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भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team)


ABOUT

Full NameIndian National Cricket Team

Nick NameMen in Blue, Team India

Founded1932

Team Owner(s)BCCI

Prominent PlayersKapil Dev, Sunil Gavaskar, Sachin Tendulkar, Sourav Ganguly, Rahul Dravid, MS Dhoni, Virat Kohli

RECENT FIXTURES All Hindi Cricket News Fixtures→

SQUAD

PLAYER ROLE STYLE AGE
रोहित शर्मा (Rohit Sharma) Batsman Right Handed 35
केएल राहुल (KL Rahul) Wicketkeeper Right Handed 30
चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) Batsman Right Handed 35
विराट कोहली (Virat Kohli) Batsman Right Handed 34
सूर्यकुमार यादव (Suryakumar Yadav) Batsman Right Handed 32
Kona Srikar Bharat Wicketkeeper Right Handed 29
रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) All Rounder Left Handed 34
रविचंद्रन अश्विन (R Ashwin) All Rounder Right Handed 36
अक्षर पटेल (Axar Patel) All Rounder Left Handed 29
मोहम्मद शमी (Mohammad Shami) Bowler Right Arm 32
मोहम्मद सिराज Bowler Right Arm 29
कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) Bowler Left Arm 28
शुभमन गिल (Shubman Gill) Batsman Right Handed 23
श्रेयस अय्यर (Shreyas Iyer) Batsman Right Handed 28
इशान किशन (Ishan Kishan) Wicketkeeper Left Handed 24
उमेश यादव (Umesh Yadav) Bowler Right Arm 35
जयदेव उनादकट Bowler Left Arm 31
हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) All Rounder Right Handed 29
वॉशिंगटन सुंदर (Washington Sundar) All Rounder Left Handed 23
शार्दुल ठाकुर Bowler Right Arm 31
युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) Bowler Right Arm 32
Umran Malik Bowler Right Arm 23
ABOUT

भारतीय क्रिकेट टीम का इतिहास


अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लंबे समय से बेहतरीन प्रदर्शन करती आ रही भारतीय टीम ने 1932 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच से आधिकारिक तौर पर अपना सफर शुरू करने के बाद से ही लगातार ख्याति अर्जित की है। टीम के पहले कप्तान कर्नल सी के नायडू से लेकर वर्तमान कप्तान विराट कोहली तक, भारत ने इन सभी दिग्गजों की उपस्थिति में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों के खिलाफ जीतकर नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं।


टेस्ट टीम का तमगा हासिल करने वाली छठी टीम बनने के बाद भारतीय टीम को पहली टेस्ट जीत 1952 में हासिल हुई, जब मद्रास में सीरीज के पांचवे और अंतिम मैच में इंग्लैंड को हराकर 1-1 से बराबरी की। ये एक लंबे सफर का महज़ आग़ाज़ था, जिसका बेहतरीन ऑल राउंडर वीनू मांकड़ ने सफलतापूर्वक नेतृव किया, उन्होंने इस मैच की पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 4 विकेट झटककर मुकाबले में जीत सुनिश्चित की।


Vijay Hazare hindi




इस जीत में भारत के महानतम बल्लेबाज कप्तान विजय हज़ारे, जिनके नाम पर घरेलू एकदिवसीय टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता है। इनके अलावा लाला अमरनाथ जिनके बेटे सुरिंदर और मोहिंदर ने आगे चलकर देश का प्रतिनिधित्व किया , पॉली उमरीगर जो उन दिनों भी सारे शॉट खेलने में माहिर मंसूर अली खान पटौदी, विजय मांजरेकर, सुनील गावस्कर और कपिल देव जैसी प्रतिभाओं के उदयीमान से गुमनाम और कम आंके जाने वाले क्रिकेटर को भी पहचान मिलना शुरू हो गई। 1970 के दशक में ऑफ स्पिनर श्रीनिवास वेंकटराघवन, जिन्होंने 1975 और 1979 के विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया; वहीं बाएं हाथ के गेंदबाज बिशन सिंह बेदी, लेग स्पिनर भागवत चंद्रशेखर और ऑफ ब्रेक गेंदबाज इरापल्ली प्रसन्ना जैसे बेहतरीन स्पिनरों की अब तक की दुनिया की सबसे सफल गेंदबाजों की जोड़ियां देखने को मिलीं।


1983 विश्व कप


वहीं दूसरे हाथ पर गावस्कर, कपिल जो कि उस समय के चार उत्कृष्ट ऑल राउंडर्स में से एक थे, दिलीप वेंगसरकर और मोहिंदर अमरनाथ जैसे खिलाड़ियों ने बल्लेबाजी में सर्वश्रेष्ठ होने का माद्दा दिखाया। इन चारों ने आगे चलकर 1983 विश्व कप ट्रॉफी पर कब्जा जमाया, सबसे ताकतवर टीम के खिलाफ जीत कर भारतीय टीम ने सभी को चौंका कर रख दिया था। फाइनल मुकाबले में जब वेस्टइंडीज की आखिरी विकेट भारतीय टीम द्वारा दिये गए लक्ष्य को हासिल करने से चूक गई, उसी पल ने भारतीय क्रिकेट में एक नई सुबह का आग़ाज़ किया।


वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ कपिल देव



रातों रात लोगों के चहेते बने इन भारतीय नायकों ने भारतीय क्रिकेट में मौजूद असीम संभावनाओं को दुनिया की नज़रों में लाकर खड़ा कर दिया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने लोगों का रूझान इस खेल में पैदा किया, विश्व कप का खिताब जीतने के बाद युवा पीढ़ी इस खेल को गंभीरता से लेने लगी। लॉर्ड्स मैदान की बालकॉनी में कपिल देव का इस ट्रॉफी को उठाते देखना युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणास्रोत बन गयादो साल बाद गावस्कर के नेतृत्व में भारत ने कट्टर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को हराकर विश्व चैंपियनशिप की ट्रॉफी पर कब्जा जमाया।


1990 का दशक


1980 के अंतिम वर्षों में जहां सलामी बल्लेबाज गावस्कर ने खेल को अलविदा कहा तो वहीं एक और दिग्गज सचिन तेंदुलकर के सफर का आग़ाज़ हुआ। इस छोटे कद के मगर प्रभावशाली युवा ने 24 वर्षों तक भारतीय क्रिकेट में योगदान दिया, करियर के आख़िरी दौर में क्रिकेट के दोनों ही प्रारुपों में लगभग हर रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज था। महान बल्लेबाज बनने के इस सफर में, तेंदुलकर ने एक के बाद एक यादगार पारियां खेलीं जिससे भारत के मध्यक्रम के फैब फोर का निर्माण हुआ जिसमें उनके अलावा राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली शामिल थे


मैच फिक्सिंग विवाद और 2000 का दशक


दुर्भाग्यवश, 21वीं सदीं की शुरुआत में भारतीय क्रिकेट को मैच फिक्सिंग का दंश झेलना पड़ा जिसने करिश्माई बल्लेबाज मोहम्मद अजहरुद्दीन को बाहर का रास्ता दिखाया लेकिन गांगुली ने अपनी समझदारी से इस बिखरे हुए खेमे को जोड़े रखकर देश मे खेल के दिन सुधारने का काम किया। उनके नेतृव में खिलाड़ियों के अंदर आक्रमकता का रवैया पैदा हुआ जिसने उन्हें प्रतिद्वंदी की आँखों में आंखे डालना सिखाया।


भारत ने विदेशी सरजमीं पर जीतने का गुण हासिल किया जिसमें 2002 और 2003 लीड्स टेस्ट में इंग्लैंड को पटखनी देना मुख्य रूप से शामिल है। 2003 में ही भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका की धरती पर आयोजित किये गए विश्व कप के फाइनल में जगह बनाई और अगले साल ही पाकिस्तानी टीम को उसी के देश में टेस्ट सीरीज में पहली बार 2-1 से करारी शिकस्त दीमगर इन सभी महत्वपूर्ण जीतों की नींव 2001 में कोलकाता टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को हराकर रखी गई, जिसमें द्रविड़ और लक्ष्मण की 376 रन की विशाल साझेदारी ने भारतीय टीम को संकट से उबारा, परिणामस्वरूप भारतीय टीम ने फॉलो ओन के बावजूद जीत का स्वाद चखा। जल्द ही क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में भारत ने अपना सिक्का जमा लिया, भारतीय युवाओं का नेतृव करते हुए महेंद्र सिंह धोनी ने 2007 में टी20 विश्व कप जीत लिया


चार साल बाद, धोनी के नेतृव में भारत ने 2011 में विश्व कप जीतकर विश्व चैंपियन का तमगा हासिल किया और 2013 में उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी को अपने खिताबों की फेहरिस्त में शामिल कर लिया।


dhoni 2011 world cup



आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के गढ़, बीसीसीआई के अथक प्रयासों और निवेश की बदौलत भारतीय क्रिकेट ने एक लंबा सफर तय किया है, साथ ही विश्व क्रिकेट में आर्थिक और प्रभाव की दृष्टि से सर्वोच्च स्थान हासिल किया है। उन्होंने आईसीसी को आईपीएल के लिए अलग विंडो आवंटित करने के लिए सफलतापूर्वक राजी किया है।


वास्तव में, भारतीय क्रिकेट ने सीके नायडू के दौर के बाद से लंबा सफर तय किया है, अब इस पीढ़ी जिसकी नींव 1932 में पूर्वजों द्वारा रखी गयी थी, की कमान विराट कोहली के हाथों में है।

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