क्रिकेट रिकॉर्ड्स : भारतीय बल्लेबाजों की विश्वकप इतिहास में पांच सर्वश्रेष्ठ पारियों की रैंकिंग

Dhoni & Gambhir

क्रिकेट विश्वकप के इतिहास की सबसे सफल टीमों की बात करें, तो भारतीय क्रिकेट टीम इस मामले में संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर है। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम और वेस्टइंडीज के बाद भारत ने ही सबसे ज्यादा बार विश्वकप खिताब पर कब्जा जमाया है। पहले के समय से तुलना करें, तो भारतीय टीम के खेल में लगातार सुधार हुआ है।

भारतीय क्रिकेट टीम के पास हमेशा से ही बेहतरीन बल्लेबाज रहे हैं और उन्हीं के बल पर टीम चैंपियन बनती आई है। इस बार के विश्वकप में भी भारत के पास कई ऐसे बल्लेबाज मौजूद हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग के मामल दुनिया के अन्य बल्लेबाजों से कहीं आगे हैं।

भारतीय बल्लेबाजों ने पूर्व में हुए कई विश्वकप में बेहतरीन बल्लेबाजी का नजारा पेश किया है। आज हम आपको भारतीय बल्लेबाजों की ओर से विश्वकप इतिहास में खेली गई पांच सर्वश्रेष्ठ पारियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने सभी के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी। जानिए कौन सी हैं वो भारतीय बल्लेबाजों की पांच सबसे शानदार पारियां-

#5 सौरव गांगुली- 183 रन बनाम श्रीलंका

Saurav Ganguly

1999 के विश्वकप में भारत और श्रीलंका के बीच हुई भिड़ंत को लोग आज भी दादा की 183 रनों की बेहतरीन पारी के लिए याद करते हैं। इस मैच में भारत का पहला विकेट सदगोपन रमेश के रूप में सस्ते में आउट हो गया लेकिन श्रीलंका की टीम को इसके बाद सौरव गांगुली के जोरदार प्रहार का सामना करना पड़ा।

सौरव गांगुली ने दूसरे विकेट के लिए राहुल द्रविड़ के साथ मिलकर 318 रनों की साझेदारी की। गांगुली ने जहां 183 रनों की शानदार पारी खेली, तो वहीं द्रविड़ ने भी 145 रन बनाए थे। दोनों खिलाड़ियों की बेहतरीन पारियों की मदद से भारत ने श्रीलंका के सामने 50 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 373 रनों का स्कोर खड़ा किया। जिसके जवाब में श्रीलंका की टीम 216 रनों पर ही आलआउट हो गई।

#4 गौतम गंभीर- 97 रन बनाम श्रीलंका

Gautam Gambhir

भारत ने 2011 में दूसरी बार विश्वकप खिताब पर कब्जा किया था। उस विश्वकप के फाइनल मैच में भारत का सामना श्रीलंका से हुआ था और मैच की शुरुआत में ही भारत के स्टार बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग और सचिन तेंदुलकर सस्ते में आउट हो गए। ऐसे में भारत की इकलौती आस सलामी और अनुभवी बल्लेबाज गौतम गंभीर पर ही टिकी हुई थी।

वहीं गंभीर ने भी मौके की नजाकत को समझा और भारत को एक बार फिर से विश्व विजेता बनाने के लिए अपनी पूरी मेहनत झोंक दी। श्रीलंका की ओर से दिए गए 275 रनों के लक्ष्य का पीछा करने के दौरान गंभीर ने भारत को मजबूत शुरुआत दिलाई। उन्होंने इस मैच में 97 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली थी। वहीं अन्य खिलाड़ियों की मदद से भारत ने श्रीलंका पर एक शानदार जीत दर्ज की और भारत ने दूसरी बार विश्वकप खिताब अपने नाम किया।

#3 सचिन तेंदुलकर- 98 रन बनाम पाकिस्तान

Sachin Tendulkar

किसी भी विश्वकप में भारत और पाकिस्तान के बीच का मुकाबला सबसे रोमांचक होता है। हालांकि भारत अभी तक के विश्वकप इतिहास में पाकिस्तान के हाथों एक भी बार हारा नहीं है। विश्वकप इतिहास की सबसे बेहतरीन पारियों में सचिन की 98 रनों की पारी बेहद लाजवाब थी, जो कि 2003 में पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई थी।

पाकिस्तान ने उस मैच में भारत के सामने 274 रनों का लक्ष्य रखा था। जिसके जवाब में भारतीय टीम की ओर से सचिन तेंदुलकर सर्वाधिक 98 रनों की पारी खेली और 26 गेंद शेष रहते ही भारत को एक शानदार जीत दिलाई।

#2 महेंद्र सिंह धोनी- 91* रन बनाम श्रीलंका

MS Dhoni

2011 के विश्वकप फाइनल मुकाबले में भारत ने श्रीलंका को करारी शिकस्त दी थी और दूसरी बार विश्वकप खिताब पर कब्जा जमाया था। उस मैच में सचिन और सहवाग जैसे दिग्गज बल्लेबाज सस्ते में आउट होने के बाद गंभीर ने शुरुआत में विराट कोहली के साथ मिलकर पारी को संभाला था। जबकि उनके अलावा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी नाबाद 91 रनों की शानदार पारी खेली थी और अपने सदाबहार अंदाज में हेलीकॉप्टर शॉट लगाते हुए जीत का छक्का जड़ा था।

भारत के 4 विकेट गिरने के बाद क्रीज पर मौजूद युवराज सिंह और महेंद्र सिंह धोनी पर ही अपनी टीम को जीत दिलाने का जिम्मा था। वहीं कप्तान धोनी ने भी अपने प्रशंसकों और करोड़ों भारतवासियों को निराश नहीं किया और 91 रनों की शानदार पारी खेली और मैच के अंत में हेलीकॉप्टर शॉट लगाते हुए छक्क जड़ा और भारत को दूसरी बार विश्वविजेता बनाया।

#1 कपिल देव- 175 रन बनाम जिम्बाब्वे

Kapil Dev

कपिल देव को यूं ही नहीं भारत का सर्वश्रेष्ठ आल राउंडर और सबसे सफल कप्तान कहा जाता है। उन्होंने क्रिकेट इतिहास में ऐसे कीर्तिमान रचे हैं, जो उनके एक महान क्रिकेटर होने की गवाही देते हैं। इसी में ही 1983 के विश्वकप में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेली गई उनकी 175 रनों की पारी भी शामिल है।

कपिल देव ने यह पारी ऐसे समय पर खेली थी, जब भारत के 4 विकेट मात्र 9 रन पर ही गिर गए थे। इसके बाद यह लग रहा था कि शायद भारत 100 रन भी न पूरे कर सके लेकिन कपिल देव ने पारी को संभालते हुए जैसे-तैसे टीम का स्कोर आगे बढ़ाया और विरोधी टीम पर जबरदस्त आक्रमण बोलते हुए भारत का स्कोर 8 विकेट पर 266 रन पहुंचाया। वहीं इसके जवाब में जिम्बाब्वे की टीम 235 रन ही बना सकी। उनकी इस पारी को विश्वकप इतिहास की सबसे महान पारी में गिना जाता है।

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