क्रिकेट काफी समय से खेला जा रहा है लेकिन 16वीं सदी से ही क्रिकेट को जेंटलमैन का खेल कहा जाने लगा है। फिर चाहे उसका उदाहरण एडम गिलक्रिस्ट का ही क्यूं ना ही जो आउट हो गए थे लेकिन अंपायर के आउट नहीं देने के बावजूद वह क्रिकेट का ग्राउंड छोड़कर चले गए थे। लेकिन आज का क्रिकेट कहीं ना कहीं आलोचनाओं से घिरा है। वह पहले जैसा नहीं रहा। हालांकि कुछ ऐसे भी खिलाड़ी आज मौजूद हैं जिन्होंने अपनी टीम को पहले प्राथमिकता दी है। तो आइए जानते है ऐसे ही भारतीय खिलाड़ियों के बारे में।
#5 गौतम गंभीर
गौतम गंभीर एक ऐसे प्लेयर रहे हैं जो हमेशा से टीम को पहले प्राथमिकता देते हैं और यही कारण है कि उन्होंने हर फॉर्मेट, चाहे वह टी-20 हो या वनडे या टेस्ट मैच हो, टीम को पहले प्राथमिकता दी है।
इस दाएं हाथ के बल्लेबाज ने 2007 T20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। और वर्ल्ड कप 2011 में भी उन्होंने भारतीय टीम को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गंभीर ने क्रमश: 393 और 227 रन का योगदान दिया था।
इसके अलावा दिल्ली में पैदा हुए खिलाड़ी ने भारतीय टीम को काफी बार जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गौतम गंभीर का क्रिकेट रिकॉर्ड काफी लाजवाब रहा है।
यह भी पढ़ें: 5 क्रिकेटर जो वनडे में लंबे करियर के बाद भी अब तक टिके हुए हैं
क्रिकेट की ब्रेकिंग न्यूज़ और ताज़ा ख़बरों के लिए यहां क्लिक करें
#4 आजिंक्य रहाणे
आजिंक्य रहाणे ऐसे कुछ प्लेयर्स में से एक है जो टीम की रिस्पांसिबिलिटी लेने से कभी पीछे नहीं हटते और टीम को हर मुसीबत से बाहर निकालते हैं। अजिंक्य रहाणे आज के समय के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक हैं। रहाणे के पास बल्लेबाजी की बेहतरीन तकनीक है।
चाहे बल्लेबाजी की बात हो या स्लिप में कैच पकड़ने की बात हो, रहाणे हर क्षेत्र में आगे हैं। अगर सीमित ऑवरो की बात ही तो वह टीम के लिए बेहद जरूरी खिलाड़ी बन जाते है। रहाणे मैदान के एक मजबूत खिलाड़ियों में से एक है। वे अपनी योग्यता शब्दों से नहीं दिखाते बल्कि कर कर दिखाते हैं। मुंबई में पैदा हुए खिलाड़ी ने 52 टेस्ट, 90 वनडे और 20 टी20 मैच में 6500 से ज्यादा रन बनाए है। आजिंक्य रहाणे काफी लंबे समय से भारत के लिए खेल रहे है और उनका बैटिंग स्टाइल भी काफी यूनीक है जो उन्हें हर किसी से अलग बनाता है।
यह भी पढ़ें: भारत के 5 क्रिकेट स्टेडियम जहां खेला जा सकता है 2023 के विश्व कप का फाइनल मैच
#3 सुरेश रैना
सुरेश रैना के पास विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसी ख्याति तो नहीं लेकिन वह एक मैच विनर प्लेयर है जो टीम इंडिया के लिए खेलते है। वह एक बेहतरीन बल्लेबाज के साथ-साथ बेहतरीन स्पिन बॉलर है। दाएं हाथ के बल्लेबाज रैना ने टीम को काफी बार मैच में जीत दिलवाई है। वह अंतिम के ओवर्स में काफी खतरनाक हो जाते है और उनका स्ट्राइक रेट भी काफी अच्छा है जो विपक्षी टीम को हराने के लिए बहुत है।
वह एक ऐसे प्लेयर है जिनकी शायद ही कोई बुराई करे। रैना युवराज सिंह और महेंद्र सिंह धोनी के साथ काफी अच्छी क्रिकेट खेल चुके है। उनका 2011 वर्ल्ड कप में बेहतरीन प्रदर्शन कभी भुला नहीं जा सकता। रैना एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो फील्डिंग, बॉलिंग और बैटिंग तीनो चीज कर सकते हैं और उनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि जब भी टीम का कोई गेंदबाज विकेट निकालता है तो वह उसे गले से लगा लेते हैं।
यह भी पढ़ें: 11 गेंदबाज जिन्होंने विश्व कप में डाली आखिरी गेंद
#2 कपिलदेव
कपिल देव को हरियाणा हरिकेन के नाम से जाना जाता है। वह भारतीय मूल में जन्मे सबसे बेहतरीन ऑलराउंडर रह चुके है जिनके रिकॉर्ड को तोड पाना बेहद मुश्किल है। उन्होंने अपने इसी स्किल से टीम इंडिया को एक नए मुकाम पर पहुंचाया है, जिसकी टीम इंडिया को जरूरत थी। कपिल देव पहले इंडियन कैप्टन थे जिन्होने भारत को पहली बार वर्ल्ड कप दिलाया था। वहीं एक बार जब उनका नाम फिक्सिंग में आया तो वह इंटरव्यू के दौरान चिल्ला-चिल्ला कर रोने लगे और उन्होंने कहा 'मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है और मेरे लिए मेरी टीम ही सब कुछ है।'
कपिल देव ने 131 टेस्ट मैच, 225 वनडे खेले हैं, जिसमें उन्होंने 9000 से ज्यादा रन स्कोर किए है। कपिल देव एक अकेले ऐसे खिलाड़ी है जिन्होने टेस्ट में 5000 रन और 400 विकेट अपने नाम किए है।
यह भी पढ़ें: 3 भुला दिए गए भारतीय क्रिकेटर जो वर्ल्ड कप के लिए टीम का बैकअप बन सकते हैं
#1 राहुल द्रविड़
राहुल द्रविड़ को भारतीय क्रिकेट टीम की दीवार भी कहा जाता है। उन्होंने अपने करियर में 52.31 की औसत से 13000 रन बनाए है और 40 की औसत से वनडे मैचों में 10,000 रन बनाए है जो कि किसी भी बल्लेबाज के लिए सपने से कम नहीं है। वे अपने करियर के दौरान टीम के लिए हमेशा मौजूद रहे। वह टीम में हमेशा एक बल्लेबाज और गेंदबाज के तौर पर खेलते थे।
राहुल द्रविड़ एक बेहतरीन गेंदबाज और बल्लेबाज थे। साथ ही एक बेहतरीन ऑलराउंडर भी थे। उनकी फील्डिंग भी बहुत अच्छी थी। उन्होंने काफी बार बल्लेबाजों को फील्डिंग के दम पर पवेलियन भेजा है। लेकिन उन्होंने भारतीय टीम से संन्यास ले लिया है और अब वह टीम इंडिया के अंडर-19 और इंडिया ए के कोच है।
यह भी पढ़ें: 5 भारतीय खिलाड़ी जिन्हें अगले साल आईपीएल में हिस्सा नहीं लेना चाहिए
लेखक: प्रसाद मंदाति
अनुवादक: हिमांशु कोठारी