भारत के लिए रियो ओलंपिक्स 2016 में आख़िरकार पदक का खाता खुल गया, और ये खाता खोला है भारत की महिला पहलवान साक्षी मलिक ने। साक्षी ने 58 किग्रा वर्ग के कांस्य पदक मुक़ाबले में किर्गिस्तान की आइसुलू टीनीबेकोवा को शिकस्त देकर इतिहास रच दिया। रियो ओलंपिक्स के 13वें दिन भारत के पदक का सूखा तब ख़त्म हुआ, जब पहली बार ओलंपिक्स में शिरकत कर रहीं साक्षी मलिक ने कांस्य पदक मुक़ाबले में किर्गिस्तान की आइसुलू टीनीबेकोवा को हराकर भारत को ओलंपिक्स इतिहास का 25वां पदक दिलाया। साक्षी मलिक ने नाटकिय तरीक़े से मैच में वापसी की और जीत दर्ज की। पहले राउंड में साक्षी 0-5 से पीछे हो गईं थी, जब किर्गिस्तान की आइसुलू टीनीबेकोवा उनपर काफ़ी भारी पड़ रही थीं, और एक बार ऐसा लगा था कि भारत की उम्मीद एक बार फिर ख़त्म हो जाएगी। लेकिन दूसरे राउंड में शानदार वापसी करते हुए साक्षी ने एक के बाद अंक हासिल करते हुए मुक़ाबला 8-5 से अपने नाम कर लिया। साक्षी पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं हैं, जिन्होंने भारत के लिए ओलंपिक्स में पदक जीता, और इस ऐतिहासिक जीत ने उन्हें देश की असली हीरो बना दिया है। साक्षी मलिक जब क्वार्टरफ़ाइनल में हारीं थी तो उनके पास यही उम्मीद थी कि उन्हें शिकस्त देने वाली रूस की वलेरिया कोबलोवा लगातार अपना मुक़ाबला जीतते हुए फ़ाइनल में पहुंच जाएं और ऐसा ही हुआ जिसके बाद उन्हें रेपचेज़ राउंड के ज़रिए पदक जीतने का मौक़ा मिला था। इस मौक़े का फ़ायदा उठाते हुए साक्षी ने रेपचेज़ राउंड-2 में मंगोलिया की ओर्खोन पुरेवदोर को 12-3 से करारी शिकस्त दी थी। साक्षी ने ठीक उसी तरह भारत को पदक दिलाया है जैसे 2008 ओलंपिक्स में सुशील कुमार ने भारत के लिए कांस्य पदक जीता था। सुशील भी पहले दौर में हारने के बाद रेपचेज़ राउंड में अपना मुक़ाबला जीतने के बाद कांस्य पदक मुक़ाबले में जीत दर्ज करते हुए भारत को पदक दिलाया था। साक्षी की इस जीत के बाद भारत ने रियो ओलंपिक्स में अपना खाता खोल लिया है, भारत के पास पुरुष कुश्ती में भी योगेश्वर दत्त से उम्मीद है, जो अपना मुक़ाबला 21 अगस्त को खेलेंगे। वहीं बबीता कुमारी भी महिला कुश्ती के मुक़ाबले में भारत के लिए आज चुनौती पेश करेंगी।