WWE एक बहुत बड़ा प्रो रेसलिंग प्रोमोशन है, जो दुनिया के अधिकतर देशों तक अपनी पहुंच बना चुका है। भारत भी उन्हीं देशों में से एक है, जहां WWE के लाखों-करोड़ों फैंस मौजूद हैं जो यहां हो रही छोटी से छोटी चीज़ पर भी नजर बनाए रखते हैं।
भारत की जनसंख्या को देखते हुए बहुत कम प्रो रेसलर्स विंस मैकमैहन के प्रोमोशन में जगह बना पाए हैं। मगर पिछले कुछ सालों में भारत में भी इस खेल के प्रति क्रेज़ बढ़ा है। शैंकी, गुरुराज और वीर जैसे नए रेसलर्स उभर कर आए हैं और उम्मीद है कि ये सभी आगे चलकर प्रो रेसलिंग में अपार सफलता हासिल करेंगे।
अभी तक द ग्रेट खली, जिंदर महल और द बॉलीवुड बॉयज़ वो भारतीय सुपरस्टार्स हैं, जिन्होंने WWE में सबसे ज्यादा फेम हासिल किया है, लेकिन ऐसी कुछ चीज़ें हैं जिनमें भारतीय रेसलर्स बेहद कमजोर नजर आते रहे हैं। इसलिए आइए जानते हैं उन 4 चीज़ों के बारे में जिनमें भारतीय WWE सुपरस्टार्स बहुत फिसड्डी साबित होते आए हैं।
भारतीय WWE सुपरस्टार्स के मैचों का एनर्जी लेवल अच्छा नहीं होता
द ग्रेट खली और जिंदर महल, दोनों अपने-अपने करियर में WWE चैंपियन बने लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि चैंपियन बनने के बावजूद वो अन्य बड़ी उपलब्धियां हासिल नहीं कर पाए। खली अपने करियर के अंतिम सालों में एक जॉबर रेसलर की भूमिका निभाने लगे थे, वहीं महल के लिए भी पिछले कुछ साल अच्छा नहीं गुजरे हैं।
ऐसा होने का एक बड़ा कारण यह है कि WWE में भारतीय रेसलर्स की इन रिंग मूवमेंट ज्यादा अच्छी नहीं रही है। जब मैच बहुत स्लो पेस (धीमी रफ्तार) से आगे बढ़ता है तब क्राउड के मन में ऊब की भावना पैदा होने लगती है, इसलिए फैंस बहुत बेकार तरीके से रेसलर्स को बू करने लगते हैं।
खली 7 फुट से भी अधिक लंबे रेसलर हैं, उनकी इन रिंग मूवमेंट अच्छी ना होने का कारण समझा जा सकता है। मगर जिंदर महल उतने लंबे नहीं हैं और रोस्टर के सबसे फिट रेसलर्स में से एक हैं, इसके बावजूद उनके मैचों में एनर्जी लेवल बहुत कम रहता है, जो संभव ही एक गौर करने वाला विषय है। समीर और सुनील सिंह जरूर हाई-फ्लाइंग मूव्स से फैंस का मनोरंजन करते थे, लेकिन कंपनी उन्हें रिलीज़ कर चुकी है।
अच्छे क्राउड पुलर नहीं रहे
रोमन रेंस, ऐज और सैथ रॉलिंस जैसे टॉप लेवल के सुपरस्टार्स के अलावा भी WWE के रोस्टर में ऐसे रेसलर्स मौजूद हैं, जिन्हें फैंस हर किरदार में परफॉर्म करते देखना पसंद करते हैं। सैमी जेन, डॉल्फ जिगलर और यहां तक कि हैप्पी कॉर्बिन बड़े हील सुपरस्टार होते हुए भी क्राउड के लिए हमेशा बड़े आकर्षण का केंद्र बने रहे हैं।
भारतीय लोग अपने देश के रेसलर्स को बहुत पसंद करते हैं, लेकिन WWE के शोज़ अमेरिका में आयोजित होते हैं। इसलिए उनका अमेरिकी क्राउड के साथ तालमेल बिठाना बहुत अहम पहलू बन जाता है, मगर ये एक ऐसी चीज़ है जिसमें भारतीय रेसलर्स आज तक असफल ही रहे हैं।
बेबीफेस सुपरस्टार नहीं बन पाए
WWE में एक समय पर टाइगर अली सिंह भी भारत का प्रतिनिधित्व करते थे, जिन्होंने अपने करियर में अधिकांश समय एक हील रेसलर का किरदार निभाया। उसके बाद द ग्रेट खली, जिंदर महल, द बॉलीवुड बॉयज़ आए। वहीं इसी साल वीर और शैंकी ने भी अपना मेन रोस्टर डेब्यू किया है।
इन सभी का हील किरदार निभाना एक संयोग तो नहीं हो सकता। अब सवाल है कि भारतीय रेसलर्स WWE में हील कैरेक्टर ही क्यों निभाते आए हैं। इससे एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या अमेरिकी क्राउड उन्हें बेबीफेस के रूप में देखना ही नहीं चाहता।
भारतीय सुपरस्टार्स के पास कोई आकर्षक फिनिशिंग मूव नहीं है
WWE में एक सुपरस्टार के कैरेक्टर को कई तरीकों से दिलचस्प बनाया जा सकता है। रेसलर्स का फिनिशिंग मूव भी उनके किरदार को दिलचस्प बना रहा होता है, जैसे रोमन रेंस के पास स्पीयर है, सैथ रॉलिंस के पास स्टॉम्प है और रैंडी ऑर्टन के पास RKO।
मगर भारतीय सुपरस्टार्स अपने फिनिशिंग मूव्स को फैंस के लिए ज्यादा मनोरंजक नहीं बना पाए। द ग्रेट खली की बात करें तो वो पंजाबी प्लंज और वाइस ग्रिप जैसे मूव्स से अपने मैचों को फिनिश करते आए हैं। वहीं जिंदर महल का खल्लास मूव कुछ खास प्रभावी नहीं रहा है।