भावनात्मक साक्षी मलिक ने कहा, 'मेरी 12 साल की तपस्या रंग लाई'

कांस्य जीतकर रियो ओलंपिक्स में भारत के पदक का सूखा खत्म करने के बाद भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि यह उनकी 12 साल की कड़ी मेहनत का परिणाम है। साक्षी ने इतिहास दर्ज किया। वह ओलंपिक मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला रेसलर बनी। साक्षी की आंखे आंसूओं से भीगी हुई थी और उन्होंने कहा, 'मेरी 12 साल की तपस्या रंग लाई। गीता दीदी जो मेरी सीनियर हैं, ने पहली बार लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि रेसलिंग में ओलंपिक मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला रेसलर बनूंगी। मैं उम्मीद करती हूं कि अन्य रेसलर भी अच्छा प्रदर्शन करे।' 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स की रजत पदक विजेता और 2014 इंचियोन एशियन गेम्स की कांस्य पदक विजेता हरियाणा की 23 वर्षीय साक्षी ने किर्गिस्तान की आइसुलू टीनीबेकोवा के खिलाफ कांस्य पदक मैच में 5-0 से पिछड़ने के बाद नाटकीय अंदाज में 8-5 से मुकाबला जीता। भारतीय रेसलिंग संघ के अध्यक्ष ब्रिज भूषण ने कहा, 'हमने भारत के लिया पहला पदक महिला वर्ग से जीता। यह जश्न का समय है।' साक्षी मैच के पहले हाफ में 0-5 से पिछड़ रही थी। इसके बाद उन्होंने मैच में गजब वापसी की और आखिरी सेकंड पर स्कोर 8-5 कर दिया। जब वह 0-5 से पिछड़ रही थी तो उनकी डिफेंसिव तकनीक नजर आ रही थी। इसके बारे में बात करते हुए साक्षी ने कहा, 'मैंने कभी आखिरी पल तक हार नहीं मानी। मुझे पता था कि अगर 6 मिनट तक मैट पर रही तो मुकाबला जीत सकती हूं। आखिरी राउंड में मुझे अपना सबकुछ झोंकना था, मुझे खुद पर विश्वास था।' साक्षी दिन की पांचवी बाउट में रूस की वलेरिया कोब्लोवा से क्वार्टरफाइनल मुकाबले में 2-9 से हार गई थी। कोब्लोवा फाइनल में पहुंची, जिसकी बदौलत साक्षी को रेपचेज राउंड की मदद से दूसरा मौका मिला। फिर उन्होंने इतिहास रच दिया। साक्षी ने कहा, 'दो-तीन घंटे का इंतजार मेरे लिए बड़ा दर्द वाला था। मेरे देशवासियों को शुभाकामनाएं देती हूं कि मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरी।' ओलंपिक्स में साक्षी पदक हासिल करने वाली भारत की चौथी महिला एथलीट बनी। उनसे पहले भरोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी (2000, सिडनी), मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम (2012, लंदन) और शटलर साइना नेहवाल (2012, लंदन) ही यह उपलब्धि हासिल कर पायी हैं। रेसलिंग में भारत के लिए यह पांचवां पदक रहा। सुशील कुमार ने 2012 लंदन ओलंपिक्स में रजत पदक जीता था जो सर्वश्रेष्ठ है। साक्षी ने 9 वर्ष की उम्र से रेसलिंग की तैयारी शुरू कर दी थी।