सफेद मूसली के अपने फायदे हैं और अश्वगंधा के अपने गुण हैं लेकिन जब दोनों एक साथ आ जाते हैं तो उससे होने वाले लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं। ये दोनों एक प्रकार से औषधियाँ हैं और इनके इस्तेमाल से शरीर के कई अंगों, कई भावनाओं और सोच को लाभ होता है। एक बात ध्यान रखें कि सफेद मूसली का इस्तेमाल वो लोग ना करें जिन्हें मानसिक दिक्कतें हों।
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ऐसा नहीं है कि इससे कोई परेशानी होती है लेकिन ये कुछ लोगों में रिएक्ट कर सकता है। दरअसल में ऐसे कई लोग हैं जिन्हें अपनी कामुकता को कंट्रोल करने में परेशानी होती है और सफेद मूसली उसी भावना को बढ़ाता है। मानसिक बीमारी सिर्फ तब नहीं होती जब आपका दिमाग चल जाता है।
वो तब भी होती है जब आप कोई भी ऐसा काम करना चाहते हैं तो सही नहीं है। ऐसे लोग जिन्हें कामुक ख्याल ज्यादा आते हैं या जो अपनी सेक्सुअल भावनाओं को काबू में नहीं रख पाते हैं उन्हें सफेद मूसली का सेवन नहीं करना चाहिए। आप अश्वगंधा का सेवन कर सकते हैं और अगर उपरोक्त स्थिति आपके साथ है तो तुरंत मानसिक जांच कराएं और इलाज करें।
सफेद मूसली और अश्वगंधा के फायदे
याददाश्त को तेज करे
सफेद मूसली का इम्पैक्ट सबसे ज्यादा दिमाग पर होता है लेकिन ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ आपकी कामुकता को ही बढ़ाता है। ये आपकी याददाश्त को भी बढ़ाता है। ऐसे में जिन्हें एल्जाइमर्स हो उनके घरवाले इसका इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन चूँकि ये बीमारी दिमाग से जुड़ी हुई है तो अपने या अपने परिवार के सदस्य की मानसिक स्थिति को देख रहे डॉक्टर से इसके बारे में बात जरूर करें।
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पेट को रखे ठीक
आयुर्वेद में ये बात प्रचलित है कि जब आपका पेट नरम रहता है तो आपको अच्छा महसूस होता है और ये बात पूरी तरह से सच है। इसलिए अगर आपको उदर विकार है तो आपको इसका सेवन करना चाहिए। पेट नरम होने पर शरीर में आनंद की अनुभूति होती है और ये बात बेहद अच्छी है।
एंटीइंफ्लेमेटरी (Anti Inflammatory)
एंटीइंफ्लेमेटरी (Anti Inflammatory) गुणों के कारण ये दोनों आपके शरीर में बड़ी से बड़ी सूजन और घुटनों के दर्द को ठीक रखने का माद्दा रखती हैं। सफेद मूसली में पाए जाने वाले सैपोनिन में एंटीफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो आपके शरीर को फिट करके आपको चलने नहीं, दौड़ने के काबिल बना सकती है।
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