WWE हॉल ऑफ फेमर और रुस्तम-ए-हिंद श्री दारा सिंह जी (Dara Singh Ji) के बारे में हम सब ये जानते हैं कि उन्होंने भारत के प्रसिद्ध टीवी सीरियल 'रामायण' में श्री हनुमान जी का किरदार निभाया था। हम सब ये भी जानते हैं कि वो कुश्ती करते थे और उसमें उन्होंने भारत का रुतबा दुनिया में सबसे ऊँचा कर दिया था।
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दारा सिंह जी ने फिल्मों में भी काम किया जिसमें हिंदी भाषा में की गई फिल्में एवं पंजाबी में की कई फिल्में शामिल हैं। मेरा नाम जोकर नाम की ऐतिहासिक फिल्म में उन्होंने शेर सिंह नाम का किरदार किया था जो बेहद पसंद किया गया था। सात हिंदुस्तानी फिल्म के निर्देशक और लेखक इस फिल्म के भी लेखक थे। दारा सिंह जी के बारे में कई बातें लोगों को मालूम हैं लेकिन ऐसी कई बातें हैं जिनके बारे में लोग नहीं जानते हैं और इस आर्टिकल में हम उसके बारे में ही बात करने वाले हैं।
#5 WWE हॉल ऑफ फेमर दारा सिंह जी को 1947 में त्रिलोक सिंह को हराने के कारण चैंपियन ऑफ मलेशिया का खिताब मिला था
त्रिलोक सिंह भी एक पहलवान थे और उनका मुकाबला दारा जी से होने वाला था। उस समय इस मैच का होना अपने आप में एक बड़ा सम्मान था। रेसलिंग में जाने वाला हर इंसान इनके बारे में जानता है। ये दोनों कई बार आमने सामने आए और हर बार इनका एक्शन देखने लायक होता था।
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त्रिलोक जी ने दारा जी पर अटैक किया ताकि वो बढ़त बना सकें लेकिन दारा जी अपने हुनर के पक्के और चौकन्ने रहने वाले पहलवान थे। उन्होंने इस मूव को खाली जाने दिया और अपने अटैक से त्रिलोक सिंह को कुछ वक्त में ही चित कर दिया। मैच बेहद शानदार था जिसकी उम्मीद सभी को थी और मैच में त्रिलोक को हराते ही दारा सिंह जी को चैंपियन ऑफ मलेशिया का खिताब मिल गया था।
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#4 1954 में 26 साल की उम्र में नेशनल रेसलिंग चैंपियन बने थे
ये कीर्तिमान हर किसी के हिस्से नहीं आता कोई कोई कितना भी प्रयास कर ले रिंग में उनके जैसा अब दूसरा नहीं आता। दारा सिंह जी के दांव पेंच इतने ताकतवर होते थे कि विरोधी का उनसे बचकर निकल पाना संभव नहीं था। दारा सिंह जी ने अपने करियर में 500 मैच लड़े और उनके विरोधी उन्हें किसी में भी हरा नहीं पाए।
1954 के दौर में इन्होंने वो कर दिखाया जो उनकी उम्र में कोई नहीं कर पाया है। वो महज 26 साल के थे जब वो नेशनल रेसलिंग चैंपियन बने थे। देश का सर फक्र से हमेशा ऊँचा करने वाले दारा सिंह जी ने एक ऐसा काम किया था जिसकी मिसाल आज भी रेसलिंग, कुश्ती, पहलवानी में दी जाती है।
#3 1959 में इन्होंने किंग कॉन्ग, जॉर्ज गॉर्दिएंको और जॉन डिसिल्वा को हराकर कामनवेल्थ चैंपियन का खिताब अपने नाम किया था
नेशनल चैंपियन तो ये पाँच साल पहले बन चुके थे लेकिन अब भी वो और बेहतर करना चाहते थे। इसी प्रयास में उन्होंने कामनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया। उन दिनों किंग कॉन्ग का नाम बहुत प्रसिद्ध था और अगर आप अपने घर में किसी बड़े बुजुर्ग से इसके बारे में पूछेंगे तो वो ये बताएंगे कि किंग कॉन्ग को दुनियाभर में काफी मान प्राप्त था।
दारा सिंह जी से शायद उनका मुकाबला तब तक नहीं हुआ था। दारा जी के साथ मैच लड़ते ही किंग कॉन्ग का ये घमंड भी टूट गया कि वो सबसे अच्छे पहलवान हैं। दारा जी ने इन्हें तो चारों खाने चित किया ही लेकिन साथ ही जॉर्ज गॉर्दिएंको और जॉन डिसिल्वा को हराकर कामनवेल्थ चैंपियन का खिताब अपने नाम किया था।
#2 इन्हें 1996 में रेसलिंग आब्जर्वर न्यूज़लेटर हॉल ऑफ फेम का हिस्सा बनाया गया और इनके अलावा अब तक कोई भी भारतीय इसका हिस्सा नहीं बना है
WWE ने तो इन्हें मरणोपरांत हॉल ऑफ फेम में जगह दी लेकिन रेसलिंग आब्जर्वर न्यूज़लेटर हॉल ऑफ फेम का हिस्सा ये 1996 में ही बन गए थे। रेसलिंग में अपने काम से देश का नाम रौशन करने वाले दारा सिंह जी को हर कोई सम्मान से देखता है जिसमें विदेशी रेसलर्स भी शामिल हैं।
इनका एक रिकॉर्ड ऐसा है जिसे तोड़ पाना किसी भी रेसलर, पहलवान या किसी भी अन्य रेसलर के लिए संभव ही नहीं है। द अंडरटेकर भी चाहकर इस रिकॉर्ड की बराबरी नहीं कर सकते हैं जिस तरह से हाल फिलहाल में कोई भी उनकी WrestleMania स्ट्रीक का मुकाबला नहीं कर सकता है।
#1 ये अपने करियर में कोई लड़ाई नहीं हारे हैं
आप दुनियाभर में नजर दौड़ा लीजिए और ऐसा कोई भी रेसलर, या पहलवान बताएं जो अपना एक भी मैच नहीं हारा हो। बॉबी लैश्ले जो इस समय WWE चैंपियन हैं वो भी इस बात का दावा नहीं कर सकते हैं और ना ही द अंडरटेकर इस तरह का कोई भी दावा अपने जीवन में कभी कर सकेंगे।
दारा सिंह जी ने अपने करियर में 500 मैच लड़े और हर मैच को ये जीतते गए। ऐसा कोई भी पहलवान ही नहीं था जिसको इन्होंने चित ना किया हो। ये अलग बात है कि बाकियों ने इन्हें हराने की कोशिश जरूर की लेकिन वो खुद ही हार बैठे। ऐसे ही इन्हें रुस्तम-ए-हिंद नहीं पुकारा जाता है।