस में ही करियर बनाएंगे।
साथियान ने इसके बाद 2010 की एशियन जूनियर चैंपियनशिप का ब्रॉन्ज जीता, 2011 में विश्व जूनियर चैंपियनशिप के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट बने। साल 2012 में पूर्व ओलंपियन एस रमन ने साथियान के टैलेंट को देख उन्हें अपने परफॉर्मेंस सेंटर में ट्रेनिंग देनी शुरु की।
साथियान ने टेबल टेनिस के व्यस्त शेड्यूल के साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी पूरी की है। उनके पिता, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, की चाह थी कि उनका बेटा खेल के साथ पढ़ाई करे और इंजीनियरिंग की डिग्रा पूरी करे। पिता का सपना पूरा करना साथियान के लिए जुनून बना और उन्होंने इसके लिए सिर्फ खेल और पढ़ाई पर ध्यान दिया। उनके लिए रोजमर्रा की जिंदगी के साथ टेबल टेनिस का व्यस्त शेड्यूल और इंजीनियरिंग करना आसान नहीं था, लेकिन इंजीनियरिंग के चार सालों तक वह किसी भी पारिवारिक समारोह, पार्टी में नहीं गए, न ही कहीं घूमने गए। उनका लक्ष्य खेल के साथ पढ़ाई को भी तवज्जो देने का था और वो ऐसा करने में कामयाब भी रहे।
साथियान मौजूदा समय में सिंगल्स में विश्व नंबर 38 हैं और सबसे ऊंची रैंकिंग वाले भारतीय पुरुष टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2018 के एशियन गेम्स में पुरुष टीम का ब्रॉन्ज मेडल जीता और ये इन खेलों के इतिहास में देश का पहला टेबल टेनिस मेडल था। साथियान 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में पुरुष टीम का गोल्ड जीतने वाली टीम का हिस्सा था। इन्हीं खेलों में उन्होंने पुरुष डबल्स का सिल्वर और मिक्सड डबल्स का ब्रॉन्ज भी जीता।
शांत स्वभाव के साथियान अपने रैकेट के दम पर शोर करते हैं और देशवासी भी आशा करते हैं कि वो ऐसे ही देश को मेडल दिलाते रहें।