भारतीय महिला फुटबॉल टीम की स्टार डांगमी ग्रेस ने कई डिफेंडरों को पीछे छोड़ते हुए अपना नाम बनाया है, लेकिन 24 साल की डांगमी ग्रेस का ट्रैक एंड फील्ड से गहरा नाता रहा है। वह छोटी दूरी वाली खूब रेस करती थीं। एआईएफएफ टीवी से बातचीत करते हुए ग्रेस ने जानकारी दी कि जब वह छोटी थीं तो अपने स्कूल में 100 या 200 मीटर रेस करती थीं।
डांगमी ग्रेस ने कहा, 'मेरे बचपन में हमारा स्कूल बिष्णुपुर हर साल खेल इवेंट आयोजित कराता था। एक साल में व्यक्तिगत खेल थे और अगले साल टीम स्पोर्ट्स। मेरा चयन 100 मीटर या 200 मीटर रेस में होता था। हम खेल मीट के लिए नागालैंड में कोहिमा जैसी जगह जाएंगे।'
फुटबॉल ने बदली भारतीय फुटबॉल टीम की डिफेंडर डांगमी ग्रेस
हालांकि, भाषा में बाधा के कारण वह ट्रेनिंग सेंटर से जुड़ नहीं पाईं और जब तक उन्हें फुटबॉल नहीं मिला, तब तक उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। डांगमी ग्रेस ने कहा, 'मैंने कभी फुटबॉल के बारे में इतना नहीं सोचा था। मगर स्कूल के समय में मेरे एक दोस्त ने मुझे आमंत्रित किया था। मेरे पिता काफी समर्थन करते थे जब मुझे टूर्नामेंट खेलना होता था और मुझे लगता है कि यह मेरी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट था। मेरे ख्याल से ट्रैक एंड फील्ड में बैकग्राउंड होने से एक विंगर बनने में मुझे काफी मदद मिली। मैं फुटबॉल ट्रेनिंग सेंटर से जुड़ी, लेकिन यह मेरे स्कूल से थोड़ा दूर था। तो जब 3 बजे घंटी बजती थी, मैं दौड़कर घर जाती थी, कपड़े बदलती थी और ट्रेनिंग के लिए दौड़ जाती थी।'
डांगमी ग्रेस की प्रतिभा को जल्दी पहचान मिली और उन्होंने जल्द ही जूनियर नेशनल्स में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व किया, फिर राष्ट्रीय टीम से उन्हें बुलावा आ गया। जल्द ही वह सीनियर टीम में युवा के तौर पर शामिल हुईं।
डिफेंडर डांगमी ग्रेस ने कहा, 'जब 2013 में मुझे सीनियर टीम में बुलाया गया तो मुझे चीजों का बिलकुल पता नहीं था। मगर एक बार जब मैं सीनियर टीम के साथ जुड़ी तो मैंने पहली बार देखा कि बेमबेम देवी दी और बाला देवी दी ट्रेनिंग करती हैं और किस तरह तैयारी करती हैं।' डांगमी ग्रेस ने आगे कहा, 'युवा के रूप में मेरे लिए बड़ा अच्छा अनुभव रहा। सीनियर को देखकर मुझे कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा मिली। मैं एक दिन उनके जैसा खेलना चाहती हूं और यही इच्छा मुझे प्रोत्साहित रखती है।'