योग मिटाए हर रोग क्योंकि योग में हर बीमारी को खत्म करने एवं वापस ना आने देने की शक्ति होती है। अगर आपके जीवन में कोई भी बीमारी है फिर चाहे वो गर्दन दर्द हो, कमर दर्द हो या फिर कोई अन्य दर्द, योग हर परेशानी को ठीक कर सकता है। ऐसे कई असाध्य रोग हैं जिनसे आप बच सकते हैं और उनको रोकने में योग सबसे कारगर है।
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योग को सिर्फ एक जीवनशैली नहीं बल्कि सेहत की कुंजी माना जाता है। अगर आप अपनी सेहत को लेकर परेशान हैं और अगर वो परेशानी आपकी गर्दन से जुड़ी हुई है तो योग आपके लिए बेहद फायदेमंद रहेगा। ऐसे कई आसन हैं जिन्हें करके आप परेशानी को दूर और निदान को अपने पास रख सकते हैं।
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कई लोग हैं जिन्हें गर्दन घुमाने में दिक्कत होती है तो वहीँ कुछ को गर्दन से जुड़ी नसों और हड्डियों में दर्द महसूस होता है। अगर आप भी उन लोगों में आते हैं तो आज ही इस आर्टिकल में दिए गए योगासनों का इस्तेमाल करके आप अपनी सेहत को बेहतर कर सकते हैं और किसी भी दर्द से निजात पा सकते हैं।
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गर्दन दर्द के लिए 5 योग
शवासन
शवासन सबसे आसान होता है और अमूमन सभी आसनों के बाद में किया जाता है। इसको करते ही आपको एक आराम की अनुभूति होती है। आपके शरीर में एक अलग ऊर्जा का प्रवाह देखने को मिलता है और इसे करने के लिए आपको अपनी पीठ के बल जमीन पर लेट जाना होता है। हाथों को दोनों तरफ कर लें और पैरों को थोड़ा खोल लें। इस अवस्था में रहने पर शरीर को बेहद आराम मिलता है।
बालासन
इसको करने के लिए आप अपने घुटनों के बल बैठ जाएं और अपने भार को एड़ियों पर ड़ालें। इसके बाद आगे की तरफ झुकें जबतक कि आपका सीना आपकी जाँघों को ना छूने लगे। इस दौरान आपका माथा जमीन को छूने लगेगा और आपके हाथ आगे की दिशा में हो जाएंगे। इस अवस्था में कुछ समय तक रहने के बाद एक नार्मल पॉस्चर में आ जाएं। ये गर्दन के साथ साथ शरीर के अन्य अंगों को भी फायदा पहुँचाता है।
मार्जरी आसन
एक आधे वक्र वाली स्थिति में आ जाएं जहाँ आपके घुटने एवं एड़ियाँ जमीन पर हों और आपके हाथ आगे की तरफ होने चाहिए। अब इस स्थिति में अपनी ठोड़ी को आगे ले जाएं और गर्दन के साथ चिपका दें। इस अवस्था में साँस छोड़ें और कुछ सेकेंड्स के बाद शरीर को ढीला छोड़ दें।
नटराज आसन
इस आसन के लिए आपके शरीर में स्थिरता होनी जरूरी है। आप अपने शरीर के दाहिने पैर को ऊपर उठाएं और दाएं हाथ से उसे ऊपर उठाने की कोशिश करें। अपने बांए हाथ को आगे की तरफ ले जाएं जबकि आपका बायाँ पैर जमीन पर ही रखें। ऐसा करते ही आपको एक अलग तरह की ऊर्जा का संचार महसूस होगा लेकिन इसे तब ही करें जब आप फ्लेक्सिबल हों।
बितिलासन
इसे अंग्रेजी में काऊ पोज भी कहा जाता है। इस आसन के लिए आपको एक मेज के आकार में आ जाना है जिसमें आपका पेट, आपका चेहरा और आगे का शरीर एकदम स्थिर रहना चाहिए। ऐसा होते ही आपको बेहद अच्छा लगेगा और ये गर्दन से जुड़े दर्द को दूर कर देगा।