WWE ने 2016 में ब्रांड स्प्लिट करके फैंस को खुश करने की कोशिश की थी। उस समय रॉ (Raw) सोमवार की रात और स्मैकडाउन (Smackdown) मंगलवार की रात को दिखाया जाना तय हुआ था।
इसके लिए कंपनी ने अच्छे से ड्राफ्ट भी कराया था ताकि दोनों ब्रांड अपने लिए सुपरस्टार्स का चुनाव कर सकें। इस फैसले ने कंपनी को काफी अधिक सफलता दिलाई।इसके बाद Raw तो मंडे को ही, जबकि SmackDown फ्राइडे नाईट को लाइव आता है।
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भले ही कंपनी ने यह फैसला लेकर अपनी परेशानियों को कम करने का काम किया हो, लेकिन ऐसा नहीं है कि उनकी सारी परेशानियां इस एक फैसले से ही समाप्त हो गई हैं। अभी ऐसे बहुत से पहलू पर काम करने की जरूरत है जिससे कि पूरी कंपनी में ही सुधार लाया जा सकता है।
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हम एक लिस्ट लेकर आए हैं जिसमें दी गई जानकारियां वैसे तो काफी छोटी-छोटी चीजें हैं, लेकिन ऐसी ही छोटी-छोटी चीजों से कोई कंपनी बहुत बड़ी बनती है। एक नजर उन चार बदलावों पर जिन्हें जल्द से जल्द करके WWE अपने फैंस को परेशानी से बचा सकती है।
#4 रैंडम तरीके से बुक किए जाने वाले WWE मैच
वीकली टेलीविजन में रैंडम तरीके से बुक किए जाने वाले मैच सबसे अधिक परेशान करने वाली चीज है। आप शो में कुछ अच्छी स्टोरीलाइंस के साथ खुद को बांधकर रखते हैं और इसी में WWE अचानक कोई ऐसा मैच ले आती है जिसका कोई मतलब ही नहीं निकलता है। मामले को और खराब बनाने के लिए वे ऐसे मैचों के लिए जॉबर्स को ले आते हैं जो अपना नाम तक नहीं बना सके होते हैं।
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यह समझा जा सकता है कि WWE ऐसा करके अपने लंबे स्लॉट को भरने की कोशिश करती है, लेकिन इसका यह भी मतलब नहीं है कि वे ऐसे ही कोई रैंडम मैच लेकर आ जाएं। इसके उलट वे मिडकार्ड के लिए एक साधारण स्टोरीलाइन लेकर आ सकते हैं जिससे कि फैंस पूरा शो देखें भी और इससे परेशान भी न हों।
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#3 दो घंटे का होना चाहिए Raw
WWE Raw तीन घंटे का लाइव प्रोग्रामिंग शो होता है और किसी रेसलिंग शो के लिए तीन घंटे का समय काफी अधिक हो जाता है। इतने अधिक समय के कारण जो लंबे स्लॉट बन जाते हैं उन्हीं को भरने के लिए WWE को मजबूरी में रैंडम मैच कराने ही पड़ते हैं। ब्रांड स्प्लिट के बाद से फैंस को WWE पांच घंटे का लाइव प्रोग्रामिंग दिखा रही है जो काफी अधिक है।
रेसलिंग फैंस की इच्छा को पूरी करना इतना आसान काम नहीं है और हाल के समय में सोशल मीडिया का महत्व बढ़ जाने के बाद यदि वे शो से बोर होते हैं तो यह WWE के लिए काफी निराशाजनक होगा। Raw को दो घंटे का शो बनाकर ऐसा कंटेंट दिया जा सकता है जिसे कोई भी मिस नहीं करना चाहेगा।
यदि ऐसा किया जाएगा तो इससे यह संदेश भी जाएगा कि Raw और Smackdown दोनों एक जैसे ही शो हैं और दोनों में कोई अंतर नहीं है। एक शो तीन घंटे और एक दो घंटे का होने से ऐसा संदेश जाता है कि जैसे Smackdown कंपनी का B शो है।
#2 शो के दौरान कमेंटेटर्स को सुझाव देना
WWE की कमेंट्री टीम को काफी अधिक आलोचना झेलनी पड़ती है। उनके ऊपर आरोप लगते रहते हैं कि वे मैच पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं और महत्वपूर्ण समय पर ही अलग-अलग चीजों के बारे में बात करते रहते हैं। हालांकि, यह सच नहीं है क्योंकि वे जो करते हैं उनके पास उससे अलग करने की चॉइस नहीं होती है।
लाइव शो के दौरान ही उन्हें कान में लगे इयरपीस के जरिए सुझाव मिलते रहते हैं जिससे कि उन्हें अहम समय पर खुद को रोकना पड़ता है। नेटवर्क स्पेशल में इसका अंतर साफ देखा जा सकता है क्योंकि वहां कमेंटेटर्स के पास सबकुछ अपने हिसाब से करने की छूट होती है। लाइव शो में भी उन्हें ऐसी छूट मिलनी चाहिए।
#1 स्क्रिप्ट के हिसाब से दिए जाने वाले प्रोमो
अपने पीक वाले दिनों में WWE अपने सुपरस्टार्स को प्रोमो देने के लिए केवल प्वाइंटर्स ही देती थी और मुख्य चीजें सुपरस्टार्स खुद से ही बोलते थे। हालांकि, अब ऐसा नहीं होता और सुपरस्टार्स को शब्दों से लेकर अपनी टाइमिंग तक स्क्रिप्ट के हिसाब से करनी पड़ती है।
फिलहाल के समय में स्क्रिप्ट के साथ प्रोमो नहीं दिलाया जाना चाहिए। अब सुपरस्टार्स को माइक पर भी अपनी स्किल दिखाने का मौका मिलना चाहिए। कई बार सुपरस्टार्स अपनी स्क्रिप्ट भूल जाते हैं और ऐसे में वे मजाक के पात्र बन जाते हैं।