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यूके सरकार की अजीब मांग, विम्बल्डन के लिए मेदवेदेव को देना पड़ सकता है अपने ही देश के खिलाफ सबूत

मेदवेदेव को ब्रिटिश सरकार को संतुष्ट करना होगा कि वह रूस की युद्ध नीति के खिलाफ हैं।
मेदवेदेव को ब्रिटिश सरकार को संतुष्ट करना होगा कि वह रूस की युद्ध नीति के खिलाफ हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध की जड़े यूरोपीय देशों के खेल की दुनिया में इतनी ज्यादा जम गई हैं कि अब हर दिन सरकारें और खेल संघ अजीबो-गरीब मांग करते देखे जा रहे हैं। ताजा मामले में ये खबर सामने आ रही है कि रूस के टेनिस खिलाड़ी डेनिल मेदवेदेव को अगर इस साल होने वाली विम्बल्डन चैंपियनशिप का हिस्सा बनना है तो उन्हे सबूत देना होगा कि वो अपने देश के राष्ट्रपति पुतिन की नीतियों के खिलाफ हैं।

UK sports min Nigel Huddleston says world No.1 Daniil Medvedev might need to prove he isn’t Putin supporter to compete at #Wimbledon‘Nobody flying the flag for Russia should be allowed‘I think we need to have some assurance that they are not supporters of Vladimir #Putinhttps://t.co/eSi4hHCuUK

खबरों के मुताबिक ब्रिटिश पार्लियामेंट में ब्रिटिश खेल मंत्री नाइजेल हटलस्टन से जब इस साल विम्बलडन में मेदवेदेव के भाग लेने पर सवाल पूछा गया तो मंत्री ने जवाब दिया कि मेदवेदेव समेत बाकी रूसी खिलाड़ियों को यह जताना पड़ सकता है कि वह रूस के यूक्रेन पर किए गए हमले की निंदा करते हैं। इसके लिए मेदवेदेव समेत बाकी खिलाड़ियों के जवाब से संतुष्ट होने के बाद ही फैसला लिया जाएगा। हालांकि टेनिस फैंस सरकार के इस रवैये से खासे नाखुश हैं क्योंकि लगातार खेल की दुनिया में सरकारों और राजनितिज्ञों की दखल अंदाजी बढ़ती जा रही है और ब्रिटिश सरकार इसमें सबसे बड़ा किरदार निभा रही है।

मेदवेदेव ने पिछले साल यूएस ओपन के रूप में अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीता है।
मेदवेदेव ने पिछले साल यूएस ओपन के रूप में अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीता है।

दो हफ्ते पहले विश्व नंबर 1 टेनिस खिलाड़ी बने मेदवेदेव हाल ही में इंडियन वेल्स के तीसरे दौर में हारकर बाहर हो गए। अब वो अगले सोमवार जारी होने वाली एटीपी रैंकिंग में दोबारा नंबर 2 बन जाएंगे और सर्बिया के नोवाक जोकोविच विश्व नंबर 1 खिलाड़ी बन जाएंगे। नंबर 1 की कुर्सी गंवाने वाले मेदवेदेव कई मौकों पर साफ तौर पर बयान दे चुके हैं कि वह युद्ध के पक्ष में बिल्कुल नहीं हैं। विश्व के तमात टेनिस संघों ने टेनिस मुकाबलों में रूस और बेलारूस के राष्ट्रीय ध्वजों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है, टेनिस की टीम प्रतियोगिताओं जैसे डेविस कप और बिली जीन कप में रूस और बेलारूस की टीमें भाग नहीं ले पाएंगी। इतना करने के बाद भी कुछ फैंस और यूरोप के देशों की कुछ सरकारें रूसी और बेलारूसी खिलाड़ियों के प्रोफेशनल टेनिस खेलने के पक्ष में नहीं हैं।

And no one sees how dangerous this is? So everyone is now forced between making a living and putting their families at risk. When did we become so dumb. Daniil Medvedev may need to denounce Putin to avoid Wimbledon ban - sports minister Nigel Huddleston eurosport.com/tennis/wimbled…

ATP, WTA, ITF जैसे संघ पहले ही साफ कर चुके हैं कि वो युक्रेन से युद्ध के समय में सांत्वना रखते हैं लेकिन रूस, बेलारूस समेत तमात देशों के टेनिस खिलाड़ियों के निजी करियर और खेल को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते इसलिए उन्हें खेलने की अनुमति दी गई है। ऐसे में ब्रिटिश खेल मंत्री का युद्ध के विरोध में खिलाड़ियों से सबूत मांगना काफी अटपटा लग रहा है। टेनिस प्रेमी भी ब्रिटिश सरकार के इस रवैये के खिलाफ दिख रहे हैं। कुछ दिन पहले ही ब्रिटिश सरकार की ओर से फुटबॉल क्लब चेल्सी पर तमाम पाबंदियां लगाई गईं क्योंकि टीम के मालिक रोमन एब्रामोविच रूसी मूल के हैं और उनपर रूसी राष्ट्रपति पुतिन से नजदीकी का आरोप है। खेल प्रेमियों ने तब भी सरकार की बेवजह युद्ध को खेलों से जोड़कर खेलों को बर्बाद करने की कोशिश पर सवाल उठाए थे।

Sorry? What? The UK Sports Minister is demanding that Russian tennis players engage in a ritual public denunciation of their own country's govt in order to be permitted to play in tennis tournaments? What are we becoming? telegraph.co.uk/tennis/2022/03…

मेदवेदेव ने पिछले साल यूएस ओपन के रूप में अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीता था। वहीं वो विम्बल्डन के चौथे दौर में हारकर बाहर हो गए थे। लेकिन पिछले काफी समय से अपने प्रदर्शन के कारण दुनियाभर में मेदवेदेव ने काफी फैंस कमाए हैं और टेनिस प्रेमी उन्हें कोर्ट पर देखना चाहते हैं। ऐसे में फैंस नाराज हैं कि एक खिलाड़ी का ध्यान जहां सिर्फ अपने खेल पर होना चाहिए, वहां ब्रिटिश सरकार उम्मीद करती है कि टेनिस खिलाड़ी एक-एक कर उन्हें युद्ध के संबंध में अपनी निष्ठा का सबूत देते हुए खेल का हिस्सा बनें।

Edited by Prashant Kumar
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