भारत के वेटलिफ्टर विकास ठाकुर के लिए 2 अगस्त की तारीख बेहद खास है क्योंकि इस दिन उनकी मां का जन्मदिन होता है। लेकिन अब विकास ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में इसी तारीख को वेटलिफ्टिंग की 96 किलोग्राम वेट कैटेगरी का सिल्वर जीत न सिर्फ अपनी मां को शानदार तोहफा दिया, बल्कि लगातार तीसरी बार इन खेलों में पदक लाए।
लुधियाना, पंजाब के रहने वाले विकास का परिवार मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से ताल्लुक रखता है। विकास के पिता बीएल ठाकुर पहले खेती करते थे और परिवार को पालना मुश्किल होता था। विकास के पिता ने मेहनत कर भारतीय रेलवे में नौकरी पाई और घर के हालात बेहतर होने लगे। बेटे विकास को खेल की राह पर पिता ही ले गए और विकास ने 9 साल की उम्र में वेटलिफ्टिंग शुरु कर दी।
अपने पिता से सीखे मेहनत के गुर को विकास ने ध्यान रखा और 13 साल की उम्र में विकास जूनियर नेशनल खेलने लगे। 18 साल में विकास को नेशनल कैम्प का हिस्सा बनाया गया और उन्होने इसी साल एशियाई जूनियर चैंपियनशिप का सिल्वर जीता। अगले साल विकास कॉमनवेल्थ जूनियर चैंपियनशिप जीतने में कामयाब रहे । साल 2013 में विकास सीनियर कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप का सिल्वर जीते। लेकिन 2014 में उनके करियर का सबसे बड़ा पल आया जब विकास ने ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों में 85 किलोग्राम वर्ग का सिल्वर जीत अलग पहचान बनाई।
विकास ने इसके बाद 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों की 94 किलोग्राम वेट कैटेगरी में ब्रॉन्ज जीता और अब उन्होंने बर्मिंघम में भी पदक जीता है। विकास ने जीत के बाद इंटर्व्यू में बताया कि कॉम्पिटिशन इतना तगड़ा था कि ब्रॉन्ज की उम्मीद थी लेकिन सिल्वर ने खुशी दोगुनी कर दी। विकास ने मां आशा को समर्पित कर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी।